
महाराष्ट्र में चाचा-भतीजे की लड़ाई में अब उम्र की एंट्री हुई है. डिप्टी सीएम अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार को 82 साल की उम्र का हवाला देकर रिटायर होने की सलाह दी तो एनसीपी चीफ ने तुरंत पलटवार भी किया है. शरद पवार ने कहा, उम्र मायने नहीं रखती. 82 हो या 92... इससे फर्क नहीं पड़ता. मैं एनसीपी का अध्यक्ष भी हूं. जब तक अच्छा काम कर रहा हूं, एक्टिव पॉलिटिक्स में बना रहूंगा. अजित और शरद पवार की बयानबाजी से राजनीति में भी रिटायरमेंट को लेकर सवाल उठने लगे हैं. दरअसल, आम तौर पर किसी भी नौकरीपेशा लोगों की एक रिटायरमेंट ऐज होती है. लेकिन भारतीय राजनीति में शायद ऐसा कुछ तय नहीं है. जानिए देश के 20 राजनीतिक दल और उनके अध्यक्षों की उम्र के बारे में...
चुनाव आयोग के मुताबिक, देश में 6 राष्ट्रीय पार्टियां हैं. जबकि 54 क्षेत्रीय दल हैं और 2,597 गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियां हैं. नेशनल पार्टी में भारतीय जनता पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और नेशनल पीपुल्स पार्टी का नाम शामिल है. हाल ही में तीन पार्टियों तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) का राष्ट्रीय दर्जा रद्द किया गया है.
चुनाव आयोग ही मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य राजनीतिक दलों के स्टेटस की समीक्षा करता है, जो सिंबल ऑर्डर 1968 के तहत एक सतत प्रक्रिया है. साल 2019 से अब तक चुनाव आयोग ने 16 राजनीतिक दलों के स्टेटस को अपग्रेड किया है और 9 राष्ट्रीय/राज्य राजनीतिक दलों के करंट स्टेटस को वापस लिया है.
1. भारतीय जनता पार्टी (BJP)
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा हैं. वे 62 साल के हैं. वे साल 2020 में बीजेपी के 11वें अध्यक्ष बने थे. पार्टी में अध्यक्ष का तीन साल का कार्यकाल होता है. पार्टी की स्थापना 6 अप्रैल 1980 में हुई थी. नड्डा को जनवरी 2023 में एक साल का और एक्सटेंशन दिया गया है. वो आगामी लोकसभा चुनाव तक पार्टी की कमान संभाले रहेंगे. नड्डा राज्यसभा सदस्य भी हैं. केंद्र सरकार में स्वास्थ्य मंत्री भी रहे हैं.
2. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे हैं. वे 80 साल के हैं. कांग्रेस को इसी साल 24 वर्ष बाद गैर-गांधी अध्यक्ष मिला है. कांग्रेस की स्थापना 28 दिसंबर 1885 को हुई थी. 137 साल पुरानी पार्टी में छठी बार अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ. पार्टी में चुनाव प्रक्रिया के तहत अध्यक्ष चुने जाने की व्यवस्था है. खड़गे जब अध्यक्ष बने, तब पूरे 22 साल बाद चुनाव प्रक्रिया हुई. खड़गे राज्यसभा सदस्य भी हैं. केंद्र सरकार में श्रम एवं रोजगार मंत्री रह चुके हैं.
3. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) की कमान सीताराम येचुरी के पास है. वे 70 साल के हैं और अप्रैल 2015 से जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. पिछले साल ही लगातार तीसरी बार महासचिव चुने गए. उनसे पहले प्रकाश करात ने यह जिम्मेदारी संभाली थी. करात 2005 से 2015 तक लगातार तीन बार पार्टी में इस शीर्ष पद पर रहे.
4. आम आदमी पार्टी (AAP)
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल हैं. वे 54 साल के हैं. पार्टी का दिल्ली में साल 2012 में सियासी तौर पर जन्म हुआ. AAP ने 10 साल बाद ही राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल कर लिया. दिल्ली में लगातार तीसरी बार AAP पार्टी की सरकार है. 2022 के चुनाव में पार्टी ने पंजाब में भी पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई है. केजरीवाल ने दिल्ली में लगातार तीसरी बार सत्ता संभाली है. इससे पहले शीला दीक्षित भी तीन बार दिल्ली की सीएम रही हैं.
5. बहुजन समाज पार्टी (BSP)
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती हैं. वे 67 साल की हैं. वे यूपी की चार बार मुख्यमंत्री रही हैं. साल 1995, 1997, 2002 और 2007 में जिम्मेदारी संभाली. मायावती पहली बार जून 1995 में बीजेपी और अन्य पार्टियों के बाहरी समर्थन से मुख्यमंत्री बनीं थीं. तब उनका कार्यकाल सिर्फ 4 महीने का था. वे दूसरी बार 1997 और तीसरी बार 2002 में मुख्यमंत्री बनीं. तब उनकी पार्टी का बीजेपी के साथ गठबंधन था. मायावती का सपना आईएएस बनना था. 1977 में दलित नेता कांशीराम से मिलने के बाद उन्होंने पूर्णकालिक राजनीति में आने का फैसला किया.
6. नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP)
NPP के प्रमुख कोनराड संगमा हैं. वे 45 साल के हैं. NPP को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल है. पार्टी का प्रभाव मुख्य रूप से मेघालय में है. ये पूर्वोत्तर की एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी है. इसकी स्थापना (एल) पूर्णो अगितोक संगमा ने की थी. 2022 के चुनाव में NPP सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. कोनराड संगमा ने दूसरी बार सीएम पद की शपथ ली. उनकी पार्टी को सरकार बनाने के लिए बीजेपी के अलावा यूडीपी, पीडीएफ ने भी समर्थन दिया है.
7. तृणमूल कांग्रेस (TMC)
अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी हैं. वे 68 साल की हैं. ममता अपनी आधिकारिक उम्र से 5 साल छोटी हैं. उन्होंने खुद इसका खुलासा किया था. ममता 2021 के चुनाव में पश्चिम बंगाल की तीसरी बार सीएम बनी हैं. इससे पहले उन्होंने 20 मई 2011 को पहली और 27 मई 2016 को दूसरी बार सीएम पद की शपथ ली थी. उन्होंने 1998 में टीएमसी की स्थापना की. वे पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री भी हैं. उन्होंने महज 15 वर्ष की उम्र में राजनीति में एंट्री कर ली थी.
8. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP)
राष्ट्रवादी पार्टी के प्रमुख शरद पवार हैं. वे 82 साल के हैं. उन्होंने 25 साल पहले कांग्रेस से अलग होने के बाद पार्टी की स्थापना की थी. पवार 50 साल से ज्यादा समय से राजनीति में सक्रिय हैं. साल 1967 में वे 27 साल की उम्र में पहली बार विधायक बने. 32 साल की उम्र में पहली बार सीएम बने. वे महाराष्ट्र के चार बार सीएम रहे. 45 साल पहले शरद ने भी बगावत कर पहली बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली थी.
9. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI)
CPI की कमान डी राजा के पास है. वे पार्टी के महासचिव हैं और 74 साल के हैं. इस दल की स्थापना 26 दिसंबर 1925 को हुई थी. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना एमएन राय ने की. डी राजा ने एस सुधाकर रेड्डी की जगह जिम्मेदारी संभाली थी. हाल ही में सीपीआई से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छीन लिया गया है.
10. भारत राष्ट्र समिति (BRS)
BRS के प्रमुख के. चंद्रशेखर राव हैं. वे 69 साल के हैं और तेलंगाना के मुख्यमंत्री हैं. वे साल 2018 में दूसरी बार राज्य के सीएम बने. इससे पहले इस पार्टी को तेलंगाना राष्ट्र समिति के नाम से जाना जाता था. ये 20 साल पुरानी पार्टी है. टीआरएस 2001 में तेलंगाना राज्य बनाने के एजेंडे के साथ बनाई गई थी. दिसंबर 2022 में पार्टी ने अपने नाम में बदलाव किया है. इसे केसीआर के राष्ट्रीय राजनीति में जाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है .
11. बीजू जनता दल (BJD)
BJD के प्रमुख नवीन पटनायक हैं. वे 76 साल के हैं. वे लगातार पांच बार से ओडिशा के मुख्यमंत्री हैं. पहली बार 2005 में सीएम बने थे. 22 साल से सीएम की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. ये पार्टी 26 साल पुरानी है. बीजद का गठन 26 दिसंबर 1997 को हुआ था. नवीन पहले सांसद, फिर केंद्रीय मंत्री और बाद में मुख्यमंत्री बने. यह संभवत: एकमात्र ऐसी क्षेत्रीय पार्टी है, जिसने अब तक एक भी चुनाव नहीं हारा है.
12. राष्ट्रीय जनता दल (RJD)
RJD के संस्थापक लालू प्रसाद यादव हैं. वे 75 साल के हैं. लालू ने 5 जुलाई 1997 में पार्टी की स्थापना की थी. पार्टी का मुख्य जनाधार बिहार और झारखंड राज्य में है. सजायाफ्ता होने के बावजूद लालू पार्टी की कमान अपने हाथ में लिए रहे. वे अभी भी आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. लालू 1977 में पहली बार आम चुनाव जीते. वे 1990 से 1997 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे. बाद में 2004 से 2009 तक केंद्र की यूपीए सरकार में रेल मंत्री का कार्यभार भी संभाला.
