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'ममता के समर्थन में बंगाल जाने पर मिलेंगे 50 लाख', फारूक अब्दुल्ला ने सुनाई फेक कॉल की कहानी

फारुक अब्दुल्ला ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि उन्हें एक कॉल आया जिसमें कहा गया कि झारखंड के CM ने कहा है कि वे ममता बनर्जी के समर्थन के लिए पश्चिम बंगाल जा रहे हैं. अगर आप (फारुक अब्दुल्ला) भी पश्चिम बंगाल ममता बनर्जी का समर्थन करने के लिए चलेंगे तो पचास लाख रुपए मिलेंगे.''

फारुक अब्दुल्ला (फाइल फोटो) फारुक अब्दुल्ला (फाइल फोटो)
सुनील जी भट्ट
  • ऊधमपुर,
  • 07 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 12:56 AM IST
  • पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे अब्दुल्ला
  • कहा- मुझे फंसाने की कोशिश कर रही हैं विरोधी पार्टियां
  • बंगाल जाने के लिए मिला 50 लाख का फर्जी ऑफर

नेशनल कान्फ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला रविवार के दिन ऊधमपुर पहुंचे, जहां उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. वहीं उन्होंने एक सनसनीखेज खुलासा करते हुए विरोधियों पर उन्हें फंसाने का आरोप लगाया. फारूक अब्दुल्ला ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा- इसी महीने मुझे झारखंड से एक फोन आया था, जिसमें मुझे कहा गया कि झारखंड के CM साहब मुझसे बात करेंगे जब कि वे उस समय पर अन्य कॉल पर व्यस्त थे.

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फारूक अब्दुल्ला ने आगे कहा, ''लगभग आधे घंटे बाद उन्हें फिर एक फोन आया, जिसमें उन्हें कहा गया कि ''झारखंड के CM ने कहा है कि वे ममता बनर्जी के समर्थन के लिए पश्चिम बंगाल जा रहे हैं. अगर आप (फारूक अब्दुल्ला) भी पश्चिम बंगाल ममता बनर्जी का समर्थन करने के लिए चलेंगे तो पचास लाख रुपए मिलेंगे.''

अब्दुल्ला ने बताया कि इस फोन के बाद उन्हें शक हुआ, जिसके बाद उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी झामुमो के ही एक सांसद से बात की, तो उन्होंने कहा कि उनकी ओर से ऐसा कुछ भी नहीं कहा गया है. झारखंड के सांसद ने आगे कहा कि इसी तरह की एक कॉल देवगौड़ा के पास भी गई है.

इस पर फारूक अब्दुल्ला ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि ''हमारी विरोधी पार्टी किसी भी हद तक जा सकती है, क्योंकि उनके पास बहुत पैसा और पावर है, विपक्ष मुझे फंसाने की कोशिश कर रहा है.''

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आपको बता दें कि इससे कुछ दिन पहले ही फारूक अब्दुल्ला को सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में बड़ी राहत दी है, अनुच्छेद 370 के खिलाफ फारूक द्वारा दिए गए बयानों के विरोध में उनके खिलाफ एक याचिका डालते हुए मांग की गई थी कि उनके ऊपर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाए. इससे नाराज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार के मत के इतर बयान देना देशद्रोह नहीं है. ये कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर ही 50 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया. 

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