
महाराष्ट्र की राजनीति में साल 2019 में उस दिन सबसे बड़ा सियासी खेला हुआ था जब देवेंद्र फडणवीस ने बतौर मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजीत पवार ने बतौर डिप्टी सीएम शपथ ली थी. उस समय विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बनाने का बहुमत बीजेपी और शिवसेना को मिला. लेकिन बात नहीं बनी तो शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया. तब बीजेपी भी अपनी रणनीति पर काम करती रही और देखते ही देखते अजीत पवार के साथ मिलकर सरकार बना ली. अब उसी बड़े राजनीतिक घटनाक्रम पर डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने विस्तार से बात की है.
फडणवीस ने बड़ा दावा करते हुए कहा है कि 2019 वाली इस सियासी घटना की पूरी जानकारी एनसीपी प्रमुख शरद पवार को थी. वे कहते हैं कि हमे एनसीपी से एक ऑफर मिला था, एक स्टेबल सरकार बनाने की बात हुई थी. हमने फिर आगे बढ़ने का फैसला किया. बातचीत शरद पवार से हुई थी. लेकिन उसके बाद चीजें बदल गईं. आप सभी जानते हैं कि क्या हुआ था. मैं ईमानदारी से ये कह सकता हूं कि अजीत पवार ने मेरे साथ पूरी निष्ठा के साथ शपथ ली थी. लेकिन बाद में एनसीपी की रणनीति बदल गई.
अब ये दावा तो देवेंद्र फडणवीस ने किया है, लेकिन एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने बोला कि मुझे लगता था कि देवेंद्र फडणवीस एक सज्जन इंसान हैं. मुझे कभी उम्मीद नहीं थी कि वे इस तरह से झूठी बयानबाजी करेंगे. अब महाराष्ट्र की राजनीति का ये वो चैप्टर जिसे लेकर दावे दोनों तरफ से होते हैं, आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी हमेशा ही रहा है. 2019 के चुनाव की बात करें तो बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. उसके खाते में 105 सीटें गई थीं, वहीं तब उसकी साथी शिवसेना ने 56 सीटें जीत ली थीं, ऐसे में दोनों के पास साथ मिलकर स्पष्ट बहुमत था. लेकिन मुख्यमंत्री कौन बनेगा वाली लड़ाई ने शिवसेना को बीजेपी से अलग करवा दिया और फिर उद्धव ने कांग्रेस-एनसीपी से हाथ मिला सरकार बनाई.