
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में तीन उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं, लेकिन मुकाबला सिर्फ दो चेहरों के बीच ही नजर आ रहा है. एक हैं मल्लिकार्जुन खड़गे और दूसरे हैं शशि थरूर. एक तरफ तो कांग्रेस के तमाम सीनियर नेता ये दावा करते हैं कि देश में कांग्रेस ही इकलौती पार्टी है जहां लोकतंत्र है, पार्टी का अध्यक्ष भी चुनावी प्रक्रिया से होता है और कोई भी कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ सकता है, लेकिन क्या ये दावे सही हैं? जिस तरह से अध्यक्ष के चुनाव में खड़गे की वाइल्ड कार्ड एंट्री हुई है और ज्यादातर कांग्रेसी नेता ये मान बैठे हैं कि खड़गे ही चुनाव जीतेंगे. आखिर इसका मतलब क्या है? ऐसे में शशि थरूर भी हाईकमान से सवाल पूछ रहे हैं कि खड़गे को ऑफिशियल कैंडिडेट क्यों दिखाया जा रहा है.
बता दें कि कांग्रेस के इस चुनाव में गांधी परिवार मैदान में नहीं है, लेकिन सच ये भी है कि गांधी परिवार की चॉइस ही चलेगी. कहने को कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए आज तीन नामांकन हुए हैं. नामांकन के आखिरी दिन गांधी परिवार के भरोसेमंद मल्लिकार्जुन खड़गे ने वाइल्ड कार्ड एंट्री मारी है. सांसद शशि थरूर और झारखंड के कांग्रेस लीडर केएन त्रिपाठी ने भी नामांकन पत्र दाखिल किया है.
रात में अचानक मीटिंग और सुबह खड़गे एक्टिव
बताया जा रहा है कि गुरुवार देर रात तक सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी के बीच अध्यक्ष को लेकर एक मीटिंग हुई, उसके बाद मल्लिकार्जुन खड़गे को 10 जनपथ बुलाया गया और सुबह तक खड़गे का चुनाव में उतरना तय हो गया. गांधी परिवार के बैकडोर सपोर्ट की वजह से खड़गे का कांग्रेस अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है. हालांकि, कांग्रेसियों का दावा यही है कि ऐसा लोकतंत्र और कहीं नहीं है. कहा जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए तीन उम्मीदवारों ने पर्चा भरा है, लेकिन सीरियस उम्मीदवार दो हैं.
पहले दिन ही प्रस्तावकों में पिछड़े थरूर
यह भी बताते चलें कि खड़गे के नॉमिनेशन में 30 कांग्रेस लीडर्स प्रस्तावक बने. जबकि थरूर की ओर से सिर्फ 9 प्रस्तावक बने. खड़गे के प्रस्तावकों में जी-23 के नेता भी शामिल हैं. सरल शब्दों में समझें तो प्रैक्टिस मैच में ही खड़गे ने थरूर को पीछे कर दिया. रही-सही कसर खड़गे के प्रस्तावकों के बड़े चेहरों ने पूरी कर दी.
ये नेता खड़गे का नामांकन करवाने पहुंचे...
एके एंटनी, अशोक गहलोत, अंबिका सोनी, मुकुल वासनिक, आनंद शर्मा, अभिषेक मनु सिंघवी, अजय माकन, भूपिंदर हुड्डा, दिग्विजय सिंह, तारिक अनवर, सलमान खुर्शीद, अखिलेश प्रसाद सिंह, दीपेंदर हुड्डा, नारायण सामी, वी वथिलिंगम, प्रमोद तिवारी, पीएल पुनिया, अविनाश पांडे, राजीव शुक्ला, नासिर हुसैन, मनीष तिवारी, रघुवीर सिंह मीणा, धीरज प्रसाद साहू, ताराचंद, पृथ्वीराज चौहान, कमलेश्वर पटेल, मूलचंद मीणा, डॉ. गुंजन, संजय कपूर और विनीत पुनिया.
थरूर के साथ सिर्फ 9 नेता आए
जब शशि थरूर ने नामांकन भरा तो कांग्रेस का कोई दिग्गज नेता नजर नहीं आया. थरूर के आसपास मौजूद चेहरों की पहचान करना भी मुश्किल रहा. यानी अध्यक्ष पद का मुकाबला खड़गे के लिए कितना आसान रहेगा, आप प्रस्तावकों के नाम से समझ सकते हैं. इनमें कार्ति चिदंबरम, सलमान सोज, प्रवीण डाबर, संदीप दीक्षित, प्रद्युत बरदलोई, मोहम्मद जावेद, सैफुद्दीन सोज, जीके झिमोमी, और लोवितो झिमोमी का नाम शामिल है.
कैसे 4 घंटे में बदली पूरी पिक्चर, समझिए...
ये कहानी तो आपको समझ में आ गई, लेकिन अब आपको खड़गे की वाइल्ड कार्ड की एंट्री का खेल समझाते हैं. सबसे पहले नामांकन की आखिरी तारीख से चंद घंटे पहले दिग्विजय सिंह का एक बयान आया और उन्होंने ऐलान किया कि मैं चुनाव लड़ूंगा. दिग्विजय ने नामांकन पत्र भी कलेक्ट कर लिए. सुबह पर्चा भरे जाने की तैयारियां भी शुरू कर दीं. मध्य प्रदेश से कांग्रेस विधायक भी प्रस्तावक बनने के लिए दिल्ली आ गए. मगर, रात को ऐसा क्या हुआ कि दिग्विजय सिंह Vs थरूर का मुकाबला थरूर Vs खड़गे में बदल गया? इस पूरी पिक्चर कैसे 4 घंटे में बदल गई? समझिए...
नॉमिनेशन का आखिर दिन यानी 30 सितंबर
वक्त- सुबह 9 बजे से 10 बजे: माना यही जा रहा था कि दिग्विजय सिंह आज पर्चा भरेंगे. अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे. किसी को नहीं पता था कि दिग्विजय सिंह अचानक रेस से आउट हो जाएंगे और रेस में नए खिलाड़ी की वाइल्ड कार्ड एंट्री होगी, ये सब पर्दे के पीछे सुबह तय हो गया.
वक्त-सुबह 10 बजे से 11 बजे: अचानक दिग्विजय सिंह कांग्रेस के सीनियर लीडर खड़गे से मिलते हैं. अभी मीटिंग चल रही रही थी कि प्रमोद तिवारी ने दिग्विजय सिंह के आउट होने का ऐलान कर दिया, लेकिन दिग्विजय सिंह के आउट होने पर सस्पेंस बरकरार था. क्योंकि बीते दिन दिग्विजय सिंह ने नॉमिनेशन की हुंकार भी थी, ये सस्पेंस तब खत्म हुआ, जब खुद दिग्विजय सिंह ने ऐलान किया.
वक्त- सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे: शशि थरूर ने जैसा ऐलान कर रखा था, उन्होंने 9 प्रस्तावकों के साथ नॉमिनेशन भरा. इसके बाद झारखंड के नेता केएन त्रिपाठी ने पर्चा भरा. इस वक्त खड़गे कांग्रेस हेड ऑफिस में मौजूद थे.
वक्त- दोपहर 1 बजे से 2 बजे: कांग्रेस दफ्तर में पार्टी के करीब-करीब सभी वरिष्ठ नेता पहुंचे, कुछ देर बाद पूरे दमखम
के साथ मल्लिकार्जुन खड़गे ने नॉमिनेशन फाइल किया. उनके साथ 30 प्रस्तावकों का टीम मौजूद थी. कांग्रेस अध्यक्ष पद के मुकाबले को अशोक गहलोत ने फ्रैंडली मैच बताया.
नामांकन में आए दिग्गज बोले- खड़गे सबकी पसंद
नॉमिनेशन के बाद सीनियर नेताओं के बयानों से साफ होने लगा कि खड़गे कांग्रेस के ऑफिसियल उम्मीदवार हैं. पार्टी दफ्तर में कांग्रेस की टॉप लीडरशिप मौजूद थी. खड़गे के सपोर्ट में जी-23 के तमाम नेता मौजूद थे. मतलब ये कि सबका समर्थन खड़गे पक्ष में है. दिग्विजय सिंह ने बयान दिया और साफ किया कि वे खड़गे के समर्थन में हैं. अशोक गहलोत तो एक कदम और आगे बढ़ गए और बता दिया कि सबकी पसंद खड़गे हैं. कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा ने तो शशि थरूर को सलाह तक दे डाली. बड़ी बात ये है कि नामांकन के वक्त कांग्रेस के दिग्गज नेता खड़गे के समर्थन में पहुंचे थे. जब सवाल पूछा गया तो बचाव में तरह-तरह की दलीलें पेश करने लगे. इनमें अंबिका सोनी से लेकर मुकुल वासनिक का नाम शामिल है.
खड़गे के सपोर्ट में जी-23 के नेता भी आए
अब सवाल है कि जब खड़गे सबकी पसंद हैं तो चुनाव क्यों? इस सवाल पर सलमान खुर्शीद ने कहा कि पार्टी में लोकतंत्र है. सभी को चुनाव लड़ने का अधिकार है. किसी दूसरी पार्टी में चुनाव नहीं होता है. खड़गे पावरफुल कैंडिडेट हैं. उनके समर्थन में नेताओं निकलकर आ रहे हैं. पुराना लीडर हमारे पास पहले से है. नया अध्यक्ष रहेगा. फिलहाल, दावा यही है कि चुनावी प्रक्रिया के बाद जीत और हार का फैसला होगा, यानी कांग्रेस संगठन जिसे चुनेगा वही अध्यक्ष होगा, लेकिन तस्वीरें कुछ और बयां कर रही हैं क्योंकि खड़गे के सपोर्ट में जी-23 के नेता भी खुलेआम आ गए हैं. आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, पृथ्वीराज चौहान ने भी बयान दिया.
तो क्या शशि थरूर अकेले पड़ गए और उसकी वजह है खड़गे पर गांधी परिवार का हाथ? यह भी जानना जरूरी है कि कांग्रेस अध्यक्ष के इस चुनाव में कैसे दिग्विजय सिंह का पत्ता कटा और क्यों शशि थरूर के सामने खड़गे खड़े हुए हैं, इसके मायने भी आपको समझा देते हैं...
- 80 साल के सीनियर लीडर मल्लिकार्जुन खड़गे गांधी परिवार के वफादार नेताओं में से एक माने जाते हैं.
- 2014 की मोदी लहर में जब कांग्रेस 44 सीटों पर सिमट गई, ऐसे में कर्नाटक के गुलबर्ग से खड़गे चुनाव जीते.
- दक्षिण भारत के होने के बावजूद खड़गे सदन में हिंदी में अपनी बातें रखते रहे हैं.
- राहुल गांधी के उठाए गए राफेल से लेकर नोटबंदी के मुद्दे को खड़गे ने लोकसभा मे बखूबी उठाया.
- 50 साल से पॉलिटिक्स में सक्रिय खड़गे 9 बार विधायक और 2 बार सांसद रह चुके हैं.
खड़गे का ऑफिशियल कैंडिडेट क्यों दिखाया जा रहा: थरूर
अब मल्लिकार्जुन खड़गे की टक्कर 66 साल के शशि थरूर से है, लेकिन उन्होंने खड़गे की उम्मीदवारी पर सवाल उठाए हैं. शशि थरूर ने कांग्रेस हाइकमान से पूछा है कि खड़गे को ऑफिशियल कैंडिडेट क्यों दिखाया जा रहा है. शशि थरूर कहते हैं कि उन्हें तो बताया गया था कि कोई भी आधिकारिक उम्मीदवार नहीं होगा. शशि थरूर ने मल्लिकार्जुन
खड़गे के नामांकन के वक्त मौजूद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की भीड़ का भी जिक्र किया और कहा कि खड़गे पूरी फौज के साथ नामांकन करने आए, जबकि वो सामान्य कार्यकर्ताओं के साथ. थरूर कहते हैं कि जो कांग्रेस में ऐसी ही स्थिति बरकरार रखना चाहते हैं वो खड़गे को वोट करेंगे, और जो बदलाव चाहते हैं कि वो उन्हें वोट करेंगे. जानिए थरूर के बारे में...
1- 66 साल के थरूर भारतीय राजनीतिज्ञ और पूर्व राजनयिक हैं.
2- 2009 से केरल के तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सांसद हैं.
3- थरूर कॉलेज के समय से राजनीति से जु़ड़े हैं, वो कॉलेज के समय
क्विज और डिबेट में एक्टिव रहते थे.
4- शशि थरूर को अंतर्राष्ट्री मामलों में काफी अनुभव है.
5- G23 नेता होने के साथ, वो तीन बार के सांसद रह चुके हैं.
बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव 17 अक्टूबर को होना है, लेकिन खड़गे के बारे में शशि थरूर ये भी कहते हैं कि वो दुश्मन या प्रतिद्वंदी नहीं हैं, बल्कि सहयोगी हैं. शशि थरूर ने मल्लिकार्जुन खड़गे को पार्टी का भीष्म पितामाह भी बताया है. सवाल ये है कि क्या शशि थरूर भी ये समझ रहे हैं कि मल्लिकार्जुन खड़गे का अध्यक्ष बनना तय है?
(रिपोर्ट- आजतक ब्यूरो)