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पेट्रोल-डीजल जीएसटी में लाने पर सरकार का यू-टर्न? राज्यसभा में बोले सुशील मोदी, ‘अगले 8-10 साल तक संभव नहीं’

संसद में वित्त विधेयक-2021 पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को लोकसभा में कहा था कि सरकार राज्यों के प्रस्ताव लाने पर पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में लाने पर विचार करने के लिए तैयार है. लेकिन बुधवार को राज्यसभा में भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने अगले 8-10 साल तक इसके होने पर असमर्थता जताई. जानें क्या बोले मोदी...

सुशील मोदी (Photo:File) सुशील मोदी (Photo:File)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 1:42 PM IST
  • ‘पेट्रोल-डीजल पर अभी 60% कर है लगता’
  • ‘कैसे होगी राज्यों के नुकसान की भरपाई?’
  • ‘मुकेश कुमार-मुकेश अंबानी पर एक जैसा कर’

संसद में वित्त विधेयक-2021 पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को लोकसभा में कहा था कि सरकार राज्यों के प्रस्ताव लाने पर पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए तैयार है. लेकिन बुधवार को राज्यसभा में भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने अगले 8-10 साल तक इसके होने पर असमर्थता जताई. जानें क्या बोले मोदी...

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‘पेट्रोल-डीजल पर 60% कर’
राज्यसभा में सुशील कुमार मोदी ने कहा कि अभी पेट्रोल-डीजल पर 100 रुपये में 60 रुपये कर होता है. इसमें 35 रुपये केंद्र सरकार का और 25 रुपये राज्य सरकारों का. इतना ही नहीं केंद्र के 35 रुपये में से 42% राज्य सरकारों के पास जाता है. 

‘जीएसटी में लाने की बात’
उन्होंने कहा कि वह जीएसटी परिषद से जुड़े रहे हैं.अक्सर पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में लाने की बात कही जाती है वह सदन से जानना चाहते हैं कि अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में डाल दिया गया तो राज्यों को होने दो लाख करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान की भरपाई कहां से होगी. केंद्र और राज्य दोनों मिलकर इससे सालाना 5 लाख करोड़ रुपये का राजस्व जुटाते हैं, उसकी भरपाई कहां से होगी?

‘राज्यों के नुकसान की भरपाई कैसे’
सुशील मोदी ने कहा कि जीएसटी में हाईएस्ट टैक्स स्लैब 28%. अभी पेट्रोल-डीजल पर हम 60% कर ले रहे हैं. ऐसे में जो दो से ढाई लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा उसकी भरपाई कहां से होगी. अगर इसे जीएसटी में ले आए तो केंद्र को 14 और राज्यों को मात्र 14 रुपये कर मिलेगा. ऐसे में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में लाना आने वाले 8 से 10 साल तक संभव नहीं है. ना तो कांग्रेस की सत्ता वाले राज्य और ना भाजपा की सत्ता वाले राज्य इसके लिए तैयार होंगे.

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‘कॉरपोरेट कर दुनिया के बराबर, पेट्रोल-डीजल पर क्यों नहीं’
इससे पहले सदन में वित्त विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के सांसद दीपेन्द्र सिंह हुड्डा ने कहा, ‘आप कहते हैं कि कॉरपोरेट कर दुनिया के बराबर होना चाहिए ताकि हमारी कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता बढ़े. लेकिन जब कॉरपोरेट कर दुनिया के बराबर होना चाहिए तो पेट्रोल-डीजल पर कर दुनिया के बराबर क्यों नहीं होना चाहिए. आम आदमी की कॉम्पिटेंसी क्यों नहीं दुनिया के बराबर नहीं होनी चाहिए.’

‘मुकेश कुमार-मुकेश अंबानी पर एक जैसा कर’
दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि देश में प्रत्यक्ष कर व्यवस्था समानता लाती है. इसमें आप आयकर और कॉरपोरेट कर में फर्क कर सकता है. जबकि अप्रत्यक्ष कर गरीब को अधिक देना पड़ता है. पेट्रोल पर मुकेश कुमार और मुकेश अंबानी को समान कर देना पड़ता है. जब से आपकी सरकार आई है तब से कॉरपोरेट कर को कम करते जा रहे हैं.

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