Advertisement

President election cross voting: द्रौपदी मुर्मू के सामने नहीं टिक पाए विपक्षी उम्मीदवार, जमकर हुई क्रॉस वोटिंग

Cross Voting in President Election: द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति बन गई हैं. उनका जीतना तो पहले से तय माना जा रहा था, लेकिन क्रॉस वोटिंग ने उनके जीत के अंतर और ज्यादा बड़ा कर दिया है. जो आकंड़े सामने आए हैं उनसे पता चलता है कि विपक्ष के सदस्यों ने भी द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में वोट किए.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (पीटीआई) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (पीटीआई)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 11:44 PM IST

द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति बन गई हैं. आदिवासी समुदाय से राष्ट्रपति पद तक पहुंचने वाली वे पहली महिला हैं. उनकी ऐतिहासिक जीत पर राजनीतिक गलियारों में बधाई देने का सिलसिला शुरू हो चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने द्रौपदी मुर्मू को शुभकामनाएं दी हैं.

वैसे इस चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को विपक्ष की जरूरत से ज्यादा शुभकामनाएं मिली हैं. वैसे तो वोटिंग के दौरान ही क्रॉस वोटिंग की बात सामने आ गई थी, लेकिन अब वोटों की गिनती से साफ हो गया कि मुर्मू के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की गई है. विपक्ष के कई नेताओं ने पार्टी लाइन से अलग हटकर आदिवासी समुदाय से आईं द्रौपदी मुर्मू का दिल खोलकर स्वागत किया है.

Advertisement

बीजेपी ने तो दावा कर दिया है कि इस राष्ट्रपति चुनाव में कम से कम 17 सांसदों ने क्रॉस वोटिंग कर द्रौपदी मुर्मू को अपना वोट दिया है. तर्क दिया गया है कि बीजेपी को मुर्मू के समर्थन में 523 वोटों की उम्मीद थी, लेकिन मतगणना से साफ हो गया है कि उन्हें 540 सांसदों का वोट मिल गया है. ऐसे में कम से कम 17 सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की है. इसी तरह 104 विधायकों ने भी यशवंत सिन्हा की जगह द्रौपदी मुर्मू को अपनी पहली पसंद माना है. 

वहीं एक आंकड़ा तो ये भी सामने आया है कि असम और मध्य प्रदेश में 15 से 20 फीसदी क्रॉस वोटिंग हुई है. मतगणना से पहले भी AIUDF के विधायक करिमुद्दीन बारभुइया ने दावा कर दिया था कि कांग्रेस के 20 से ज्यादा विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की. उन्होंने कहा था कि नतीजों में आपको नंबर पता चल जाएगा. अब द्रौपदी मुर्मू की जितनी बड़ी जीत हुई है, उसे देख AIUDF के विधायक के दावे मजबूत हो जाते हैं.

Advertisement

तीसरे राउंड के बाद ही तय हो गया नतीजा

जानकारी के लिए बता दें कि द्रौपदी मुर्मू ने मतगणना के हर राउंड में यशवंत सिन्हा को काफी पीछे छोड़ा है. पहले राउंड में मुर्मू को 540 वोट मिले थे, दूसरे राउंड में 809 और तीसरे में 812 वोट पड़े हैं. हालांकि, ये फाइनल काउंटिंग के आंकड़े नहीं हैं, लेकिन इनमें ही बड़ी संख्या में क्रॉस वोटिंग की बात सामने आ गई. वहीं, तीसरे राउंड के बाद ही द्रौपदी मुर्मू की लीड इतनी जबरदस्त हो गई कि जीत का आकंड़ा पाने के लिए आगे की गिनती की जरूरत ही नहीं पड़ी. तीसरे राउंड में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को सिर्फ 521 वोट मिले हैं.

कुछ और आंकड़ों की बात करें तो राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को सबसे ज़्यादा वोट यूपी और महाराष्ट्र में मिला हैं और सबसे कम वोट पंजाब और दिल्ली में मिला हैं. विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को आंध्र प्रदेश, नागालैंड और सिक्किम में एक भी वोट नहीं मिला हैं. 

वैसे वोटिंग वाले दिन ही ये काफी हद तक साफ हो गया था कि किन-किन ने क्रॉस वोटिंग कर द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया. उस लिस्ट में कुछ ऐसे थे जिन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी तो कुछ ऐसे जो अपनी ही पार्टी से नाराज चल रहे थे. इसका एक बड़ा उदाहरण तो ओडिशा में देखने को मिला जहां पर कांग्रेस विधायक मोहम्मद मुकीम ने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनते हुए द्रौपदी मुर्मू को वोट किया था. उन्होंने कहा था कि मेरा निजी फैसला है, मैंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी, जिसने मुझे अपनी मिट्टी के लिए कुछ करने के लिए कहा. इसलिए मैंने द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया. अब ये तो सिर्फ एक बयान है, यूपी से लेकर गुजरात तक, ये ट्रेंड साफ देखने को मिला है. इसी क्रॉस वोटिंग का द्रौपदी मुर्मू को सीधा फायदा भी हुआ.

Advertisement

विपक्षी एकजुटता फेल?

राजनीति के लिहाज से राष्ट्रपति चुनाव विपक्ष के लिए काफी महत्वपूर्ण था. 2024 के फाइनल से पहले इसे विपक्षी एकता का एक प्लेटफॉर्म बनाने का प्रयास था. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो पूरे विपक्ष को एकजुट करने का काम भी किया था और उसी वजह से एक साझा उम्मीदवार सामने रखा गया. लेकिन जो भी उम्मीदवार विपक्ष की पहली पसंद बन रहे थे, वे खुद ही अपने कदम पीछे करते गए. इसकी शुरुआत एनसीपी प्रमुख शरद पवार से हुई, फिर गोपाल कृष्ण गांधी तक गई और अंत में यशवंत सिन्हा पर सहमति बनी. लेकिन उनका उम्मीदवार बनना विपक्षी खेमे में एकता पैदा नहीं कर पाया, इसी वजह से क्रॉस वोटिंग हुई और विधायकों-सांसदों की अंतरात्मा ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाने में निर्णायक भूमिका निभा दी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement