
बिहार विधानसभा चुनाव में पांच सीटें जीतकर चर्चा में आए असदुद्दीन ओवैसी के गढ़ हैदरबाद में उनकी अग्निपरीक्षा होनी है. ग्रेटर हैदराबाद निकाय चुनाव (GHMC) को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई है. ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) पुराने हैदराबाद इलाके की सीटों पर किस्मत आजमा रही है, जबकि बीजेपी और टीआरएस ने सभी 150 निगम पार्षद सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशी उतारने का ऐलान किया है.
बीजेपी निकाय चुनाव के जरिए 2023 में होने वाले तेलंगाना विधानसभा चुनाव में अपने सियासी आधार को बढ़ाना चाहती है. यही वजह है बीजेपी ने अपने दिग्गज नेताओं की पूरी फौज उतार रखी है. वहीं, टीआरएस भी निकाय चुनाव जीतने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है. इसी के मद्देनजर पार्टी ने तमाम लोकलुभावने वादे भी कर रखे हैं. कांग्रेस अपने सियासी वजूद को बचाए रखने की जद्दोजहद कर रही है.
बता दें कि ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम देश के सबसे बड़े नगर निगमों में से एक है. यह नगर निगम 4 जिलों में है, जिनमें हैदराबाद, रंगारेड्डी, मेडचल-मलकजगिरी और संगारेड्डी आते हैं. इस पूरे इलाके में 24 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं और तेलंगाना के 5 लोकससभा सीटें आती हैं. यही वजह है कि यह निकाय चुनाव आगामी 2023 के तेलंगाना विधानसभा का लिटमस टेस्ट माना जा रहा है.
बीजेपी को उपचुनाव से मिला हौसला
दरअसल, इस महीने की शुरुआत में डबका विधानसभा उपचुनाव में मिली जीत ने बीजेपी के उत्साह को बढ़ा दिया है. बीजेपी ने केसीआर के मजबूत गढ़ में जीत दर्ज की है, जिसके चलते पार्टी के हौसले बुलंद हो गए हैं. अब ग्रेटर हैदराबाद निकाय चुनाव को बीजेपी ने ताल ठोककर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. बीजेपी ने यहां ओवैसी के बहाने केसीआर पर निशाना साध रही थी, लेकिन केसीआर ने सभी 150 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने का ऐलान कर ध्रुवीकरण की राजनीति से बचने का दांव चला है.
केसीआर के निकाय चुनाव में 150 सीटों पर प्रत्याशी के उतारने से AIMIM के सामने राजनीतिक चुनौती खड़ी हो गई है. हालांकि, असदुद्दीन ओवैसी अपने मजबूत गढ़ पुराने हैदराबाद के इलाके की ही निगम पार्षद सीटों पर ही अपने प्रत्याशी उतारे हैं, जिन्हें जिताने के लिए वो और उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी दिन रात एक किए हुए हैं. ओवैसी की AIMIM ने पुराने हैदराबाद इलाके की करीब 50 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं.
हैदराबाद नगर निगम का समीकरण
बता दें कि 2016 के ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में टीआरएस ने 150 वार्डों में से 99 वार्ड में जीत दर्ज की थी, जबकि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने 44 जीता था. वहीं, बीजेपी महज तीन ही नगर निगम वार्ड में जीत दर्ज कर सकी थी और कांग्रेस को महज दो वार्डों में ही जीत मिली थी. इस तरह से ग्रेटर हैदराबाद और पुराने हैदराबाद के निगम पर केसीआर और ओवैसी की पार्टी ने कब्जा जमाया था.
बीजेपी ने उस समय महज तीन सीटें जीती थी जब पार्टी के सात विधायक थे. 2018 के विधानसभा में बीजेपी ने हैदराबाद में छह सीटें खो दीं महज एक सीट बचा पाई थी. बीजेपी के राजा सिंह ने जीतकर बीजेपी की लाज बचाई थी. हालांकि, एक साल के बाद हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने तेलंगाना की चार सीटें आदिलाबाद, करीमनगर, निज़ामाबाद और सिकंदराबाद में जीत हासिल की है. ऐसे में अब उसकी नजर ओवैसी के दुर्ग हैदराबाद इलाके में जीत का परचम फहराने का है. निगम चुनाव में केसीआर के 150 सीटों पर प्रत्याशी उतारने से जरूर ओवैसी की लिए चिंता बढ़ गई है. ऐसे में देखना है कि ओवैसी के अपने दुर्ग में क्या सियासी गुल खिलाते हैं.