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संसद परिसर में अब धरने, भूख हड़ताल पर पाबंदी! कांग्रेस बोली- D(h)arna मना है

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक फोटो ट्वीट किया है. इसके मुताबिक, संसद भवन (Parliament house) के परिसर में धरना, हड़ताल, भूख हड़ताल नहीं हो सकेगी.

संसद भवन के परिसर में कई मौकों पर प्रदर्शन हुए हैं (फाइल फोटो) संसद भवन के परिसर में कई मौकों पर प्रदर्शन हुए हैं (फाइल फोटो)
पॉलोमी साहा/अशोक सिंघल
  • नई दिल्ली,
  • 15 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 12:52 PM IST
  • 18 जुलाई से मानसून सत्र शुरू होगा
  • असंसदीय शब्दों की लिस्ट पर पहले से विवाद है

संसद भवन के परिसर में क्या अब धरना प्रदर्शन पर भी रोक रहेगी? इससे जुड़ा एक आदेश शेयर करते हुए कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरा है. शेयर किये गए आदेश के मुताबिक, संसद भवन के परिसर में कोई सदस्य धरना, हड़ताल, भूख हड़ताल नहीं कर सकेगा. इसके साथ-साथ कोई धार्मिक कार्यक्रम भी वहां नहीं आयोजित हो सकेगा. इस फैसले पर विपक्ष भड़क गया है.

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हालांकि, बाद में सामने आया है कि संसद भवन में किसी भी धरना प्रदर्शन को लेकर पहले भी इस तरह के लेटर जारी करते रहे हैं.

साल 2021 में भी ऐसा आदेश जारी हुआ था

राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के सीनियर नेता जयराम रमेश ने भी इसपर ट्वीट किया. उन्होंने आदेश की कॉपी को शेयर करते हुए लिखा, 'विश्वगुरु का नया काम- D(h)arna मना है.

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी इसपर ट्वीट किया. उन्होंने लिखा कि पीठासीन अधिकारी सदस्यों के साथ टकराव का मंच तैयार क्यों कर रहे हैं. पहले असंसदीय शब्दों पर टकराव और अब यह. ये सच में दुर्भाग्यपूर्ण है.

मॉनसून सत्र से पहले यह दूसरा विवाद है. इससे पहले लोकसभा सचिवालय की तरफ से जारी एक लिस्ट पर विवाद थमा नहीं है. इसमें कई शब्दों को असंसदीय शब्द बताकर उनपर पाबंदी लगा दी गई है, मतलब इनको लोकसभा और राज्यसभा में नहीं बोला जा सकेगा.

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इसमें जुमलाजीवी, तानाशाह, शकुनि, जयचंद, विनाश पुरुष, खून से खेती आदि को असंसदीय शब्द बताकर इनकी लंबी-चौड़ी लिस्ट तैयार की गई. विपक्ष इसपर भी मुखर है. राहुल गांधी, असदुद्दीन ओवैसी के साथ-साथ आम आदमी पार्टी ने मोदी सरकार को घेरा है.

इसपर सफाई यह भी आई है कि समय-समय पर लोकसभा सचिवालय ऐसे शब्दों को असंसदीय शब्दों की सूची में शामिल करता है जिन्हें लोक सभा, राज्य सभा अथवा राज्य विधान सभाओं और विधान परिषदों द्वारा असंसदीय शब्द बता कर कार्यवाही से हटाया जाता है. इनमें कॉमनवेल्थ संसदों में घोषित किए असंसदीय शब्द भी होते हैं. इस बार जारी की गई सूची में 2021 में असंसदीय बता कर हटाए गए शब्दों को जोड़ा गया है.

बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 105 (2) के तहत सांसदों को विशेषाधिकार मिलते हैं. सदन के अंदर वे जो भी कहते हैं उसके लिए उन पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता. इसीलिए लोक सभा के नियम 380 के तहत लोक सभा अध्यक्ष को यह अधिकार है कि वह ऐसे शब्दों को सदन की कार्यवाही से निकाल दे जो असंसदीय, अभद्र या डेफेमेट्री हैं. नियम 381 के तहत असंसदीय कह कर हटाए गए शब्दों को तारांकित करके सदन की कार्यवाही से निकाला जा सकता है.

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