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कृषि मंत्री बोले- कोई कानून पूरा खराब या खरा नहीं होता, किसानों से वार्ता जारी

कृषि कानूनों को लेकर किसानों के विरोध के बीच, गुरुवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने किसानों से एक बार फिर प्रस्ताव पर विचार करने को कहा. कृषि मंत्री ने ये भी कहा कि सरकार के पास ईगो नहीं है, हम खुले मन से बातचीत कर रहे हैं.

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर
हिमांशु मिश्रा/पॉलोमी साहा
  • नई दिल्ली,
  • 10 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 5:29 PM IST
  • कृषि कानूनों पर केंद्रीय कृषि मंत्री ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस
  • किसानों से चर्चा के लिए सरकार हमेशा तैयार: नरेंद्र सिंह तोमर
  • 'सरकार के पास ईगो नहीं, खुले मन से बातचीत कर रहे'

कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों में गतिरोध जारी है. सरकार के लिखित प्रस्ताव को खारिज करते हुए किसानों ने आंदोलन को और तेज करने की चेतावनी दी है. किसानों के विरोध के बीच, गुरुवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने किसानों से एक बार फिर प्रस्ताव पर विचार करने को कहा. कृषि मंत्री ने ये भी कहा कि सरकार के पास ईगो नहीं है, हम खुले मन से बातचीत कर रहे हैं.

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कृषि मंत्री ने कहा कि संसद के सत्र में सरकार कृषि से जुड़े तीन कानून लेकर आई थी. इन कानूनों पर संसद में सभी दलों के सांसदों ने अपना पक्ष रखा था. लोकसभा और राज्यसभा में बिल पारित हुआ था. चर्चा के दौरान सभी सांसदों ने अपने विचार रखे. ये तीनों कानून आज देशभर में लागू हैं. 

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि तीनों कृषि कानून किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए हैं. तय समय में भुगतान की व्यवस्था की गई है. किसानों की जमीन सुरक्षित रखने का ध्यान रखा गया है. नए कृषि कानून किसानों के हित में हैं. कृषि मंत्री ने कहा कि मंडी से बाहर जाकर भी किसानों को छूट दी गई.

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कानून के वे प्रावधान जिन पर किसानों को आपत्ति है उन पर सरकार खुले मन से विचार करने पर सहमत है. कुछ लोगों ने यह भी कहा कि यह कानून वैद्य नहीं है. इस कानून से एमएसपी कहीं से भी प्रभावित नहीं होती है. हम लोगों ने प्रस्ताव दिया कि राज्य सरकार निजी मंडियों की व्यवस्था भी लागू कर सकती है. हमारे एक्ट में ये था कि पैन कार्ड से ही खरीद हो सकेगी. पैन कार्ड से खरीदी को लेकर किसानों की आशंका के समाधान के लिए भी हम राजी हुए. 

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कृषि मंत्री ने कहा कि दूसरा उनका मुद्दा था कि आपने विवाद निपटाने के लिए एसडीएम को शामिल किया है. छोटा किसान होगा, छोटे क्षेत्र का होगा तो जब वो न्यायालय जाएगा तो वहां समय लगेगा. हम लोगों ने इसके समाधान के लिए भी न्यायालय में जाने का विकल्प दिया. 

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कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान संघों से आग्रह किया गया कि जो प्रस्ताव सरकार ने भेजा है, उस पर विचार कीजिए और जब भी आप कहेंगे हम चर्चा के लिए तैयार हैं. नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि 2006 में स्वामीनाथन रिपोर्ट आई थी, लंबे समय तक इंतजार किया गया पर डेढ़ गुना एमएसपी लागू नहीं हुई. मोदी सरकार आने पर उन्होंने लागत मूल्य पर पचास प्रतिशत का मुनाफा देकर एमएसपी घोषित की, जिसका फायदा पूरे देश को मिल रहा है.

उन्होंने आगे कहा कि हम लोगों को लगता था कि कानूनी प्लेटफॉर्म का फायदा लोग अच्छे से उठाएंगे. किसान महंगी फसलों की ओर आकर्षित होगा. नई तकनीक से जुड़ेगा. बुआई के समय ही उसको मुल्य की गारंटी मिल जाएगी. 

'कोई कानून पूरा खराब या खरा नहीं होता'

कृषि मंत्री ने एक बार फिर दोहराया कि इन कानूनों के कारण एमएसपी प्रभावित नहीं होती. एमएसपी जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि कोई कानून पूरा खराब या खरा नहीं हो सकता, जिस प्रावधान पर दिक्कत है उस पर खुले मन से हम चर्चा करने को तैयार है. किसी भी समय किसान चर्चा करने के लिए आगे आएं, हम तैयार हैं.  

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नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि अगर किसानों को लगता है कि कोई बात हमारे प्रस्ताव में रह गई है तो भी और अगर हमारे प्रस्ताव की शब्दावली में कोई कमी रह गई है तो भी...वो आगे आए, हम चर्चा को तैयार हैं. जब चर्चा चल रही हो तो आंदोलन के आगे चरण की घोषणा करना ठीक नहीं, अभी वार्ता चल ही रही है, चर्चा टूटी नहीं. उनको अपनी बातें वार्ता में करनी चाहिए थी. हम चर्चा को लेकर आशावान है.

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