
2004 लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी के अगुवाई वाले NDA की हार हुई थी. NDA की हार के बाद ही यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (UPA) का उदय हुआ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में 2004 से 2014 यानी 10 साल तक सत्ता में रहा. 2014 लोकसभा चुनाव से कांग्रेस के साथ ही UPA का भी पतन शुरू हुआ. नरेंद्र मोदी की अगुवाई में इन चुनावों में NDA को शानदार जीत मिली. 2019 में NDA की यह जीत प्रचंड जीत में बदल गई. अब अगले साल यानी 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में मोदी के नेतृत्व वाले NDA को सत्ता से बाहर करने के लिए नया विपक्षी गठबंधन तैयार हुआ है. इसका नाम रखा गया I.N.D.I.A. यानी अब 2024 में NDA का मुकाबला UPA से नहीं बल्कि I.N.D.I.A से होगा. आइए जानते हैं कि I.N.D.I.A पुराने गठबंधन यानी UPA से कितना अलग है?
- 2004 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 145, जबकि बीजेपी को 138 सीटें मिली थीं. ऐसे में एनडीए को सत्ता में आने से रोकने के लिए कांग्रेस ने अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर यूपीए का गठन किया. UPA के गठन में कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी और सीपीएम के दिवंगत महासचिव हरकिशन सिंह सुरजीत की अहम भूमिका रही. तब विपक्षी दलों को कांग्रेस के साथ लाने का जिम्मा हरकिशन सिंह सुरजीत ने उठाया था. 2004 में यूपीए गठन के समय कांग्रेस को 14 पार्टियां ने समर्थन दिया. कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत यह गठबंधन बना था.
ये पार्टियां थीं शामिल
UPA में शुरुआत में कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP), द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK), लोक जनशक्ति पार्टी (LJP), तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS), पट्टाली मक्कल काटची (PMK), झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (MDMK), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML), AIMIM, पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP), रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (A), RPI(G) और केरल कांग्रस (J) शामिल थीं.
- कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर 17 मई 2004 को हस्ताक्षर हुए. कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के आधार पर चार लेफ्ट पार्टियों- सीपीएम, सीपीआई, आरएसपी और फॉरवर्ड ब्लॉक ने बाहर से समर्थन दिया.
- कांग्रेस ने सपा और आरएलडी को बैठक के लिए आमंत्रित नहीं किया था, लेकिन सुरजीत अपने साथ अजीत सिंह और अमर सिंह दोनों को लाए थे.
- 2004 की तरह ही NDA को सत्ता से बाहर करने के लिए I.N.D.I.A का गठन हुआ है. हालांकि, इस बार विपक्षी पार्टियां लोकसभा चुनाव से पहले ही साथ आ गई हैं. इस नए गठबंधन में कांग्रेस समेत 26 पार्टियां शामिल हैं.
नए गठबंधन में ये पार्टियां शामिल
- I.N.D.I.A में कांग्रेस, टीएमसी, शिवसेना (उद्धव गुट), एनसीपी (शरद पवार गुट), सीपीआई, सीपीआईएम, जदयू, डीएमके, आम आदमी पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, आरजेडी, समाजवादी पार्टी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, आरएलडी, सीपीआई (ML), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, केरल कांग्रेस (M), मनीथानेया मक्कल काची (MMK), एमडीएमके, वीसीके, आरएसपी, केरला कांग्रेस, केएमडीके, एआईएफबी, अपना दल कमेरावादी शामिल हैं.
2004 में गठबंधन के नाम पर गहरी चर्चा हुई थी. शुरू में इसका नाम 'यूनाइटेड सेकुलर अलायंस' या 'प्रोग्रेसिव सेकुलर अलांयस' रखने का सुझाव दिया गया. लेकिन डीएमके के दिवंगत नेता एम. करुणानिधि ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि तमिल में सेकुलर का मतलब गैर धार्मिक होता है. ऐसे में गठबंधन का नाम प्रोग्रेसिव अलांयस रखने का सुझाव दिया गया. इसे सभी ने स्वीकार कर लिया. ऐसे में इसका नाम यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (यूपीए) या संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन पड़ा.
इसी तरह बेंगलुरु में 17-18 जुलाई को हुई बैठक में विपक्षी गठबंधन का नाम टीएमसी चीफ ममता बनर्जी ने सुझाया. राहुल गांधी ने इस पर समर्थन दिया. हालांकि, बैठक में नीतीश कुमार ने इस नाम का विरोध भी किया. लेकिन ज्यादातर नेता इसके पक्ष में थे. ऐसे में इसका नाम I.N.D.I.A रखा गया. इसके बाद I.N.D.I.A के फुल फॉर्म पर चर्चा हुई और इसका फुलफॉर्म इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव एलायंस तय किया गया.
