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गोवा और उत्तराखंड... दो राज्य, कांग्रेस के एक जैसे हालात, पढ़ें- बगावतों की Inside Story

महाराष्ट्र में शिवसेना विधायकों की बगावत के कारण कांग्रेस सत्ता गंवा चुकी है और अब गोवा व उत्तराखंड में उसके सामने चुनौती खड़ी हो गई है. यहां पार्टी सत्ता में तो नहीं है, लेकिन मुख्य विरोधी दल जरूर है. ऐसे में इन दोनों राज्यों में भी कांग्रेस में सेंधमारी की अटकलों ने कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है.

गोवा और उत्तराखंड कांग्रेस में हलचल गोवा और उत्तराखंड कांग्रेस में हलचल
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 2:47 PM IST
  • गोवा में नॉट रीचेबल हो गए थे कांग्रेस के विधायक
  • कांग्रेस का आरोप- बीेजेपी तोड़फोड़ की साजिश रच रही
  • उत्तराखंड में भी हरक सिंह रावत हुए एक्टिव

सियासी तौर पर कांग्रेस की मुसीबतें कम होती नजर नहीं आ रही हैं. महाराष्ट्र में कांग्रेस गठबंधन की सत्ता जा चुकी है और अब अन्य राज्यों से भी पार्टी में बगावत के सुर सुनाई पड़ रहे हैं. गोवा से लेकर उत्तराखंड तक कांग्रेस में हलचल बढ़ गई है. हालांकि, दोनों ही राज्यों में पार्टी सत्ता से बाहर है लेकिन जितना बचा है उसमें भी सेंधमारी की कोशिशें होती दिखाई दे रही हैं. 

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बीजेपी के गोवा प्रभारी और महासचिव सीटी रवि ने दावा किया है कि कांग्रेस के 11 विधायक अपनी पार्टी छोड़कर बीजेपी ज्वाइन करने को तैयार हैं. सीटी रवि ने कहा है कि कांग्रेस विधायक और नेता बीजेपी के संपर्क में हैं और वो जल्द ही पार्टी में शामिल होंगे.

सीटी रवि का ये दावा कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है. ये सिर्फ विरोधी दल के नेता का बयान भर नहीं है, बल्कि गोवा में हालात भी कुछ ऐसे ही हैं. 

11 में से 5 विधायक हो गए थे नॉट रीचेबल

40 विधानसभा सदस्यों वाले गोवा में कांग्रेस के कुल 11 विधायक हैं. रविवार को इनमें से 5 विधायक से संपर्क नहीं हो सका. माइकल लोबो, दिगंबर कामत, केदार नाइक, राजेश फलदेसाई और डेलियाला लोबो से कांग्रेस का संपर्क टूटा तो राज्य में सियासी तूफान खड़ा हो गया.

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कांग्रेस ने खुलकर ये कह दिया कि बीजेपी उनकी पार्टी को तोड़ने की साजिश रच रही है और इसमें उसका साथ माइकल लोबो और दिगंबर कामत दे रहे हैं. रविवार को गोवा के कांग्रेस प्रभारी दिनेश गुंडू राव ने आरोप लगाया कि माइकल लोबो और कामत पार्टी को तोड़ने की साजिश रच रहे हैं. 

गुंडू राव ने दावा किया पूर्व सीएम दिगंबर कामत ऐसा खुद को बचाने के लिए कर रहे हैं क्योंकि उनके खिलाफ बहुत सारे केस चल रहे हैं. जबकि माइकल लोबो कुर्सी और पावर के लिए ऐसा कर रहे हैं. 

कांग्रेस ने अपने विधायकों पर सिर्फ आरोप ही नहीं लगाया बल्कि एक्शन भी लिया. रविवार को ही माइकल लोबो को नेता विपक्ष के पद से हटा दिया गया. सोमवार को गोवा कांग्रेस की तरफ से कहा गया कि वो माइकल लोबो और कामत की सदस्यता रद्द करने की मांग भी विधानसभा से करेंगे. 

तैयार था चार्टर प्लेन

गोवा कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अमित पारकर ने दावा किया है कि बीजेपी ने कम से कम 8 कांग्रेस विधायकों को तोड़ने की कोशिश की है और उन्हें 15-30 करोड़ रुपये तक ऑफर किए गए हैं. इसके अलावा दो विधायकों से बीजेपी के टॉप लीडर ने बात भी की है. 

अमित पारकर ने ये भी कहा, ''हमारे पास जानकारी है कि चार्टर प्लेन भी तैयार था. शाम 4 से 4.30 बजे के बीच फ्लाइट उड़ान की परमिशन भी ले ली गई थी, लेकिन इसी बीच हमारे भरोसेमंद विधायकों ने जानकारी दी और पार्टी लीडरशिप ने इनका प्लान चौपट कर दिया. जब बागी गुट को पता चला कि वो 8 विधायक अपने साथ नहीं ले जा पाएंगे, उनका प्लान फेल हो गया.''

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गोवा कांग्रेस चीफ अमित पारकर का कहना है कि चार्टर फ्लाइट के लिए ये परमिशन 10 जुलाई के लिए ली गई थी. बता दें कि ये वही तारीख थी जिस दिन कांग्रेस के 5 विधायकों से संपर्क नहीं हो पा रहा था. इसी दिन माइकल लोबो की पत्नी और कांग्रेस विधायक डेलिया लोबो को सीएम प्रमोद सावंत के आवास से निकलते हुए देखा गया था.

