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पहले सनातन और अब एंटी-बिहार बयान... हिंदी बेल्ट में साउथ के साथी कांग्रेस का करा सकते हैं नुकसान

हाल ही में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं. इनमें कांग्रेस को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. पार्टी को राजस्थान और छत्तीसगढ़ से सत्ता गंवानी पड़ी है. मध्य प्रदेश में भी उसे हार मिली है. सिर्फ तेलंगाना में कांग्रेस ने पहली बार सरकार बनाई है. इसके कई फैक्टर गिनाए जा रहे हैं.

दिल्ली में डीएमके नेता उदयनिधि के बयान के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया गया था. (फाइल फोटो- PTI) दिल्ली में डीएमके नेता उदयनिधि के बयान के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया गया था. (फाइल फोटो- PTI)
उदित नारायण
  • नई दिल्ली,
  • 25 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 4:24 PM IST

लोकसभा चुनाव करीब है और विपक्षी दलों के अलायंस INDIA ब्लॉक को लेकर पेंचीदगी कम नहीं हो रही हैं. गठबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती सीट शेयरिंग, पीएम फेस और संयोजक घोषित करने की है. दूसरी तरफ अंदरखाने की कलह भी शांत नहीं हो रही है. इस बीच, सहयोगी पार्टियों के नेताओं की बयानबाजी गठबंधन की इमेज को लगातार डैमेज कर रही है. पहले डीएमके नेता उदयनिधि के सनातन को लेकर विवादित बयान चर्चा में रहे. अब डीएमके से ही सांसद  दयानिधि मारन की यूपी और बिहार के लोगों के लिए अमर्यादित टिप्पणी ने एक नई मुसीबत खड़ी कर दी है. जानकार इसे हिंदी बेल्ट में इंडिया ब्लॉक के नुकसान से जोड़कर देख रहे हैं.

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बता दें कि हाल ही में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं. इनमें कांग्रेस को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. पार्टी को राजस्थान और छत्तीसगढ़ से सत्ता गंवानी पड़ी है. मध्य प्रदेश में भी उसे हार मिली है. सिर्फ तेलंगाना में कांग्रेस ने पहली बार सरकार बनाई है. इसके कई फैक्टर गिनाए जा रहे हैं. सत्तारूढ़ राज्यों में एंटी इन्कंबेंसी के साथ-साथ कांग्रेस के सहयोगी दल डीएमके नेता के बयानों को भी एक वजह माना जा रहा है.

अभी विवाद क्यों हुआ...

हाल ही में डीएमके सांसद दयानिधि मारन का एक वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो में दयानिधि कहते दिख रहे हैं कि यूपी और बिहार से तमिलनाडु आने वाले हिंदी भाषी निर्माण कार्य करते हैं या सड़कों और शौचालयों की सफाई करते हैं. उन्होंने कहा, अंग्रेजी वाले आईटी कंपनियों में चले जाते हैं, जबकि हिंदी वाले छोटी-मोटी नौकरियां करते हैं. ये वीडियो 2019 का बताया जा रहा है. बीजेपी ने इस वीडियो को लेकर डीएमके और इंडिया ब्लॉक को निशाने पर लिया है.

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'उदयनिधि के बयानों ने बढ़ा दी थी टेंशन'

इससे पहले पांच राज्यों में चुनाव से पहले तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के बेटे और डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन के सनातन विरोधी बयान चर्चा में रहे हैं. उदयनिधि के बयान पर डैमेज कंट्रोल हो पाता, उससे पहले ही कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम (पी. चिदंबरम के बेटे) और प्रियांक खड़गे (कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे) ने उदयनिधि के बयान का समर्थन करके अपनी ही पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी थीं. 

