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आजादी के बाद से 18 बार बदले कांग्रेस अध्यक्ष, 13 नेता गांधी परिवार से बाहर के

कांग्रेस के इतिहास की बात करें तो 1947 में देश की आजादी के बाद से अब तक कांग्रेस के 18 अध्यक्ष हुए हैं. जिसमें सिर्फ 5 अध्यक्ष ही गांधी परिवार से रहे, जबकि 13 अध्यक्ष का गांधी परिवार से दूर-दूर तक नाता नहीं रहा. हालांकि, गांधी परिवार के सदस्य भले ही पांच हुए हों, लेकिन पांच दशक तक उनके हाथों में पार्टी की कमान रही. 

राहुल गांधी और सोनिया गांधी राहुल गांधी और सोनिया गांधी
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 24 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 11:55 AM IST
  • सोनिया सबसे लंबे समय तक रहीं कांग्रेस अध्यक्ष
  • गांधी परिवार से 5 सदस्य ही रहे कांग्रेस अध्यक्ष
  • आजादी के बाद कुल 18 कांग्रेस अध्यक्ष बने

कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर पार्टी में सियासी संकट गहरा गया है. सोनिया गांधी आज कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे सकती हैं और ऐसे में गांधी परिवार से बाहर किसी को पार्टी की कमान देने के लेकर विचार-विमर्श किया जा रहा है. अगर सचमुच ऐसा हुआ तो ढाई दशक बाद कांग्रेस को गैर गांधी अध्यक्ष नसीब होगा. देखना है कि पार्टी की कमान किसे सौंपी जाती है. 

वहीं, कांग्रेस के इतिहास की बात करें तो 1947 में देश की आजादी के बाद से अब तक कांग्रेस के 18 अध्यक्ष हुए हैं. जिसमें सिर्फ 5 अध्यक्ष ही गांधी परिवार से रहे, जबकि 13 अध्यक्ष का गांधी परिवार से दूर-दूर तक नाता नहीं रहा. हालांकि, गांधी परिवार के सदस्य भले ही पांच हुए हों, लेकिन पांच दशक तक उनके हाथों में ही पार्टी की कमान रही. 

गांधी परिवार से बाहर के अध्यक्ष
यूं तो आजादी के पहले और उसके बाद भी कांग्रेस पार्टी के कई अध्यक्ष नेहरू-गांधी परिवार से बाहर के रहे हैं. आजादी के तुरंत बाद जे बी कृपलानी, पी सीतारमैया, पुरुषोत्तम दास टंडन, यू एन धेबार और बाद के दशकों में नीलम संजीव रेड्डी, के कामराज, एस निजलिंगप्पा, जगजीवन राम, शंकर दयाल शर्मा, देवकांत बरुआ, के ब्रह्मानंद रेड्डी, पी वी नरसिम्हा राव और सीताराम केसरी के नाम इस सूची में शामिल हैं.

गांधी परिवार से कांग्रेस अध्यक्ष
वहीं, जवाहरलाल नेहरू, उनकी बेटी इंदिरा गांधी, उनके बेटे राजीव गांधी, उनकी पत्नी सोनिया गांधी और फिर उनके बेटे राहुल गांधी के बीच पार्टी की अध्यक्षता सबसे ज्यादा समय तक नेहरू-गांधी परिवार में ही रही. अकेले सोनिया गांधी ही 19 सालों तक उस पद पर रहीं और सबसे लंबे कार्यकाल वाली कांग्रेस अध्यक्ष बनीं. इस तरह गांधी परिवार की हर पीढ़ी के पास कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी रही है.

नेहरू 17 साल तक प्रधानमंत्री रहने के बावजूद आजादी के बाद पार्टी अध्यक्ष सिर्फ तीन साल रहे, लेकिन इंदिरा गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष के ही प्रधानमंत्री भी होने की परिपाटी स्थापित की. इसे राजीव ने भी आगे बढ़ाया और नरसिम्हा राव ने भी. सीताराम केसरी की अध्यक्षता में कांग्रेस कभी सत्ता में नहीं आई, इसलिए उन्हें ये मौका भी नहीं मिला. 2009 में सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के रूप में पार्टी ने कई दशकों बाद कांग्रेस अध्यक्ष और प्रधानमंत्री पदों पर अलग अलग व्यक्तियों को नियुक्त किया.

