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अन्ना आंदोलन के सूत्रधार करेंगे राहुल गांधी का बेड़ा पार? बने भारत जोड़ो यात्रा के योजनाकार

मिशन-2024 को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी उसी रणनीति पर काम कर रहे हैं, जिस पर 2014 से पहले यूपीए सरकार के खिलाफ काम किया गया था. राहुल गांधी ने हाल ही में सिविल सोसाइटी के लोगों से मिलकर भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने का आग्रह किया. ये वही सिविल सोसाइटी है, जिसने अन्ना आंदोलन को खड़ा किया था और अब मोदी सरकार के खिलाफ राहुल के साथ खड़ी नजर आ रही है.

सिविल सोसाइटी के लोगों के साथ राहुल गांधी सिविल सोसाइटी के लोगों के साथ राहुल गांधी
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 23 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 2:44 PM IST

वही चुनावी बिसात, लेकिन किरदार अलग... 2024 के चुनावी महासंग्राम की ओर बढ़ रही कांग्रेस अब बीजेपी के खिलाफ उन्हीं हथियारों के इस्तेमाल की रणनीति पर काम कर रही है, जिनका इस्तेमाल 2014 में यूपीए सरकार के खिलाफ विपक्ष की ओर से किया गया था. खास बात ये भी है कि सिविल सोसाइटी के जिन एक्ट्विस्ट्स के जरिए 2014 चुनाव से पहले अन्ना आंदोलन खड़ा किया गया था, अब राहुल गांधी अपनी ऐतिहासिक पदयात्रा के लिए वैसे ही मोहरे सेट कर रहे हैं और आंदोलन की धार भी वैसी ही पैनी रखने की तैयारी में हैं.

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कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के खिलाफ बड़ा अभियान छेड़ने जा रही है. राहुल गांधी ने सोमवार को दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में सिविल सोसाइटी के लोगों से मुलाकात कर उनसे अपनी 'भारत जोड़ो यात्रा' में शामिल होने का आग्रह किया. सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव, अरुणा राय, मेधा पाटेकर, सैयदा हमीद, पीवी राजगोपाल, बेजवाड़ा विल्सन, देवनूरा महादेवा, जीएन देवी ने कांग्रेस की यात्रा का समर्थन करने का ऐलान किया है.

अन्ना आंदोलन के वक्त चर्चा में रहे ये लोग 

ये वही सिविल सोसाइटी थी, जिसने करप्शन के खिलाफ अन्ना आंदोलन को खड़ा किया था. अन्ना आंदोलन के सूत्रधार उस समय योगेंद्र यादव, मेधा पाटेकर, पीवी राजगोपाल थे, लेकिन असली ताकत जनता से मिली थी. देश के युवा, महिलाएं, बुजुर्ग और सरकारी कर्मचारियों तक अन्ना आंदोलन के समर्थन में खड़े नजर आ रहे थे. इसके चलते 2014 के चुनाव में कांग्रेस को हार का स्वाद चखना पड़ा. 

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अन्ना आंदोलन से ही आम आदमी पार्टी निकली और अरविंद केजरीवाल निकले और दिल्ली में सरकार बना ली. उन्होंने पंजाब में सरकार बनाई और अब कई राज्यों में बड़ी महत्वाकांक्षा के साथ आगे बढ़ रहे हैं.

वहीं, 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस का फोकस भी सिविल सोसायटी की ताकत के जरिए बीजेपी की धार को कुंद करना है. देश में बीजेपी के खिलाफ राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को सिविल सोसायटी ने समर्थन कर दिया है.

राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो' यात्रा 

राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष का पद किनारे रखकर सात सितंबर को भारत जोड़ो यात्रा पर निकल रहे हैं. राहुल ने साफ कह दिया है कि कोई चले न चले, वो अकेले ही भारत जोड़ो यात्रा में चलेंगे. अन्ना आदंलोन और केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को खड़ा करने में अहम भूमिका निभाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा समय की आवश्यकता है, जिससे हम सहमत हैं. 

वहीं, मजदूर किसान शक्ति संगठन की अरुणा राय ने कहा कि राहुल गांधी उसी सिद्धांत पर चल रहे हैं जिसको सिविल सोसायटी मानती है. इसमें संवैधानिक मूल्य, समानता, बहुलवाद शामिल है. इसलिए वह यात्रा का समर्थन करती हैं. सिविल सोसाइटी की सहभागिता कई रूपों में होगी और  हम लोग इस यात्रा में शामिल होने के लिए सहमत हैं.

