
पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा का चुनाव होना है. लेकिन उससे पहले सूबे की सीएम ममता बनर्जी ने बीजेपी और चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. हाल ही में ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने एक एजेंसी को बंगाल भेजा है, जो राज्य के वोटर्स को हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, यूपी और बिहार के वोटर्स से बदल रहे हैं. ममता बनर्जी ने कहा कि वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ की जा रही है. उन्होंने चुनाव आयोग के सामने धरने की भी चेतावनी दी.
सवाल ये उठता है कि ममता बनर्जी के ये आरोप महज आरोप भर हैं या वोटर लिस्ट में उत्तर भारत के लोगों के दखल का आरोप लगाकर ममता बनर्जी एक नया नैरेटिव सेट करना चाहती हैं.
एक नया नैरेटिव सेट करना चाहती हैं ममता बनर्जी?
ममता बनर्जी ने अपने भाषण में कहा कि पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में हरियाणा, राजस्थान समेत उत्तर भारत के कई राज्यों के लोगों के नाम डाले जा रहे हैं. यह ऑनलाइन किया जा रहा है. भाजपा नहीं चाहती कि बंगाल में उसकी संस्कृति बरकरार रहे.
बंगाली संस्कृति का दांव आएगा काम?
वोटर लिस्ट में छेड़छाड़ के बहाने ममता बनर्जी ने बंगाली अस्मिता का दांव खेला है. 2021 के विधानसभा चुनाव में भी ममता बनर्जी ने ये दांव खेला था और पीएम मोदी और अमित शाह जैसे बड़े बीजेपी नेताओं को बाहरी करार दिया था. इस बार ममता बनर्जी इस दांव को एक साल पहले ही खेल रही हैं. दरअसल, बंगाल की सियासत में बीजेपी के पास कोई बड़ा सूबे का चेहरा नहीं है. बीजेपी अक्सर बांग्लादेशी प्रवासियों और उत्तर भारत के खासतौर पर यूपी-बिहार से गए वोटर्स को साधने की राजनीति कर रही है. ऐसे में ममता बनर्जी का ये दांव और बंगाली अस्मिता की बात उनकी एक रणनीति का हिस्सा है.
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अन्य राज्यों के परिणामों से ममता ने लिया सबक?
ममता बनर्जी ने अपने आरोपों में कहा कि बीजेपी और चुनाव आयोग ने यही चाल महाराष्ट्र और दिल्ली में भी चली और सत्ता हासिल की. लेकिन बंगाल में ये नहीं चलेगा. हमने उनकी चाल पकड़ ली है. दरसअल, दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने भी फर्जी वोटर्स का मुद्दा उठाया था. महाराष्ट्र में भी ये मुद्दा उठा था. हालांकि, दिल्ली में केजरीवाल ने ये मुद्दा ऐसे समय में उठाया था जब चुनाव पीक पर था और केजरीवाल के खिलाफ माहौल दिखने लगा था. वहीं, इसके उलट महाराष्ट्र में तो ये मुद्दा चुनावी नतीजे आने के बाद खुलकर सामने आए. लेकिन बंगाल के चुनाव में अभी एक साल का वक्त है. ऐसे में ममता आक्रामक होकर इस मुद्दे को उठा रही हैं औ धरने की चेतावनी के बहाने वो बता रही हैं कि वो इसे बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं.
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बीजेपी की प्लानिंग का काउंटर अटैक...
झारखंड विधानसभा चुनाव की तरह ही बीजेपी पश्चिम बंगाल में भी अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के मुद्दे को उठा सकती है. पिछले चुनाव में भी बीजेपी को बंगाल के आदिवासी प्रभाव वाली सीटों पर फायदा हुआ था. ऐसे में बीजेपी की इस प्लानिंग का काउंटर करने के लिए ममता ने उत्तर भारतीयों के दखल का मुद्दा उठाया है. उसे राज्य की संस्कृति से जोड़ा है.
आक्रामक अंदाज से एंटी इनकमबेंसी को पटखनी देने की तैयारी
पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ ममता बनर्जी ने आक्रामक प्रचार किया था. उन्होंने 'खेला होबे' का नारा दिया था. एक बार फिर उन्होंने कहा कि 2026 में पिछली बार से बड़ा खेला होगा. ममता बनर्जी अपने सख्त फैसलों और आक्रामक रवैये के लिए जानी जाती हैं. 2021 के चुनाव में उन्होंने सत्ता में शानदार वापसी की थी. इसके बाद लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को तगड़ी पटखनी दी थी. अब 2026 में होने वाले चुनाव से पहले भी ममता आक्रामक मोड में नजर आ रही हैं.