
दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन जारी है. एक बार फिर सरकार और किसानों के बीच बातचीत होने जा रही है लेकिन दूसरी तरफ इस मसले पर सियासी घमासान भी गहराता जा रहा है. बीजेपी और केंद्र सरकार किसानों को गुमराह करने की बात कर रही है तो कांग्रेस खुले तौर पर किसानों के समर्थन में आवाज उठा रही है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा है कि ऐसा लगता है सरकार किसानों के आंदोलन को बदनाम करना चाहती है. जबकि होना ये चाहिए कि सरकार को किसान संगठनों से बात करनी चाहिए और कृषि कानूनों पर उनकी समस्या का समाधान करना चाहिए.
एक तरफ कांग्रेस जहां केंद्र सरकार को घेर रही है वहीं कांग्रेस की राज्य सरकारें आधिकारिक तौर पर नए कृषि कानूनों को अस्वीकार भी कर रही हैं. राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार नवंबर की शुरुआत में ही विधानसभा में कृषि कानूनों के खिलाफ संशोधन विधेयक पारित कर चुकी है.
राजस्थान के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने बताया है कि गहलोत सरकार दो महीने पहले ही किसानों के हित में विधानसभा में कदम उठा चुकी है, लेकिन राज्यपाल ने अब तक अपनी मंजूरी नहीं दी है.
गौरतलब है कि करीब 3 हफ्तों के अंतराल के बाद किसानों और केंद्र सरकार के बीच एक बार फिर से बातचीत शुरु होगी. 30 दिसंबर यानी कल किसान नेता 7वें दौर की चर्चा के लिए आमने-सामने बैठेंगे. इससे पहले 8 दिसंबर को किसान नेताओं की बातचीत गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई थी. तीन दिन पहले भेजी गई किसानों की चिट्ठी पर सोमवार को अमित शाह और रेल मंत्री पीयूष गोयल के बीच एक बैठक हुई. इस बैठक के बाद ही सरकार ने किसानों को बातचीत के सिलसिले में अपना जवाब भेजा है.