Advertisement

आजादी की लड़ाई में सावरकर का योगदान महात्मा गांधी से कम नहीं, संस्कृति मंत्रालय की पत्रिका में लेख

आजादी के अमृत महोत्सव पर प्रकाशित 'अंतिम जन' में गांधी जी से संबंधित तीन आलेख हैं तो वीर सावरकर के व्यक्तित्व के विभिन्न आयामों का बखान करने से संबंधित 13 लेख हैं.

महात्मा गांधी और सावरकर की फोटो महात्मा गांधी और सावरकर की फोटो
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 17 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 5:19 PM IST
  • केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अधीन गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति
  • विजय गोयल ने लिखा है पत्रिका में लेख

केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन आने वाली गांधी स्मृति और दर्शन समिति की पत्रिका में कहा गया है कि आजादी की लड़ाई में सावरकर का योगदान, महात्मा गांधी से कम नहीं है. आजादी के अमृत महोत्सव के विशेषांक में समिति की पत्रिका 'अंतिम जन' में समिति के संरक्षक और उपाध्यक्ष विजय गोयल ने यह लेख लिखा है. 

देश की आजादी के अमृत महोत्सव में अब गांधी स्मृति और दर्शन समिति ने भी अपना नजरिया बदल लिया है. समिति की निगाह में अब अहिंसा के पुजारी बापू और अंग्रेजी हुकूमत से स्वतंत्रता के लिए सशस्त्र संग्राम के हिमायती विनायक दामोदर सावरकर समकक्ष आ गए हैं. दोनों को एक मंच पर आने के लिए करीब 75 साल इंतजार करना पड़ा है. 

Advertisement

आजादी के अमृत महोत्सव के विशेषांक में गांधी स्मृति और दर्शन समिति की पत्रिका 'अंतिम जन' के आलेख में समिति के संरक्षक और उपाध्यक्ष विजय गोयल का तो यही मानना है. उपाध्यक्ष की कलम से निकले हस्ताक्षरित कॉलम में विजय गोयल ने स्वातंत्र्य वीर सावरकर का यशोगान करते हुए उनके यशस्वी व्यक्तित्व और ओजस्वी वाणी के साथ-साथ नासिक जिले के तत्कालीन कलक्टर की हत्या के लिए कालापानी की सजा का विस्तृत वर्णन है. 

अगले पैरा में गोयल ने लिखा है कि यह देखकर दुख होता है कि जिन लोगों ने एक दिन जेल की सजा नहीं काटी, यातनाएं नहीं सहीं. देश समाज के लिए कुछ कार्य नहीं किया, वे सावरकर जैसे देशभक्त बलिदानी की आलोचना करते हैं, जबकि सावरकर का इतिहास में स्थान और स्वतंत्रता आंदोलन में उनका सम्मान महात्मा गांधी से कम नहीं है. माननीय प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से देश इन दिनों आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. इस अवसर पर हमें वीर सावरकर जैसे अन्य महान स्वतंत्रता सेनानियों की भी स्मृतियों को याद करना चाहिए.  

Advertisement

पत्रिका में सावरकर से जुड़े 13 कॉलम 

आजादी के अमृत महोत्सव पर प्रकाशित 'अंतिम जन' में गांधी जी से संबंधित तीन आलेख हैं तो वीर सावरकर के व्यक्तित्व के विभिन्न आयामों का बखान करने से संबंधित 13 लेख हैं. इनमें स्वयं वीर सावरकर के लिखे आलेख 'हिंदुत्व' और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का लिखा लेख 'एक चिंगारी थे सावरकर' भी शामिल हैं. 

एंटी नेशनल संगठन है बीजेपी: टीएमसी 

वहीं गांधीजी की तुलना सावरकर से करने पर टीएमसी सांसद शांतनु सेन ने दुख जताया है. उन्होंने कहा कि इससे ज्यादा तुख बात और क्या होगी? टीएमसी सांसद ने कहा, "अगर सावरकर को कोई महात्मा गांधी जी से तुलना करता है तो इससे ज्यादा दुख की बात कोई और नहीं है. जो लोग इंडियन इंडिपेंडेंस के खिलाफ थे. आपको मालूम है कि नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की थी, उस नाथूराम गोडसे की BJP पूजा करती है. आपको मालूम है साध्वी प्रज्ञा कौन है? सावरकर ने अंडमान जेल में ब्रिटिश के सामने मुचलका देकर सरेंडर किया था. उनकी यह लोग महात्मा गांधी से तुलना कर रहे हैं. उससे साबित होता है कि BJP के खिलाफ जो बोलते हैं वह एंटी नेशनल का टैग लगा देते हैं. देश में अगर सबसे ज्यादा एंटी नेशनल ऑर्गेनाइजेशन कोई है तो वह भारतीय जनता पार्टी है." 
 

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement