
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव हो रहा है. दो दशक के बाद हो रहे इन चुनावों में गांधी परिवार से कोई भी सदस्य चुनाव मैदान में नहीं है. मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच कांग्रेस अध्यक्ष पद पर काबिज होने के लिए सीधा मुकाबला है. सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में तटस्थ रहने का ऐलान किया है लेकिन माना जा रहा है कि खड़गे को गांधी परिवार का समर्थन हासिल है. ऐसे में शशि थरूर की राह आसान नहीं रहने वाली. शशि थरूर ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में होने वाली 'सीक्रेट वोटिंग' के भरोसे खड़गे को मात देने का दांव चल रहे हैं?
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में शशि थरूर की सियासी सक्रियता ने मल्लिकार्जुन खड़गे को भी अध्यक्ष चुनाव के प्रचार में पूरी ताकत से उतरने के लिए बाध्य कर दिया है. हालांकि, खड़गे जैसे दिग्गज के मुकाबले में होने की राजनीतिक चुनौती को शशि थरूर बखूबी जानते हैं. शशि थरूर अपनी लोकप्रियता के सहारे अध्यक्ष पद के चुनाव को दिलचस्प बना रहे हैं तो साथ ही अपनी जीत के लिए सीक्रेट वोटिंग को भी हथियार बना रहे हैं.
अध्यक्ष पद के चुनाव में खड़गे का पलड़ा भारी माना जा रहा है लेकिन शशि थरूर के ताबड़तोड़ राज्यों के दौरे और कांग्रेस में बदलाव और पार्टी को पुनर्जीवित करने का फॉर्मूला रख रहे हैं. थरूर कांग्रेस को 2024 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के मुकाबले खड़ा करने की बातें कर रहे हैं जिससे राज्यों में पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं के बीच एक संदेश भी जा रहा है. पार्टी के युवा नेता-कार्यकर्ता उनसे रूबरू हो रहे हैं और शशि थरूर उन्हें सीक्रेट वोटिंग के जरिए अपने पक्ष में मतदान के लिए प्रेरित कर रहे.
थरूर के काम आएगी सीक्रेट वोटिंग?
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे का पलड़ा भारी है लेकिन शशि थरूर भी कम नहीं हैं. कांग्रेस डेलिगेट्स के बीच थरूर ने कहा कि अध्यक्ष पद के चुनाव में वोटिंग प्रक्रिया गुप्त मतदान की होगी. यह किसी को पता नहीं चलेगा कि किसने किसे वोट दिया. यह जानने का कोई तरीका भी नहीं है कि किस राज्य के पीसीसी सदस्यों ने किस उम्मीदवार के लिए वोट दिया, क्योंकि सभी मतपत्रों को एक साथ मिलाया जाएगा और उसके बाद मतगणना होगी. कांग्रेस की इसी सीक्रेट वोटिंग प्रक्रिया को थरूर अपना हथियार बना रहे हैं.
शशि थरूर ने कहा कि चुनाव को लेकर कोई भी गुप्त या सार्वजनिक रूप से कुछ भी कहता है लेकिन मतदान प्रक्रिया गुप्त होती है. उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान किसी को पता नहीं चलेगा कि किसने किसे वोट दिया. कांग्रेस डेलिगेट्स अपनी इच्छा और विश्वास के अनुसार वोट कर सकते हैं. वे तय कर सकते हैं कि वे किसे पार्टी को मजबूत करने और भविष्य में आने वाली चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए तैयार करना चाहते हैं. थरूर ने कहा कि हमारा इरादा पार्टी को एकजुट और मजबूत करने का है.
असंतुष्ट नेताओं में रहा है थरूर का नाम
दरअसल, कांग्रेस हाईकमान के साथ मल्लिकार्जुन खड़गे की निकटता भी किसी से छिपी नहीं है जबकि कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं यानी जी-23 की सूची में शशि थरूर भी शामिल रहे हैं. ऐसे में अनौपचारिक रूप से पार्टी अध्यक्ष के लिए खड़गे ही आधिकारिक उम्मीदवार माने जा रहे हैं. इसीलिए अध्यक्ष पद के चुनाव में खड़गे का पलड़ा स्वाभाविक रूप से भारी दिख रहा है और इसके चलते ही थरूर ने अपना चुनाव प्रचार तेज कर रखा है. शशि थरूर अपनी लोकप्रियता को भुनाना चाहते हैं. इसीलिए सीक्रेट मतदान प्रक्रिया को हथियार बना रहे हैं.
गांधी परिवार से बैर नहीं का संदेश दे रहे थरूर
कांग्रेस के आंतरिक सियासी समीकरणों को भली भांति समझ रहे शशि थरूर अध्यक्ष चुनाव के लिए नामांकन के बाद से ही गांधी परिवार के साथ किसी तरह का बैर-भाव नहीं होने का संदेश दे रहे हैं. चाहे प्रचार अभियान से जुड़े उनके वीडियो संदेश हों, राजनीतिक बयान या सोशल मीडिया पोस्ट, हर जगह वे चुनाव में न केवल गांधी परिवार के तटस्थ रहने की बात कर रहे हैं बल्कि अपनी दूरियां घटाने का भी नेताओं-कार्यकर्ताओं को संदेश दे रहे हैं.
खड़गे के तजुर्बे के आगे फीका पड़ सकता है थरूर का आकर्षण
थरूर इस तरह से अध्यक्ष चुनाव में कांग्रेस प्रतिनिधियों का समर्थन हासिल करने के लिए संदेश देना चाहते हैं कि पार्टी में गांधी परिवार की अहमियत यथावत कायम रहेगी. मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे दिग्गज नेता के मुकाबले में होने की राजनीतिक चुनौती को शशि थरूर समझ रहे हैं. खड़गे के गांधी परिवार से नजदीकियां और तजुर्बे के आगे थरूर का आकर्षण फीका पड़ सकता है. इसीलिए थरूर एक के बाद एक सियासी दांव चल रहे हैं.
कांग्रेस को दोबारा खड़ा करने के लिए थरूर ने 10 प्वाइंट का घोषणा पत्र जारी किया है तो एक-एक राज्य में जाकर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से सीधे मिल रहे हैं. इतना ही नहीं वे यह भी बता रहे हैं कि राहुल गांधी खुद चाहते थे कि चुनाव हो. कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे शशि थरूर ने दावा किया था कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने राहुल गांधी से उनकी उम्मीदवारी वापस लेने की मांग की थी. इस पर राहुल ने कहा था कि वह थरूर को पर्चा वापस लेने के लिए नहीं कहेंगे क्योंकि चुनाव से सबसे पुरानी पार्टी को फायदा होगा.
17 अक्टूबर को होना है मतदान
कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिए 17 अक्टूबर को मतदान होगा जिसमें पार्टी के 9000 से अधिक डेलिगेट्स (निर्वाचक मंडल के सदस्य) मतदान करेंगे. कांग्रेस में मतदान की प्रक्रिया पूरी तरह से गुप्त रहेगी. वोटिंग के बाद सभी राज्यों के वोट एक साथ मिलाकर 19 अक्टूबर को गिने जाएंगे जिसके बाद रिजल्ट घोषित किया जाएगा. ऐसे में किस राज्य से किसे वोट मिला और किसने किसे दिया, यह सारे तथ्य सार्वजनिक नहीं हो पाएंगे?