'कार्ति और प्रियांक ने भी किया था समर्थन'

कार्ति ने कहा, सनातन धर्म एक कास्ट हायरार्कियल सोसायटी के लिए कोड के अलावा और कुछ नहीं है. इसके लिए बैटिंग करने वाले सभी अच्छे पुराने दिनों के लिए उत्सुक हैं. जाति भारत का अभिशाप है. कार्ति ने आगे कहा, तमिलनाडु में आम बोलचाल की भाषा में 'सनातन धर्म' का अर्थ पदानुक्रमित समाज है. ऐसा क्यों है कि हर कोई जो सनातन धर्म के लिए बल्लेबाजी कर रहा है, वह विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग से आता है, जो 'पदानुक्रम' के लाभार्थी हैं. वहीं, कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा, कोई भी धर्म जो समानता को बढ़ावा नहीं देता, मानव की गरिमा सुनिश्चित नहीं करता- वह धर्म नहीं है. जो धर्म समान अधिकार नहीं देता या इंसानों जैसा व्यवहार नहीं करता, वह बीमारी के समान है.

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'आम चुनाव को लेकर अलर्ट है कांग्रेस लीडरशिप'

चूंकि दक्षिण के राज्य तमिलनाडु में कांग्रेस, सत्तारूढ़ डीएमके की सहयोगी पार्टी है. इतना ही नहीं, डीएमके ने तेलंगाना चुनाव में कांग्रेस को समर्थन दिया था. इसके अलावा, इंडिया अलायंस में भी डीएमके सहयोगी पार्टी के रूप में शामिल है. इस अलायंस में कांग्रेस समेत 28 पार्टियां हैं. लेकिन, अचानक साउथ के राज्यों से सनातन विरोधी आवाज से कांग्रेस लीडरशिप की भी टेंशन बढ़ गई. पार्टी के रणनीतिकारों को आज भी लग रहा है कि यह विवादित बयान लोकसभा चुनाव में वोटर्स को प्रभावित ना करें.

'कांग्रेस के खिलाफ बीजेपी ने खोल रखा है मोर्चा'

दरअसल, विधानसभा चुनाव के बीच डीएमके नेता उदयनिधि के बयानों ने जहां एक तरफ हिंदी बेल्ट में सनसनी फैलाई तो दूसरे तरफ बीजेपी सीधे कांग्रेस पर हमलावर रही है और जवाब देने के लिए दबाव बनाती रही. चुनावी सभाओं में बीजेपी के स्टार प्रचारकों ने कांग्रेस और डीएमके का अलायंस भी वोटर्स को याद दिलाया. जानकार कहते हैं कि बीजेपी की इस रणनीति का जमीनी प्रभाव भी पड़ा है और कांग्रेस के खिलाफ एक नकारात्मक माहौल बना. हालांकि, कांग्रेस साफ करती रही कि उसका इन बयानों से कोई संबंध नहीं है. पार्टी इस तरह की सोच नहीं रखती है. इधर, डीएमके नेता उदयनिधि अपने बयान पर अडिग रहे. ना उन्होंने सफाई दी और ना बयान से पलटे.

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'वोटर्स के बीच गया सनातन विरोधी संदेश?'

कहते हैं कि हिंदी बेल्ट में सतातन विरोधी बयानों का असर हुआ है. एक तरफ बीजेपी अयोध्या में राम मंदिर बनवाने का श्रेय ले रही है तो दूसरी तरफ कांग्रेस पर मंदिर निर्माण में रोड़े अटकाने और सनातन विरोधी छवि बताने का कोई मौका नहीं गंवा रही है. बीजेपी के दावों के इतर कांग्रेस काउंटर अटैक के लिए कोई खास दावे पेश नहीं कर सकी और वोटर्स के बीच सनातन विरोधी का संदेश चला गया.