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क्यों साथ आए सिविल सोसाइटी के लोग? 

दरअसल, सिविल सोसाइटी देश में हर जगह अपने आंदोलन को नहीं ले जा सकती. इसलिए उसने बहुत रणनीतिक तरीके से कांग्रेस के साथ चलने का फैसला किया. सिविल सोसाइटी के लोगों का मानना है कि कांग्रेस की राजनीति अपनी जगह है, लेकिन इस समय देश में नफरत का जो माहौल बीजेपी-आरएसएस ने बना दिया है, उसे चुनौती देने की जरूरत है. सिविल सोसाइटी इस यात्रा अपने इसी मंसूबे को पूरा करेगी, क्योंकि राहुल गांधी ने बैठक के दौरान साफ तौर पर कहा है कि नफरत की राजनीति को खत्म करने के लिए यह उनकी यात्रा है.

सिविल सोसाइटीज के बीच राहुल गांधी ने कहा कि देश की राजनीति पोलोराइज हो गई है. हम अपनी यात्रा में बताएंगे कि कैसे एक तरफ संघ की विचारधारा है और दूसरी तरफ हम लोगों की सबको साथ जोड़ने की विचारधारा है. हम इस विश्वास को लेकर यात्रा शुरू कर रहे हैं कि भारत के लोग तोड़ने की नहीं जोड़ने की राजनीति चाहते हैं. नफरत करने वालों और देश में विभाजन फैलाने वालों के अलावा भारत जोड़ो यात्रा में सबका स्वागत है. राहुल ने आगे कहा कि अगर उनके साथ कोई नहीं भी चला तो वह अकेले इस यात्रा पर चल देंगे.

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कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक यात्रा

भारत जोड़ो यात्रा कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक होगी. 150 दिनों तक चलने वाली यह यात्रा 3500 किलोमीटर का सफर तय करेगी और लगभग 12 राज्यों से होकर गुजरेगी. कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता और नेता इस भारज जोड़ो 'पदयात्रा' में हिस्सा लेंगे. इस यात्रा की शुरुआत श्रीपेरंबदूर से हो रही है, जहां 1991 में राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी की हत्या की गई थी. राहुल श्रीपेरंबदूर स्मारक पर 7 सितंबर को श्रद्धांजलि अर्पित करने और ध्यान लगाने के बाद कन्याकुमारी में 'भारत जोड़ो यात्रा' की शुरुआत करेंगे.

राहुल गांधी का श्रीपेरुंबुदूर स्मारक का यह पहला दौरा होगा. इसलिए इसका राहुल गांधी के लिए खास महत्व है. भारत को जोड़ने का प्रतीक यह जगह बनेगी. दक्षिण भारत का महत्व कांग्रेस जानती है. दक्षिण भारत में बीजेपी अभी तक पैर नहीं जमा सकी है, जबकि कांग्रेस वहां ठीक-ठाक ढंग से मौजूद है. भारत जोड़ो यात्रा तमिलनाडु में 7 से 10 सितंबर तक चार दिनों तक चलेगी और अगले दिन से यह यात्रा पड़ोसी राज्य केरल में शुरू हो जाएगी. 

बता दें कि 2014 के चुनाव में जिस तरह से अन्ना आंदोलन के जरिए विपक्ष ने यूपीए सरकार के खिलाफ नैरेटिव सेट किया था, ठीक इसी तर्ज पर राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान आम लोगों से मिलकर बीजेपी सरकार के काम के आधार पर मोदी सरकार के खिलाफ नैरेटिव बनाना चाहते हैं. कांग्रेस नेता पदयात्रा के दौरान भाषणों में संवैधानिक संस्थानों के कथित दुरुपयोग, बेरोजगारी, समाज में विभाजन, किसानों के मुद्दों और अर्थव्यवस्था की स्थिति से संबंधित मुद्दों को उठाएंगे. 

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कांग्रेस भले ही इस यात्रा का संबंध 2024 के आम लोकसभा चुनाव से न होने की बात कर रही हो, लेकिन सियासी तौर पर उसका मकसद साफ है. इस यात्रा से कांग्रेस पार्टी में नई ऊर्जा जरूर आएगी, क्योंकि ऐसी यात्राएं पहले भी निकली हैं और उनका असर भी हुआ है. ऐसे में देखना है कि 2024 चुनाव में कांग्रेस की यह भारत जोड़ो यात्रा पार्टी के लिए संजीवनी बन पाती है या नहीं?

 

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