कांग्रेस अध्यक्ष की फेहरिश्त
1947: देश आजाद हुआ तो 1947 में जेबी कृपलानी कांग्रेस के अध्यक्ष बने. उन्हें मेरठ में कांग्रेस के अधिवेशन में यह जिम्मेदारी मिली थी. उन्हें महात्मा गांधी के भरोसेमंद व्यक्तियों में माना जाता था.

1948-49 : इस दौरान कांग्रेस की कमान पट्टाभि सीतारमैया के पास रही. जयपुर कॉन्फ्रेंस की उन्होंने अध्यक्षता की.

1950: इस वर्ष पुरुषोत्तम दास टंडन कांग्रेस के अध्यक्ष बने. नासिक अधिवेशन की उन्होंने अध्यक्षता की. यह पुरुषोत्तम दास टंडन ही थे, जिन्होंने हिंदी को आधिकारिक भाषा देने की मांग की.

1955 से 1959: यूएन ढेबर इस बीच कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अमृतसर, इंदौर, गुवाहाटी और नागपुर के अधिवेशनों की अध्यक्षता की. 1959 में इंदिरा गांधी अध्यक्ष बनीं.

1960-1963: नीलम संजीव रेड्डी इस दरम्यान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. उन्होंने बेंगलुरु, भावनगर और पटना के अधिवेशनों की अध्यक्षता की. बाद में नीलम संजीव रेड्डी देश के छठे राष्ट्रपति हुए.

1964-1967: इस दौरान भारतीय राजनीति में किंगमेकर कहे जाने वाले के कामराज कांग्रेस के अध्यक्ष हुए. उन्होंने भुवनेश्वर, दुर्गापुर और जयपुर के अधिवेशन की अध्यक्षता की. कहा जाता है कि यह के कामराज ही थे, जिन्होंने पं. नेहरू की मौत के बाद लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री बनने में अहम भूमिका निभाई.

1968-1969: एस. निजलिंगप्पा ने 1968 से 1969 तक कांग्रेस की अध्यक्षता की. उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था.

1970-71:  बाबू जगजीवन राम 1970-71 के बीच कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. इससे पहले 1946 में बनी नेहरू की अंतरिम सरकार में वह सबसे नौजवान मंत्री रह चुके थे.

1972-74:  शंकर दयाल शर्मा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने. नीलम संजीव रेड्डी के बाद शंकर दयाल शर्मा दूसरे अध्यक्ष रहे, जिन्हें बाद में राष्ट्रपति बनने का मौका मिला.

1975-77: देवकांत बरुआ कांग्रेस के अध्यक्ष बने. यह इमरजेंसी का दौर था. देवकांत बरुआ ने ही इंदिरा इज इंडिया और इंडिया इज इंदिरा का चर्चित नारा दिया था.

1977-78: इस दौरान ब्रह्मनंद रेड्डी(Kasu Brahmananda Reddy) कांग्रेस के अध्यक्ष बने. बाद में कांग्रेस का विभाजन हो गया. जिसके बाद इंदिरा गांधी कांग्रेस(आई) की अध्यक्ष बनीं. वह 1984 में हत्या होने तक पद पर रहीं. उसके बाद 1985 से 1991 तक उनके बेटे राजीव गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.

1992-96: राजीव गांधी की हत्या के बाद पीवी नरसिम्हा राव 1992-96 के बीच कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए. पीवी नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्रित्व काल में ही देश में उदारीकरण की नींव पड़ी थी.

1996-98: सीताराम केसरी कांग्रेस अध्यक्ष बने. वह 1996-1998 तक इस पद पर रहे. सीताराम केसरी का विवादों से भी नाता रहा. 

1998 से 2017 तक सबसे लंबे समय तक सोनिया गांधी अध्यक्ष रहीं. 1998 में कांग्रेस को राजनीतिक संकट से उबारने के लिए कांग्रेसियों ने गांधी परिवार का रुख किया. सोनिया आगे आईं और पार्टी की कमान संभाली और पार्टी 10 साल सत्ता में में रही.

राहुल गांधी 2017 में पार्टी के अध्‍यक्ष बने. उनके कांग्रेस अध्‍यक्ष रहते पार्टी को मध्य प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ में जीत मिली, लेकिन 2019 का लोकसभा चुनाव पार्टी बेहद बुरी तरह हार गई. इसके बाद उन्होंने पार्टी की कमान छोड़ दी थी, जिसके बाद सोनिया गांधी को आंतरिम अध्यक्ष बनाया गया था. 

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