'अब रेवंत रेड्डी का बयान भी बढ़ा सकता है मुश्किलें'

बात यहीं तक नहीं थमी. रही-सही कसर रेवंत रेड्डी के बयान ने पूरी कर दी. तेलंगाना में जब कांग्रेस ने चुनाव जीता तो जोश में आए रेवंत रेड्डी ने के. चंद्रशेखर राव को घेरने के लिए जो बयान दिया, वो एंटी बिहार का संदेश लेकर चला गया. रेड्डी ने केसीआर को बिहार से जोड़ा और कहा,  तेलंगाना का डीएनए, बिहार के डीएनए से बेहतर है. बीजेपी को एक बार फिर मुद्दा मिला और कांग्रेस से लेकर अलायंस तक पर हमलावर हो गई. सोनिया गांधी, राहुल गांधी से स्पष्टीकरण और सफाई की मांग तेज कर दी. आम चुनाव में बीजेपी इस बयान को बिहार की अस्मिता से जोड़ने की तैयारी में है. बिहार की राजनीति में जदयू और राजद की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

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'सनातन कार्ड के साथ मैदान में उतरेगी बीजेपी'

सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या अलायंस में शामिल कांग्रेस-डीएमके जैसे सहयोगी दलों के बयान इंडिया ब्लॉक को नुकसान पहुंचा सकते हैं? इसे लेकर लोगों की अलग-अलग राय है. राजनीति जानकारों का कहना है कि बिहार में निश्चित तौर पर इस बयान का प्रभाव पड़ेगा. बीजेपी ने माहौल भी तैयार करना शुरू कर दिया है. ऐसे में इंडिया ब्लॉक की सहयोगी जेडीयू और आरजेडी कैसे निपटेंगी, यह वक्त ही बताएगा. वहीं, 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा है. उसके एक-दो महीने महीने बाद ही आम चुनाव हैं. बीजेपी जब आम चुनाव में उतरेगी तो उसके हाथ में सनातन का प्रमुख मुद्दा होगा. वो हिंदी बेल्ट में सनातन कार्ड खेल सकती है और विपक्षी पार्टियों खासतौर पर कांग्रेस और स्थानीय दलों के खिलाफ माहौल तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.

'कांग्रेस के सामने काउंटर अटैक की चुनौती'

हिंदी बेल्ट की चुनावी पिच पर बीजेपी नेता जहां कांग्रेस और डीएमके नेताओं के सनातन विरोधी बयान गिनाएंगे तो बिहार के डीएनए पर सवाल उठाने पर भी करारा हमला करने से नहीं चूकेंगे. ऐसे में कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती यही होगी कि वो इन आरोपों, बयानबाजी का किस तरह पलटवार करे और हिंदी बेल्ट में किस तरह खुद के प्रभाव की वापसी करे. इसकी एक वजह यह भी है कि जब बीजेपी नेता विधानसभा चुनावों में सनातन को लेकर कांग्रेस पर हमलावर थे, तब इंडिया अलायंस के सहयोगी दल भी किनारा करते दिखे थे.

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'दक्षिण में कांग्रेस को जबरदस्त बढ़त'

गौरतलब है कि दक्षिण के पांच प्रमुख राज्यों में तेलंगाना और कर्नाटक में कांग्रेस ने इसी साल सरकार बनाई है और पार्टी का अच्छा खासा जनाधार भी देखने को मिला है. तीसरे राज्य तमिलनाडु में कांग्रेस सत्तारूढ़ गठबंधन में सहयोगी पार्टी है. सिर्फ आंध्र प्रदेश ऐसा राज्य है, जहां वो सत्ता से बाहर है. हालांकि, इन राज्यों में भी हिंदुओं की अच्छी खासी संख्या है. ऐसे में इंडिया अलायंस के सामने हिंदी बेल्ट के साथ-साथ साउथ बेल्ट में भी हिंदू वोटर्स को लेकर चिंता होना स्वभाविक है. केरल में भी इंडिया अलायंस मजबूत है. वहां भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) गठबंधन की सरकार है.