- नए गठबंधन की अगली बैठक मुंबई में हो सकती है. बेंगलुरु बैठक में सुझाव दिया गया है कि गठबंधन का एक चेयरपर्सन (संयोजक) होना चाहिए. बताया जा रहा है कि इस मुद्दे पर मुंबई में चर्चा होगी और एक नाम पर मुहर लगेगी. इसके अलावा सीटों के बंटवारे पर भी चर्चा होगी.
UPA का गठन लोकसभा चुनाव के बाद हुआ था. यानी 2004 में जिन पार्टियों ने जितनी सीटें जीती थीं, उन्हें उसी हिसाब से सरकार में भागीदारी मिली थी. कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी, ऐसे में प्रधानमंत्री भी कांग्रेस पार्टी का था.
जबकि INDIA का गठन चुनाव से पहले हुआ है. माना जा रहा है कि नए गठबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती सीट बंटवारे को लेकर है. इतना ही नहीं दो दौर की बैठकों में अभी तक प्रधानमंत्री उम्मीदवार को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है. ऐसे में पीएम उम्मीदवार चुनना भी नए गठबंधन के सामने एक बड़ी चुनौती होगी. हालांकि, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे साफ कर चुके हैं कि उनकी पार्टी विपक्षी दलों को सत्ता या पीएम उम्मीदवारी के लिए साथ लाने में नहीं जुटी है. भले ही कांग्रेस पीएम उम्मीदवारी को छोड़ने का ऐलान कर चुके हैं, लेकिन जानकारों का मानना है कि कई क्षेत्रीय दलों के नेता पीएम बनने का सपना देख रहे हैं, ऐसे में सीटों के बंटवारे से लेकर पीएम उम्मीदवार के ऐलान तक विपक्षी पार्टियों में टकराव देखने को मिल सकता है.
- 2004 में लोकसभा चुनाव के बाद UPA का गठन हुआ.
- 22 मई 2004 को मनमोहन सिंह के पीएम पद की शपथ लेने के साथ यूपीए की पहली सरकार बनी.
- हालांकि, दो साल बाद ही UPA में शामिल पार्टियों का अलग अलग वजह से बाहर होने का सिलसिला शुरू हुआ.
- 2006 में तेलंगाना के अलग राज्य के मुद्दे चंद्रशेखर राव की पार्टी टीआरएस सबसे पहले UPA से बाहर आई.
- 2007 में MDMK ने UPA सरकार पर कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पालन न करने का आरोप लगाया और गठबंधन से समर्थन वापस ले लिया.
- 2008 में भारत-अमेरिका न्यूक्लियर डील को लेकर चार लेफ्ट पार्टियों ने UPA सरकार से समर्थन वापस ले लिया. मनमोहन सरकार अल्पमत में आ गई. हालांकि, तब मुलायम सिंह यादव की पार्टी सपा ने सरकार को समर्थन देकर बचाया.
- लालू ने महिला आरक्षण बिल के मुद्दे पर 2010 में समर्थन वापस ले लिया.
- कांग्रेस को AIMIM, VCK, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट ने बिना मंत्री पद के समर्थन दिया था.
- 2012 में टीएमसी और DMK गठबंधन से बाहर आ गए. इसके बाद झारखंड की JVM-P और AIMIM ने भी समर्थन वापस ले लिया.
2009 चुनाव में UPA की शानदार जीत
2009 लोकसभा चुनाव में यूपीए ने 262 सीटें जीतीं. इस चुनाव में कांग्रेस को अकेले 206 सीटें मिलीं. UPA-2 में कुछ नई पार्टियां भी शामिल हुईं. इनमें तृणमूल कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसी पार्टियां शामिल रहीं. हालांकि, यूपीए-2 में कांग्रेस के साथ केवल 5 पार्टियों TMC, NCP, DMK, नेशनल कॉन्फ्रेंस, और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने ही शपथ ग्रहण किया. ममता बनर्जी रेल मंत्री बनीं.
- हालांकि, सरकार बनने के बाद लालू की आरजेडी ने मनमोहन सरकार को समर्थन दिया. इसके अलावा समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी ने भी UPA-2 को समर्थन दिया. इसके अलावा कई अन्य क्षेत्रीय दल भी UPA से जुड़े.
- 2014 लोकसभा चुनाव में यूपीए को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस 206 से 44 सीटों पर सिमट गई. यूपीए गठबंधन को 59 सीटें मिलीं. वहीं, 2019 में कांग्रेस ने 52 सीटें जीतीं, तो यूपीए 90 सीटों तक पहुंच गया.