
कोरोनाकाल में विपक्ष की ओर से की जा रही संसदीय समिति की वर्चुअली मीटिंग की मांग को लोकसभा और राज्यसभा ने ठुकरा दिया है. कांग्रेस सांसद और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को चिट्ठी लिखकर संसदीय समिति की वर्चुअल मीटिंग कराए जाने की मांग की थी. उनकी इस मांग को खारिज कर दिया गया है.
दरअसल, कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों की तरफ से संसदीय समिति की बैठक वर्चुअली कराने की मांग की गई थी. उनका कहना था कि कोरोना की दूसरी लहर की वजह से फिजिकल मीटिंग संभव नहीं है, इसलिए वर्चुअल मीटिंग को अनुमति दी जाए. इस पर राज्यसभा के सभापति और लोकसभा स्पीकर ने कहा कि पहली लहर के वक्त भी ये मुद्दा उठा था, लेकिन नियम इसकी अनुमति नहीं देते.
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राज्यसभा सचिवालय की तरफ से जारी चिट्ठी में लिखा गया है कि संसदीय समिति की बैठक गुप्त होती हैं और मौजूदा प्रावधानों में संसदीय समिति की वर्चुअली मीटिंग का प्रावधान नहीं है. वर्चुअली मीटिंग के लिए नियमों में बदलाव करना होगा और नियमों में बदलाव के लिए संसद की मंजूरी की जरूरत होगी. उससे पहले वर्चुअल मीटिंग नहीं हो सकती.
सिर्फ कांग्रेस ही नहीं बल्की दूसरी विपक्षी पार्टियों ने भी संसदीय समिति की बैठक वर्चुअली कराने की मांग की थी. तृणमूल कांग्रेस की ओर से भी इस संबंध में तीन बार चिट्ठी लिखी गई थी. टीएमसी की तरफ से पिछले साल जुलाई और अगस्त में चिट्ठी लिखी गई थी. उसके बाद 7 मई को तीसरी बार मांग की गई थी.
इस पर टीमसी सांसद डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा कि सेंट्रल विस्टा बनाया जा रहा है, लेकिन संसद के नॉर्म्स को तबाह किया जा रहा है. क्यों? उन्होंने कहा, "जुलाई 2020 से टीएमसी संसदीय समिति की वर्चुअल मीटिंग को लेकर तीन बार चिट्ठी लिख चुकी है. दूसरी विपक्षी पार्टियों की तरफ से लिखा गया है. पर अब वर्चुअल मीटिंग को इजाजत न देना का मतलब है कि विपक्ष कोरोना के हालातों के लिए केंद्र सरकार को जवाबदेह नहीं ठहरा सकता."