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'कोश्यारी को MVA नेताओं ने भेजा था धमकी भरा पत्र', डिप्टी CM फडणवीस का दावा

महाराष्ट्र में भगत सिंह कोश्यारी के राज्यपाल पद से इस्तीफा देने के बाद भी राजनीति खत्म नहीं हो रही है. अब डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि कोश्यारी को MLC नामांकन के दौरान MVA नेताओं ने धमकी भरे लहजे में पत्र भेजा था.

भगत सिंह कोश्यारी और देवेंद्र फडणवीस (फाइल फोटो) भगत सिंह कोश्यारी और देवेंद्र फडणवीस (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • मुंबई,
  • 21 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 4:22 PM IST

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया कि उन्हें पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने बताया था कि MVA नेताओं ने MLC नॉमिनेशन को लेकर धमकी भरे लहजे में उन्हें एक पत्र लिखा था. इतना ही नहीं इसे वापस लेने से इनकार कर दिया था.

एजेंसी के मुताबिक पुणे में पत्रकारों से बात करते हुए फडणवीस ने कहा कि मेरी जानकारी के अनुसार महाविकास अघाड़ी के नेताओं ने राजभवन का दौरा किया था और तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की थी. फडणवीस ने दावा किया कि कोश्यारी ने मुझे बताया था कि महा विकास अघाड़ी के नेताओं ने उन्हें धमकी भरे लहजे में पत्र लिखा था. 

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दरअसल, एमएलसी नामांकन को लेकर तत्कालीन महाविकास अघाड़ी सरकार और भगत सिंह कोश्यारी के बीच तकरार चली थी. ये बड़ा मुद्दा बना था. इतना ही नहीं, भगत सिंह कोश्यारी ने कहा था कि एमएलसी नामांकन को लेकर एमवीए नेताओं ने उन्हें धमकाने की कोशिश की थी.

उधर, MVA गुट ने कोश्यारी पर भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया था. जब भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र के राज्यपाल के पद से इस्तीफा दे दिया, तो महाराष्ट्र में विपक्ष ने कोश्यारी के कार्यकाल की जमकर आलोचना की. साथ ही उनके इस्तीफे को कांग्रेस ने महाराष्ट्र की जीत करार दिया था.

राज्यपाल की कुर्सी पर लगभग 3 साल रहे कोश्यारी इस छोटे से कार्यकाल में अपने बयानों और फैसलों से कई बार विवाद खड़ा कर चुके हैं. अपने कार्यकाल के दौरान महाविकास अघाड़ी के साथ भी उनकी तनातनी खुलकर नजर आई. वहीं उनके बयानों को लेकर विपक्ष लगातार उन पर निशाना साधता रहा और बीजेपी के इशारे पर काम करने का आरोप लगाता रहा. उन्होंने कई बार ऐसे बयान दिए, जिसको लेकर विवाद छिड़ गया और माफी तक मांगनी पड़ी. इसी साल जनवरी में उन्होंने महाराष्ट्र राजभवन में आयोजित जैन समुदाय के एक कार्यक्रम में कहा था कि भले ही इस पद पर उन्हें कोई खुशी नहीं है, लेकिन जब आध्यात्मिक नेता गवर्नर हाउस में आते हैं और वे ऐसे कार्यक्रमों में भाग लेते हैं तो उन्हें बहुत खुशी मिलती है.
 

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