
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन जैसे ही नए राज्यपाल के नाम की घोषणा की गई, महाराष्ट्र में विपक्ष ने भगत सिंह कोश्यारी के कार्यकाल की आलोचना करना शुरू कर दिया. इतना ही नहीं, उनके इस्तीफे को कांग्रेस ने महाराष्ट्र की जीत करार दिया है.
उद्धव ठाकरे (UBT) की पार्टी के नेताओं, एनसीपी और कांग्रेस सभी ने कोश्यारी पर तीखी टिप्पणी की. इसी क्रम में आदित्य ठाकरे ने इसे महाराष्ट्र के लिए बड़ी जीत बताया है. साथ ही कहा कि महाराष्ट्र विरोधी राज्यपाल का इस्तीफा आखिरकार मंजूर. उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले, हमारे संविधान, विधानसभा और लोकतांत्रिक आदर्शों का लगातार अपमान करने वाले को राज्यपाल के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि पूर्व राज्यपाल ने शिवाजी महाराज, ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले व अन्य पर अकारण टिप्पणी कर लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है.
कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने कहा कि कोश्यारी का कार्यकाल विवादों से भरा रहा और राज्य के कल्याण की तलाश करने के बजाय कोश्यारी राजनीति में लिप्त रहे. कोश्यारी के काम करने के तरीके के लिए उन पर बनाया गया दबाव है.
भाजपा ने भगत सिंह कोश्यारी के कार्यकाल की सराहना करते हुए उन्हें राज्यपाल पद के साथ पूरा न्याय करने वाला ईमानदार व्यक्ति करार दिया है. बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने कहा कि राज्य में ईमानदारी से काम करने और सही मायने में जिम्मेदारी निभाने के लिए मैं उन्हें सलाम करना चाहता हूं.
एमवीए और राज्यपाल के बीच शीत युद्ध
देवेंद्र फडणवीस ने जब सुबह के वक्त सीएम पद और अजीत पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी, तब शपथ ग्रहण समारोह की अध्यक्षता की भगत सिंह कोश्यारी ने ही की थी. हालांकि ये सरकार लंबे समय तक नहीं चली और एमवीए ने जल्द ही सरकार बना ली थी.
कोविड संकट के दौरान भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को धार्मिक संस्थानों को फिर से खोलने के मुद्दे पर लिखा और पूछा कि ठाकरे धर्मनिरपेक्ष हो गए हैं. इस प्रकरण ने एमवीए के कई शीर्ष नेताओं को नाराज कर दिया था.
महाराष्ट्र कैबिनेट ने विधान परिषद के लिए मनोनीत होने वाले 12 नेताओं की एक सूची प्रस्तुत की थी. इस पर राज्यपाल ने अंत तक अपनी सहमति नहीं दी और इस मुद्दे ने अंत तक एमवीए और राज्यपाल के बीच कड़वाहट पैदा की.
राज्यपाल को एक बार एक समारोह के लिए उत्तर भारत जाने के लिए एक राज्य विमान देने से मना कर दिया गया था. इस मुद्दे ने भी खूब शोर मचाया था.
कोश्यारी इन बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे
भगत सिंह कोश्यारी ने सितंबर 2019 में महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में पदभार संभाला था. तब से उनकी कई टिप्पणियों ने विवाद खड़ा किया. कांग्रेस, राकांपा और उद्धव ठाकरे गुट ने कई बार उनपर निशाना भी साधा.
पुणे में सावित्रीबाई फुले की एक प्रतिमा के उद्घाटन के दौरान कोश्यारी ने ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले पर टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था कि जब ज्योतिबा फुले का विवाह हुआ था तब उनकी उम्र 13 वर्ष थीं और सावित्रीबाई फुले 10 वर्ष की थीं.
औरंगाबाद में डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भगत सिंह कोश्यारी ने छत्रपति शिवाजी महाराज को पुराने युग का नायक कहकर फिर से सुर्खियां बटोरीं थीं. इस मुद्दे पर विपक्ष भड़क गया था.
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