क्या गोवा में बच गई कांग्रेस में टूट?

हालांकि, अब गोवा बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस के कथित बागी नेता कह रहे हैं कि राज्य में ऐसा कुछ नहीं हो रहा है, ये महज बातें हैं. गोवा बीजेपी के अध्यक्ष सदानंद तानावड़े का कहना है कि बीजेपी के पास स्टेबल सरकार है, तो फिर हमें विधायकों की क्या जरूरत है.

उधर, रविवार को 'गायब' रहने वाले कांग्रेस विधायक माइकल लोबो भी सामने आ गए हैं. लोबो ने बीजेपी के साथ जाने की बातों को नकारा है और कहा है कि वो अब भी कांग्रेस के साथ हैं. वहीं, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद से हटाए जाने पर लोबो ने कहा कि एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में न जाने इस तरह के एक्शन का आधार नहीं हो सकता. लोबो ने कहा कि कोई नेता प्रतिपक्ष बनना चाहता है, इसीलिए ये सब किया जा रहा है. 

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इस तमाम घटनाक्रमों के बीच कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व भी एक्टिव नजर आया. सोनिया गांधी के निर्देश पर मुकुल वासनिक गोवा गए और विधायकों से बैठक की. वासनिक का कहना है कि कुछ लोगों ने कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने की कोशिश की, लेकिन विधायकों ने दिखा दिया कि उनका प्लान काम नहीं करने वाला है. वहीं, अब माइकल लोबो भी कह रहे हैं कि वो कांग्रेस के साथ ही संघर्ष कर रहे हैं. 

उत्तराखंड में क्यों बढ़ी टेंशन?

गोवा के साथ ही उत्तराखंड में भी इसी साल विधानसभा चुनाव हुए थे और कांग्रेस को यहां भी करारी शिकस्त मिली थी. मार्च में मिली इस हार के बाद से यहां भी सियासी उठापटक है. कांग्रेस पूरी तरह परास्त हो चुकी है और अब नेताओं ने भी सुरक्षित ठिकाने तलाशने शुरू कर दिए हैं. सोमवार (11 जुलाई) को ही पार्टी के तीन सीनियर नेताओं ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. प्रवक्ता राजेंद्र प्रसाद रतूड़ी, प्रदेश महिला कांग्रेस की वाइस प्रेसिडेंट कमलेश रमन और सोशल मीडिया एडवाइजर कुलदीप चौधरी ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर ली है. 

इन इस्तीफों के बाद कांग्रेस में खलबली मच गई और हरक सिंह रावत के घर एक बैठक की गई. इस बैठक में पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह समेत खटीमा विधायक भुवन चंद्र कापड़ी, विजयपाल सजवान, राजकुमार, लालचंद शर्मा पहुंचे थे. पार्टी के सबसे बड़े नेता हरीश रावत ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया.

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हरक सिंह रावत फिर बदलेंगे पाला?

हालांकि, हरक सिंह रावत से कांग्रेसियों की इस मुलाकात को सामान्य बताया जा रहा है लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि हरक सिंह रावत कांग्रेस की कार्यप्रणाली से खुश नहीं हैं. चर्चा उनके पार्टी छोड़ने की भी हो रही है और फिर बीजेपी का जिक्र चल रहा है. हरक सिंह रावत के ट्विटर हैंडल पर आज भी आखिरी ट्वीट वो है जिसमें वो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का स्वागत करते हुए नजर आ रहे हैं. सोमवार को ही हरक सिंह रावत ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से देहरादून में मुलाकात की. बता दें कि राज्यपाल कोश्यारी उत्तराखंड के मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के राजनीतिक गुरु माने जाते हैं, ऐसे में हरक सिंह की उनसे मुलाकात भी अहम मानी जा रही है.

दरअसल, उत्तराखंड का इतिहास देखें तो पिछला कुछ वक्त कांग्रेस के लिए बगावतों से भरा रहा है. 2017 के चुनाव से ठीक पहले हरक सिंह रावत, यशपाल आर्या और विजय बहुगुणा समेत कई अन्य वरिष्ठ नेता बीजेपी में चले गए थे जिससे कांग्रेस की रीढ़ टूट गई थी. 2017 के चुनाव में पार्टी को करारी हार झेलनी  पड़ी थी. हालांकि, 2022 के चुनाव से पहले यशपाल आर्या और हरक सिंह समेत बाकी नेताओं ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया था. लेकिन कांग्रेस को चुनाव में हार ही झेलनी पड़ी. अब 2024 के लोकसभा चुनाव की लड़ाई से पहले नेताओं का आना-जाना फिर से चर्चा में आ गया है. 

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कांग्रेस के बड़े नेता सोशल मीडिया पर भी एक-दूसरे से टकरा रहे हैं. हाल ही में उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष करण मेहरा को हरीश रावत और प्रीतम सिंह से ये अपील करनी पड़ी कि सोशल मीडिया पर एक-दूसरे को टारगेट करने से बचें, इससे कार्यकर्ताओं का हौसला गिरता है. 

हौसला गिरे न गिरे, कांग्रेस में विकेट जरूर गिरने लगे हैं. और ये गोवा से उत्तराखंड तक हो रहा है. ऐसे में अब नजर इस बात पर भी रहेगी कि क्या कांग्रेस लीडरशिप अपने बची हुई ताकत को कंट्रोल में रख पाती है या नहीं?

 

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