'हिंदी बेल्ट में बीजेपी का दबदबा'

बताते चलें कि उत्तर, पश्चिम और मध्‍य भारत के बड़े राज्‍यों में या तो बीजेपी की सरकार है या वो गठबंधन में शामिल है. बीजेपी की मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, असम और गोवा में सरकार है. वहीं, महाराष्ट्र, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय और पुडुचेरी में बीजेपी सरकार में सहयोगी पार्टी है. 2019 के आम चुनाव में हिमाचल प्रदेश में बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया था. यहां चारों सीटें जीती थीं. बिहार में भी एनडीए 39 सीटें जीता था. हालांकि, इस बार नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने एनडीए का साथ छोड़कर इंडिया ब्लॉक जॉइन कर लिया है. फिलहाल, हिंदी बेल्ट समेत इन राज्यों में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की काफी मजबूत स्थिति मानी जा रही है. ऐसे में इंडिया ब्लॉक में शामिल कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों की नजरें तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल, पश्चिम बंगाल, पंजाब जैसे राज्‍यों पर टिकी हैं.

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उदयनिधि ने सनातन को लेकर क्या कहा था...

डीएमके नेता उदयनिधि ने सनातन धर्म की तुलना मलेरिया, डेंगू और कोरोना वायरस से की थी. उदयनिधि ने कहा था, कुछ चीजों को खत्म करना ही होगा जैसे- मच्छर, डेंगू, मलेरिया और कोरोना.इनका विरोध नहीं किया जा सकता. सनातन धर्म भी ऐसा ही है. बताते चलें कि उदयनिधि के दादा और तमिलनाडु के पूर्व सीएम एम करुणानिधि भी हिंदू देवी-देवताओं के अस्तित्‍व पर सवाल उठाते रहे हैं.

कांग्रेस ने क्या कहा था...

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, कांग्रेस का नजरिया इस मुद्दे पर स्‍पष्‍ट है. सर्वधर्म समभाव. हम सभी के विश्वास का सम्मान करते हैं, लेकिन सभी राजनीतिक दलों को अपनी बात कहने की आजादी है. टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा, मैं सनातन धर्म का सम्‍मान करती हूं. हमें ऐसे किसी भी मामले में शामिल नहीं होना चाहिए, जिससे लोगों के एक वर्ग को ठेस पहुंचे.

आरजेडी के मनोज झा ने क्या कहा था...

आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने उदयनिधि के बयान पर कहा था, कभी-कभी हमें प्रतीक मुहावरे के अंदर जाकर सोचना होगा. उन्होंने कबीर दास का दोहा सुनाया. जो तू ब्राह्मण ब्राह्मणी जाया, आन बाट काहे नहीं आया. जो तू तुरुक तुरुक्नी जाया, अंदर खतना क्यूं न कराया. मनोज झा ने आगे कहा, क्या कबीर को फांसी पर लटका देंगे. हिंदुस्तान का एक मिजाज रहा है. कई लोगों को सनातन धर्म में कई विसंगतियां दिखती हैं. क्या जाति व्यवस्था अच्छी चीज है. क्यों सीवर में उतरने वाले की जाति नहीं बदलती है. अगर किसी ने कुछ कह दिया तो लेकर उड़ गए.

दयानिधि के वीडियो पर बीजेपी ने क्या कहा...

बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने हाल की घटनाओं का जिक्र किया और कहा, इंडिया ब्लॉक का एजेंडा सनातन धर्म का अपमान करना और देश के लोगों को विभाजित करना है. उन्होंने मारन की टिप्पणी को लेकर उत्तर प्रदेश और बिहार के इंडिया ब्लॉक के नेताओं की आलोचना की और पूछा- वे चुप क्यों हैं. नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, लालू यादव, कांग्रेस, सपा, अखिलेश यादव इस पर कब स्टैंड लेंगे? द्रमुक के एक अन्य सांसद डीएनवी सेंथिलकुमार के खिलाफ इंडिया ब्लॉक की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिन्होंने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान हिंदी भाषी राज्यों के खिलाफ टिप्पणी करके विवाद खड़ा कर दिया था. उन्होंने हिंदी भाषी राज्यों को 'गौमूत्र' राज्य कहा था.

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