
देश में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण अस्पतालों में बेड से लेकर ऑक्सीजन तक की कमी को लेकर गंभीर संकट की स्थिति बनी हुई है. स्वास्थ्य सेवा की बिगड़ती हालत को लेकर देश के अलग-अलग सूबे के हाईकोर्ट को राज्य सरकार और केंद्र सरकार को फटकार लगानी पड़ रही है. दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि किसी से उधार लो या चोरी करो, ऑक्सीजन लेकर आइए, हम मरीजों को मरता हुआ नहीं देख सकते हैं. मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु तो पटना हाईकोर्ट ने बिहार में ऑक्सीजन की कमी पर खुद से संज्ञान लेते राज्य सरकार को सख्त हिदायत दी है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को खरी-खरी सुनाई
दिल्ली के अस्पताल ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं. ऐसे में मैक्स अस्पताल समूह ने बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट में दायर एक याचिका में कहा था कि उसके अस्पतालों में ऑक्सीजन का स्तर गिर चुका है, उसे तुरन्त ऑक्सीजन चाहिए. ऐसे में दिल्ली हाई कोर्ट ने ऑक्सीजन आपूर्ति नहीं करने को लेकर सख्ट टिप्पणी करते हुए केंद्र सरकार से कहा, 'हमें लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करनी है और हम आदेश देते हैं कि आप भीख मांगें, उधार लें या चोरी करें, जो करना हो करें लेकिन आपको ऑक्सीजन देना है. हम लोगों को मरते हुए नहीं देख सकते.'
केंद्र सरकार ने दिल्ली के ऑक्सीजन का कोटा बढ़ाने का निर्देश दिया है. दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी को लेकर स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का कहना है कि अलग-अलग जगह हालात अलग हैं, किसी अस्पताल में 6 घंटे का स्टोरेज है और किसी अस्पताल में 10 घंटे का स्टोरेज है. लेकिन हालात ठीक नहीं हैं. हालांकि, हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को सभी अस्पतालों को ऑक्सीजन मुहैया कराने का निर्देश दिया है. साथ ही जरूरत पड़ने पर इंडस्ट्री की सप्लाई रोकने की भी बात कही है.
पटना हाईकोर्ट ने लगाई फटकार
बिहार में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. कोरोना के कहर को रोकने के लिए राज्य सरकार की किसी भी व्यापक कार्य योजना के अभाव पर नाराजगी जताते हुए पटना हाईकोर्ट ने बिहार मानवाधिकार आयोग से हस्तक्षेप करने की मांग की. कोर्ट ने कहा कि अगर अदालत इस नतीजे पर पहुंचती है कि कोरोना रोगियों को ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी के कारण मरने दिया जा रहा है, तो वह न्यायिक समीक्षा की अपनी शक्ति का प्रयोग करेगी.
हाईकोर्ट ने कहा कि ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी के कारण विभिन्न सरकारी और निजी अस्पतालों में होने वाली मौतों के बारे में गंभीर मुद्दे उठाए गए हैं. यदि ऐसे आरोप सत्य हैं तो यह अदालत ऐसे पहलुओं को नजरअंदाज नहीं कर सकती है, क्योंकि यह सीधे तौर पर किसी नागरिक के मौलिक अधिकार से संबंधित हैं. नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करा पाने में विफलता अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है.
मद्रास हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन कमी को संज्ञान लिया
कोरोना की बढ़ती रफ्तार के चलते तमिलनाडु में रेमडेसिविर और ऑक्सीजन की भारी किल्लत से जूझ रहा है. ऐसे में मद्रास हाईकोर्ट ने खुद से संज्ञान लेते हुए रेमडेसिविर और ऑक्सीजन की कमी को लेकर राज्य सरकार से जवाब मांगा. तमिलनाडु के लिए वर्तमान ऑक्सीजन की आवश्यकता प्रति दिन 200 मीट्रिक टन है. ऐसे में केंद्र सरकार ने चेन्नाई प्लांट से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को 45 मीट्रिक टन ऑक्सीजन देने का आदेश दिया है. केंद्र सरकार के इस निर्णय से तमिलनाडु में दिक्कत खड़ी हो गई है. ऐसे राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग केंद्र सरकार के फैसले से खुश नहीं है, क्योंकि राज्य के साथ इस संबंध में पर्याप्त चर्चा नहीं की है, जिसके चलते दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.
जबलपुर हाईकोर्ट की शिवराज सरकार को फटकार
मध्य प्रदेश में कोरोना महामारी के बीच चिकित्सा व्यवस्थाओं की बदइंतजामी पर जबलपुर हाईकोर्ट ने शिवराज सरकार को फटकार लगाई और कहा कि हम मूक दर्शक बनकर नहीं रह सकते हैं. साथ ही सरकार को आक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा. इसके साथ केंद्र सरकार आक्सीजन सप्लाई पर दखल दे और जरूरी हो तो उद्योगों को दी जाने वाले आक्सीजन हेल्थ सेक्टर को दी जाए. कांग्रेस नेता राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा की याचिका पर भी सुनवाई करते हाईकोर्ट ने कहा कि अस्पतालों के बाहर रेमडेसिविर इंजेक्शन की कीमत चस्पा करवाई जाए. जरूरत के वक्त एक घंटे में मरीज को इंजेक्शन मिले और प्रदेश में संचालित कोविड केयर सेंटर को दोबारा चालू किया जाए
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार को लॉकडाउन लगाने को कहा था
उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले दिन ब दिन बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में प्रदेश के तमाम बड़े शहरों में हेल्थ सेक्टर पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है. ऐसे में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार को लखनऊ, प्रयागराज, गोरखपुर, कानपुर और बनारस में लॉकडाउन लगाने का निर्देश दिया था. कोर्ट के इस निर्णय को योगी सरकार ने सुप्रीमो कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसके बाद लॉकडाउन लगाने पर रोक लगा दी थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में राज्य सरकार को एक हफ्ते में इलाहाबाद हाई कोर्ट को यह बताने को कहा कि उसने कोरोना संक्रमण पर प्रभावी नियंत्रण पाने के लिए क्या-क्या कदम उठाए हैं. सुप्रीम कोर्ट अब दो हफ्ते बाद इस पर सुनवाई करेगा.