
लोकसभा चुनाव में केरल में एलडीएफ को मिली करारी हार के बाद सीपीआईएम और उसके मुख्य सहयोगी सीपीआई के बीच अंदरूनी कलह शुरू हो गई है. लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट या वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) केरल राज्य में वामपन्थी राजनीतिक दलों का एक गठबंधन है. सीपीआई ने अपनी राज्य कार्यकारिणी की बैठक में सीपीआईएम और उसके नेतृत्व की शैली की कड़ी आलोचना की. सीपीआई ने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और उनकी कार्यशैली की कड़ी आलोचना की. समिति के सदस्यों ने कहा कि सीएम और उनकी कार्यशैली पर फैसला सीपीआई (एम) को लेना चाहिए.
समिति के सदस्यों ने यह भी कहा कि पिनाराई विजयन के कामकाज का तरीका ऐसा ही है और इसे बदलने के लिए अब कुछ नहीं किया जा सकता. इससे पहले, सीपीआई (एम) की राज्य समिति और राज्य सचिवालय, जिला समितियों ने भी सीएम पिनाराई विजयन पर कड़ा प्रहार किया था. सीपीआई ने कहा कि एलडीएफ के संयोजक ईपी जयराजन उस पद पर बने रहने के लायक नहीं हैं. यह उस पृष्ठभूमि में है जब ईपी जयराजन ने मतदान के दिन कहा था कि उन्होंने भाजपा केरल प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर से मुलाकात की थी, लेकिन इसमें कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई.
सीपीआई (एम) की ओर से इस पर संज्ञान लेने में अक्षमता है. सीपीआई ने यह भी कहा कि नव केरल सभा, राज्य सरकार की एक पहल जिसके तहत मुख्यमंत्री और मंत्री लोगों से मिलने के लिए निर्वाचन क्षेत्रों में यात्रा करते थे, विफल रही. पार्टी ने कहा कि नव केरल सभा की बजाय एलडीएफ की रैली होती तो बेहतर होता. इससे पहले सीपीआई के राज्य सचिव बिनॉय विश्वम ने सीपीआई (एम) की छात्र शाखा एसएफआई की आलोचना की थी. उन्होंने कहा कि एसएफआई की कार्यशैली वामपंथी छात्र संगठन की नहीं है और उसे अपने तौर-तरीके बदलने होंगे.