
देशभर में 16 जनवरी से कोरोना वैक्सीन लगाए जाने की शुरुआत हो चुकी है. वैक्सीन की कीमतों और गरीबों तक उसकी उपलब्धता को लेकर चिंताएं जाहिर की जा रही हैं. भारत में दो टीकों के आपातकालीन उपयोग को अनुमति मिली है, एक कोविशील्ड, दूसरी कोवैक्सीन को. इस बीच, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने दोनों ही वैक्सीन की कीमतों को लेकर सवाल उठाएं हैं.
सुरजेवाला ने कहा है 'कोविशील्ड’ एक ‘एस्ट्राजेनेका एजेड वैक्सीन’ है, जो ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’- SII द्वारा बनाई गई है. सीरम इंस्टीट्यूट यह वैक्सीन भारत सरकार को 200 रुपये प्रति खुराक की दर से दे रहा है. एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन ‘बिना कोई मुनाफा कमाए’देने का वादा किया है. बेल्जियम के मंत्री, ऐवा डे ब्लीकर के अनुसार, उनके लिए एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की कीमत 1.78 यूरो (2.18 अमेरिकी डाॅलर) यानि 158 रुपये है. सवाल यह उठता है कि भारत सरकार सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के लिए ज्यादा राशि यानि 200 रुपये क्यों दे रही है, जबकि उन्होंने वैक्सीन, ‘बिना कोई मुनाफा कमाए’ देने का वादा किया है.''
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कोवैक्सीन पर सवाल उठाते हुए सुरजेवाला ने कहा कि भारत बायोटेक कोवैक्सीन का उत्पादन कर रहा है. कोवैक्सीन भारत सरकार को 295 रुपये प्रति खुराक की दर से मुहैया कराई जा रही है. भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के सहयोग से कोवैक्सीन बनाई है. साथ ही, ‘कोवैक्सीन’ को अनुमति, पहले चरण में 375 प्रतिभागियों एवं दूसरे चरण में 380 प्रतिभागियों यानि कुल 755 प्रतिभागियों पर ट्रायल किए जाने के बाद दी गई है.
कांग्रेस नेता ने पूछा कि, "तीसरे चरण के परीक्षणों का अभी इंतजार है. सवाल यह है मोदी सरकार भारत बायोटेक को इस वैक्सीन के लिए 95 रुपये ज्यादा क्यों दे रही है? जबकि इसका विकास भारत सरकार के स्वामित्व की आईसीएमआर के वैज्ञानिकों ने अपने अनुभव व विशेषज्ञता द्वारा किया है? मोदी सरकार इस वैक्सीन के लिए ज्यादा मूल्य क्यों दे रही है, जिसका परीक्षण केवल 755 लोगों पर किया गया है और इसके तीसरे चरण के परिणामों का अभी भी इंतजार है?''
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, ''क्या इस वैक्सीन का मूल्य सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन- एस्ट्राजेनेका से कम नहीं होना चाहिए? कोरोना वैक्सीन का मूल्य ‘खुले बाजार’ में 1000 रुपये प्रति खुराक क्यों है? 11 जनवरी, 2021 को, सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदर पूनावाला ने साफ तौर से कहा कि वो एस्ट्राजेनेका की ‘कोविशील्ड वैक्सीन’ खुले बाजार में 1000 रुपये प्रति खुराक में बेचेंगे यानि व्यक्ति के लिए जरूरी दो खुराकों की कीमत 2000 रुपये होगी. प्रश्न यह है कि जब ‘कोविशील्ड वैक्सीन’ एसआईआई द्वारा सरकार को 200 रुपये प्रति खुराक के हिसाब से दी जा रही है, तो उन्हें इसे बाजार में 500 प्रतिशत मुनाफे पर बेचकर लोगों की जेब पर डाका डालने की अनुमति कैसे दी जा सकती है?
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, ''क्या मोदी सरकार का यह कर्तव्य नहीं कि वो सुनिश्चित करे कि लोगों को ‘कोविशील्ड वैक्सीन’ 1000 रुपये प्रति खुराक की बजाय 200 रुपये प्रति खुराक में मिले, ताकि लोग इसे आसानी से खरीद सकें?''
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ''जब एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन ‘बिना कोई मुनाफा कमाए’ देने का वादा किया है, तो सीरम इंस्टीट्यूट को 1000 रुपये प्रति खुराक के हिसाब से लेने की अनुमति क्यों दी जा रही है, जबकि सरकार को वो 200 रुपये प्रति खुराक के हिसाब से वैक्सीन दे रहे हैं? क्या कोरोना वैक्सीन ‘राष्ट्रीय आवश्यक दवाइयों की सूची’ में नहीं रखी गई है और क्या 1000 रुपये प्रति खुराक का मूल्य लिए जाने की अनुमति राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल प्राईसिंग अथाॅरिटी द्वारा दी गई है? मोदी सरकार ‘उत्पादन की लागत’, ‘लाईसेंसिंग’ एवं ‘मुनाफे के मार्जिन’ में कंपनियों से पारदर्शिता रखने की मांग क्यों नहीं कर रही?''
सुरजेवाला ने कहा, ''यदि प्रति खुराक 1000 रुपये का ‘ऑफ द शेल्फ’ मूल्य तय करने की अनुमति दे दी जाएगी (एक व्यक्ति के लिए जरूरी 2 खुराक का मूल्य 2000 रुपये), तो हर नागरिक को कोरोना वैक्सीन के लिए 1600 रुपये ज्यादा देने होंगे (सरकार को 400 रुपये में दी जा रही 2 खुराक के मूल्य के अलावा). उदाहरण के लिए यदि 100 करोड़ लोग वैक्सीन के लिए 1600 रुपये अतिरिक्त देंगे, तो दवा कंपनियों को 1,60,000 करोड़ रुपये का मुनाफा होगा.''