
उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत पांच राज्यों के चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस आगामी चुनावों के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती. कांग्रेस के संगठनात्मक ढांचे और कार्यशैली में बदलाव की उठ रही आवाजों के बीच पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी एक्टिव हो गई हैं और अब इस मुद्दे को टालने के मूड में नहीं हैं. सोनिया कांग्रेस के राजनीतिक पुनरुत्थान के लिए पार्टी नेताओं के साथ ताबड़तोड़ बैठकें कर रही हैं तो चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के 'कांग्रेस रिवाइवल प्लान' और उनके एंट्री की पठकथा लिखी जा रही है.
कांग्रेस देश की राजनीति में अपनी सियासी वापसी के लेकर व्यापक योजना बनाने में जुटा है. मई के दूसरे सप्ताह में कांग्रेस का चिंतन शिविर जयपुर में हो सकता है. ऐसे में कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व चिंतन शिविर से पहले पार्टी के कायाकल्प का स्वरूप तय करने में जुटा है, जिसके लिए एक रोडमैप भी तैयार किया जा रहा. ऐसे में सोनिया गांधी एक तरफ ताबड़तोड़ बैठकें कर रही हैं तो लगे हाथ फैसले भी तेजी से लेती नजर आ रही हैं.
पीके का 'रिवाइवल प्लान' पर मंथन
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने शनिवार को सोनिया गांधी के आवास पर कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं की मौजूदगी में 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 'रिवाइवल प्लान' दिया है. पीके ने इस दौरान बकायदा एक प्रजेंटेशन दिया था और इसमें कांग्रेस की कमियां बताने के साथ ही उन्हें दूर करने के लिए क्या किया जा सकता है, यह भी बताया था. साथ ही कांग्रेस को कितनी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ना और किन राज्यों में गठबंधन के साथ चुनाव में उतरना चाहिए. पीके के इन सुझावों पर काम करने के लिए सोनिया गांधी ने पार्टी नेताओं की एक कमेटी बनाया है.
पिछले पांच दिनों में प्रशांत किशोर सोनिया गांधी के साथ तीन बैठकें कर चुके हैं. ऐसे में प्रशांत किशोर के फॉर्मूले और उनकी पार्टी में एंट्री व भूमिका पर मंथन चल रहा है. माना जा रहा है कि जल्द पीके कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं, जिसके लिए विचार-विमर्श किया जा रहा.
कांग्रेस में बैठकों का दौर जारी
सोनिया गांधी कांग्रेस नेताओं के साथ लगातार बैठकें कर रही है, जिसमें राहुल गांधी, प्रियंका गांधी से लेकर तमाम बड़े नेता शामिल हो रहे हैं. पांच राज्यों के चुनाव में मिली हार के फौरन बाद ही सीडब्ल्यूसी की बैठक भी बुलाई थी और कहा था कि वह संगठन को लेकर मिले सुझावों पर काम कर रही हैं. पांच राज्यों के चुनाव में हार की वजह तलाशने के लिए सोनिया ने एक कमेटी भी गठित कर दी थी और पांचों मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष से इस्तीफा भी मांग लिया था. सोनिया गांधी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ शनिवार से जो बैठक का दौर शुरू की है, उसके बाद से हर रोज दस जनपथ में मीटिंग हो रही हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष ने सोमवार फिर बैठक बुलाई, जो 6 घंटे तक चली और इसमें 2023 के चुनावी राज्यों के साथ ही 2024 के लोकसभा चुनाव की रणनीति को लेकर बातचीत हुई. इस दौरान गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान के विधानसभा चुनाव को लेकर भी चर्चा हुई है. इस दौरान इस बात पर चर्चा हुई कि जिन राज्यों में चुनाव हैं, उनमें कहां पर गठबंधन करना है और क्या कमजोरियां हैं और कितनी ताकत हैं और कैसे नेरेटिव सेट करना है. इसी कड़ी में मंगलवार को मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व सीएम कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के साथ बैठक हुई. इससे पहले राहुल गांधी ने तेलंगाना और झारखंड नेताओं के साथ दिल्ली में बैठक की थी.
कांग्रेस शासित सीएम की आज बैठक
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बुधवार को दिल्ली आ रहे हैं. सोनिया गांधी के साथ दोनों की बैठक प्रस्तावित है. 2023 में छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं. मौजूदा समय में पार्टी अपने दम पर इन्हीं दोनों राज्यों की सत्ता में है, जहां कांग्रेस की साख दांव पर लगी है.
सोनिया गांधी के साथ दोनों सीएम की होने वाले बैठक में चुनावी की तैयारियों को लेकर बातचीत कर सकती हैं. माना जा रहा है कि पार्टी से जुड़े अन्य मसलों के साथ प्रशांत किशोर के प्रस्ताव पर भी उनसे चर्चा होगी. इसके अलावा कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, गुजरात नेताओं के साथ भी बैठक हो सकती है.
गठबंधन के लिए नए सहयोगी की तलाश
प्रशांत किशोर ने कांग्रेस को सुझाव दिया था कि उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडिशा में अकेले चुनाव लड़े. तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में गठबंधन के साथ चुनाव लड़े. इस सलाह पर कांग्रेस नेता सहमत दिखाई दिए. पीके से मुलाकात के बाद कांग्रेस राजनीतिक मोहरे बिछाकर दांव लगाने शुरू कर दिए हैं. कांग्रेस अब नए सहयोगी दलों की तलाश भी शुरू कर दी है. पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को सोनिया गांधी से मुलाकात की थी. माना जा रहा है महबूबा मुफ्ती और कांग्रेस एक बार फिर से कश्मीर घाटी में मिलकर चुनावी मैदान में उतर सकते हैं.
कांग्रेस का चिंतन शिविर राजस्थान में होगा
सियासी संकट के बीच भविष्य की रणनीति को लेकर कांग्रेस का चिंतन शिविर राजस्थान में हो सकता है. कांग्रेस का चिंतन शिविर अगले महीने मई में उदयपुर में आयोजित किया जा सकता है. तीन दिन तक चलने वाले इस शिविर में कांग्रेस के देश भर के नेताओं और कार्यकर्ताओं पार्टी हार के कारण जानने की कोशिश की जाएगी. नेताओं की शिकायतों और आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर रणनीति तय करेगी, जिसमें 2022 व 2023 में होने वाले विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के मुकाबले करने पर चर्चा होगी. राजस्थान में 9 साल के बाद कांग्रेस का चिंतन शिविर होने जा रहा है और इससे पहले 2013 में जयपुर में हुआ था, जहां राहुल गांधी को उपाध्यक्ष चुनाव गया था.
सोनिया ने संगठन में किए बड़े बदलाव
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उत्तर प्रदेश, पंजाब सहित पांच राज्यों के चुनाव में मिली हार के बाद पांचों प्रदेश अध्यक्ष से इस्तीफा ले लिया था. सोनिया गांधी ने पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू की जगह अमरिंदर सिंह बराड़ (राजा वाडिंग) को पार्टी की कमान सौंपी तो भारत भूषण आशू को वर्किंग प्रेसिडेंट और प्रताप सिंह बाजवा को पंजाब के लिए सीएलपी नेता नियुक्त किया है.
ऐसे ही उत्तराखंड में गणेश गोदियाल की जगह करण माहरा को प्रदेश अध्यक्ष तो नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य को बनाया गया. इतना ही नहीं कर्नाटक में कांग्रेस ने जम्बो प्रदेश कार्यकारिणी का गठन किया है, जिसमें 40 वरिष्ठ नेताओं को उपाध्यक्ष, 109 नेताओं को महासचिव नियुक्त किया. कांग्रेस ने संगठन के जरिए कर्नाटक के जातीय समीकरण को साधने की कवायद की है.
अनुशासन तोड़ने वाले नेताओं पर एक्शन
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी एक तरफ संगठन को दुरुस्त कर रही हैं तो पार्टी के खिलाफ अनुशासनत्मक कार्रवाई करने वालों नेताओं पर भी गाज गिरनी शुरू हो गई है. पंजाब में कांग्रेस की हार के पीछे नेताओं की गुटबाजी और बयानबाजी रही है.
ऐसे में पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख सुनील जाखड़ और केरल में कांग्रेस के दिग्गज नेता केवी थॉमस के खिलाफ पार्टी लाइन के खिलाफ जाने के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए कारण बताए नोटिस दिया गया है. जाखड़ पर पार्टी विरोधी बयानबाजी का आरोप है और पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की आलोचना की थी जबकि थामस ने माकपा की रैली में भाग लिया था. माना जा रहा है कि कड़ा संदेश देने पर दोनों नेताओं को छह साल तक के लिए निष्कासित किया जा सकता है.