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दिल्ली हिंसा-सीएए प्रोटेस्टर्स के बीच लिंक जोड़ने की कोशिश कर रही पुलिस: येचुरी

येचुरी ने अपने ट्वीट में लिखा है कि दिल्ली पुलिस, बजाय कि 53 लोगों की मौत के मामले में हेट स्पीच देने वाले और हिंसा फैलाने वालों की जांच करे, वो सीएए के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने वाले लोगों और सांप्रदायिक हिंसा के बीच में लिंक बनाने की कोशिश कर रही है

दिल्ली पुलिस पर भड़के येचुरी (फाइल फोटो) दिल्ली पुलिस पर भड़के येचुरी (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 7:15 PM IST
  • उमर खालिद की गिरफ्तारी पर भड़के येचुरी
  • दिल्ली पुलिस की जांच को बताया पक्षपातपूर्ण
  • येचुरी बोले गृह मंत्रालय के निर्देश पर हो रहा काम

दिल्ली में जनवरी महीने में हुई हिंसा मामले में पुलिस कार्रवाई पर अब कई लोग सवाल खड़े कर रहे हैं. सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद की गिरफ्तारी को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली दिल्ली पुलिस, बजाय कि 53 लोगों की मौत के मामले में हेट स्पीच देने वाले और हिंसा फैलाने वालों की जांच करे, वो सीएए के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने वाले लोगों और सांप्रदायिक हिंसा के बीच में लिंक बनाने की कोशिश कर रही है. इसके साथ ही उन्होंने UAPA एक्ट के तहत गिरफ्तार किए गए लोगों को तुरंत छोड़ने की भी मांग की है. 

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येचुरी ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'निरर्थक.. बजाय कि 53 लोगों की मौत के मामले में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ जांच करे, जिन्होंने हेट स्पीच के जरिए समाज में आग लगाने और हिंसा फैलाने का काम किया, गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली दिल्ली पुलिस, सीएए के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने वाले लोगों और सांप्रदायिक हिंसा के बीच में लिंक बनाने की कोशिश कर रही है.' 

उन्होंने आगे लिखा, 'जिन लोगों को UAPA एक्ट के तहत गिरफ्तार किया है, उन्हें रिलीज करो. रिटायर्ड जजों के नेतृत्व में दिल्ली हिंसा मामले की जांच कर रही एक स्वतंत्र संस्था भी, गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देश पर, दिल्ली पुलिस द्वारा की जा रही इस पक्षपातपूर्ण जांच के खिलाफ है.'

फरवरी महीने में दिल्ली में हुए दंगों की जांच कर रही पुलिस की सप्लीमेंट्री चार्जशीट को लेकर भी राजनीतिक तूफान मचा है. चार्जशीट में सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी और स्वराज अभियान के योगेंद्र यादव समेत कुछ राजनीतिक और सामाजिक नेताओं के नाम हैं. इन नामों को लेकर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है. 

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ममता ने कहा है कि जिन लोगों ने सीएए विरोधी प्रदर्शन में हिस्सा लिया, उन पर आरोप लगाए गए हैं, यह ठीक नहीं है. कानून का पालन होना चाहिए.

ममता बनर्जी ने कहा, पहले उन्होंने येचुरी, योगेंद्र यादव का नाम लिया. मैं आग्रह करना चाहती हूं... सब लोग जानते हैं कि दंगे हुए... जिन लोगों ने सीएए विरोधी प्रदर्शन में हिस्सा लिया, उन पर आरोप मढ़ दिए गए. यह सही नहीं है... कानून का सही ढंग से पालन होना चाहिए. क्या लोग नहीं देख रहे कि वे क्या कर रहे हैं, हर दिन फर्जी खबरें फैलाई जा रही हैं. वे लोग कोविड के नियमों का भी पालन नहीं करते. उनका कहना है कि कोविड अब खत्म हो गया है. 

वहीं दिल्ली पुलिस ने साफ किया है कि सीताराम येचुरी और योगेंद्र यादव दंगों के आरोपी नहीं हैं लेकिन सप्लीमेंट्री चार्जशीट में उनके नाम लिखे जाने पर सियासी सवाल उठ रहे हैं. 

इधर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एमबी लोकुर ने भी कहा है कि राजद्रोह कानून का इस्तेमाल लोगों की आवाज दबाने के लिए किया जा रहा है. जस्टिस लोकुर ने कहा कि सरकारें आवाज पर हथौड़े की तरह राजद्रोह कानून का उपयोग कर रही है. वे सोमवार को 'फ्रीडम ऑफ स्पीच एंड ज्यूडिशियरी' विषय पर आयोजित वेबिनार में बोल रहे थे.

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सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज ने कहा कि अचानक आपके सामने ऐसे कई केस हैं, जिनमें लोगों के खिलाफ राजद्रोह की धारा का उपयोग किया गया. एक आम नागरिक कुछ कहता है तो उसके खिलाफ राजद्रोह की कार्रवाई हो रही है. उन्होंने कहा कि देश में इस साल अब तक राजद्रोह के 70 केस दर्ज हो चुके हैं. 

उन्होंने कहा कि सरकारें आवाज नियंत्रित करने के लिए एक और तरीके का इस्तेमाल कर रही है. किसी क्रिटिकल विषय पर राय देने पर उस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है और फर्जी समाचार फैलाने के आरोप लगाए जा रहे हैं.

 

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