
तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके और राज्यपाल आरएन रवि के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है. अब के संगठन सचिव आर एस भारती ने कहा कि अगर पूर्व सीएम जे. जयललिता जीवित होतीं तो वह बिना पिटे नहीं निकल पाते. हाल में उन्होंने अपने हालिया भाषण में अप्रत्यक्ष रूप से राज्यपाल की तुलना बिहार के प्रवासी श्रमिकों से की थी, जो तमिलनाडु में पानीपुरी बेचते हैं.
उन्होंने तब दावा किया कि एक राज्यपाल का काम उस कार्यकर्ता से अलग नहीं होता, जो दावत के बाद केले के पत्तों को साफ करता है. उसे विधानसभा भाषण के दौरान अपनी राय बताने का अधिकार नहीं है. वहीं इस मामले में तमिलनाडु के कानून मंत्री डीएमके सांसदों के साथ आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करेंगे.
गवर्नर का काम दावत के बाद पत्तल उठाने जैसा
संगठन सचिव ने कहा- आपके गवर्नर का काम दावत के बाद केले के पत्तों को साफ करने जैसा है. वह भाषण उस भोजन की तरह था, जिसमें मीठा और तरह-तरह के स्वादिष्ट भोजन होते हैं. आपको लगता है कि अगर खाने पर बैठे व्यक्ति के सामने से हटा लिया जाए और उसे वह परोसा जाए तो आप उन्हें खिलाना चाहते हैं तो क्या वह व्यक्ति शांत बैठेगा.
इसके बाद आरएस भारती ने कहा कि अगर उन्होंने जयललिता के कार्यकाल में ऐसा किया होता तो राज्यपाल को झेलना पड़ जाता. उन्होंने कहा, "मैं शेखी नहीं बघार रहा हूं, लेकिन अगर जयललिता जिंदा होतीं, तो राज्यपाल मार खाए बिना नहीं बच पाते."
सीएम इशारा भी कर देते तो वे घर नहीं जा पाते
आरएस भारती ने दावा किया था कि डीएमके मंत्री शेखर बाबू को पता होता कि राज्यपाल इस तरह से काम करेंगे, तो चीजें अलग होतीं. उन्होंने पिछले दिनों कहा था कि अगर सीएम चाहते तो स्पीकर मार्शल से कहकर राज्यपाल को विधानसभा से हटा दिया होता. इस बयान पर जब आरएस भारती से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा- “हमारे पास कई शेखर बाबू हैं, जो सीएम एमके स्टालिन के नियंत्रण में हैं. उनका आंखों से इशारा करना ही काफी होती, वह अपने घर नहीं जा पाते. क्या किसी व्यक्ति पर कुछ फेंकने के लिए येल से डिग्री लेने की जरूरत है?”
सदन में राज्यपाल के निजी विचारों की जगह नहीं
तमिलनाडु सरकार ने 10 जनवरी को कहा था कि विधानसभा को संबोधित करने के दौरान राज्यपाल को राज्य सरकार द्वारा तैयार अभिभाषण को ही पढ़ना चाहिए. उसमें उनके निजी विचारों या आपत्ति के लिए कोई जगह नहीं है. सरकार ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 176 के तहत साल के पहले विधानसभा सत्र के पहले दिन राज्यपाल का अभिभाषण राज्य सरकार की नीतियों, योजनाओं और उपलब्धियों के बारे में बताने वाला होता है.
मालूम हो कि एक दिन पहले यानी 9 जनवरी को राज्यपाल आरएन रवि ने अपने अभिभाषण का कुछ हिस्सा नहीं पढ़ा था. इसके अलावा उन्होंने कुछ टिप्पणियां भी कीं, जिसके बाद सीएम ने लिखित भाषण से इतर कही गई बातों के खिलाफ प्रस्ताव पेश कर दिया.
उन्होंने कहा, ‘संविधान के अनुसार, परंपरा है कि राज्यपाल (राज्य) सरकार द्वारा तैयार भाषण पढ़ते हैं. इस अभिभाषण में राज्यपाल के निजी विचारों और आपत्तियों के लिए कोई स्थान नहीं है.’