13. समाजवादी पार्टी (SP)
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव हैं. वे 50 साल के हैं. अखिलेश, मुलायम सिंह यादव की पहली पत्नी मालती देवी के बेटे हैं. उन्होंने पॉलिटिकल करियर की शुरुआत साल 2000 में की थी. अखिलेश 27 साल की उम्र में सांसद बने और 38 साल में सबसे कम उम्र में उत्तर प्रदेश के सीएम की कमान संभाली. मुलायम सिंह यादव ने 4 अक्टूबर 1992 को सपा की स्थापना की थी. वे तीन बार यूपी के सीएम रहे और देश के रक्षा मंत्री भी रह चुके हैं.
14. शिरोमणि अकाली दल (SAD)
SAD के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल हैं. वे 60 साल के हैं. पार्टी का प्रभाव पंजाब में है. सुखबीर पंजाब के डिप्टी सीएम भी रहे हैं. उनके पिता प्रकाश सिंह बादल शिअद के 1996 से 2008 तक अध्यक्ष रहे. उसके बाद उन्होंने अकाली दल की कमान अपने बेटे सुखबीर सिंह बादल को सौंपी. हाल ही में 95 साल की उम्र में प्रकाश सिंह बादल का निधन हो गया है. वे पंजाब के पांच बार सीएम भी रहे हैं.
15. वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP)
युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी हैं. वे 50 साल के हैं और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. YSRCP क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी है और इसका प्रभाव आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में है. जगन मोहन ने इस पार्टी की स्थापना मार्च 2011 में की थी. उनके पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी भी आंध्र प्रदेश के सीएम रहे हैं. जगनमोहन की बहन शर्मिला पड़ोसी राज्य तेलंगाना में वाईएसआर तेलंगाना पार्टी का नेतृत्व करती हैं.
16. जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC)
नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला हैं. वे 84 साल के हैं. वे जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रहे हैं. फारूक 1981 से नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष हैं. हालांकि, 2002 और 2009 के बीच उनके बेटे उमर अब्दुल्ला ने पार्टी की जिम्मेदारी संभाली. NC का जम्मू-कश्मीर में प्रभाव है. 1932 में पार्टी का गठन हुआ. इसके संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला हैं. संगठन ने 1939 में नाम बदलकर 'नेशनल कॉन्फ्रेंस' कर दिया.
17. जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (JKPDP)
PDP की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती हैं. वे 64 साल की हैं. मुफ्ती 4 अप्रैल 2016 से 19 जून 2018 तक जम्मू और कश्मीर की अंतिम मुख्यमंत्री भी रही हैं. वे राज्य में सीएम का पद संभालने वाली पहली महिला बनीं. महबूबा, मुफ्ती मोहम्मद सईद और गुलशन आरा की बेटी हैं. पीडीपी की स्थापना मुफ्ती मोहम्मद सईद ने की थी. वे जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.
18. जनता दल (सेक्युलर) (JDS)
जनता दल (सेक्युलर) की कमान पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के पास है. वे 90 साल के हैं. यह पार्टी कर्नाटक और केरल में क्षेत्रीय दल के रूप में रजिस्टर्ड है. इसकी स्थापना 1999 में जनता दल से टूटकर हुई. दरअसल, उसी साल जनता दल का एक गुट जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में बीजेपी के साथ NDA गठबंधन में चला गया था. जबकि एक गुट एचडी देवगौड़ा के नेतृत्व में जनता दल (सेक्युलर) के रूप में सामने आया. एचडी देवगौड़ा देश के 12वें प्रधानमंत्री रहे. वे कर्नाटक के मुख्यमंत्री भी रहे. देवगौड़ा अपने नेतृत्व में 7 चुनाव अब तक लड़ चुके हैं. उन्होंने 1960 के दशक में पॉलिटिक्स में एंट्री की थी.
19. जनता दल (यूनाइटेड) (JDU)
जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह हैं. वे 68 साल के हैं. वे लगातार दूसरी बार पार्टी के अध्यक्ष बने हैं. ललन सिंह सांसद भी हैं. इस पार्टी की स्थापना 30 अक्टूबर 2003 को हुई. पार्टी के इन 19 सालों में नीतीश कुमार (72 साल) करीब 18 साल से बिहार के सीएम हैं. JDU 2003 में तत्कालीन समता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड के विलय के बाद अस्तित्व में आया था. जेडीयू को बिहार और अरुणाचल प्रदेश में राज्य स्तरीय राजनीतिक पार्टी का दर्जा प्राप्त है.
20. झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM)
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के अध्यक्ष शिबू सोरेन हैं. वे 79 साल के हैं. ये पार्टी 50 साल से ज्यादा पुरानी है. 4 फरवरी 1973 को स्थापना हुई थी. वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे हैं. वर्तमान में उनके बेटे हेमंत सोरेन राज्य के सीएम हैं. शिबू सोरेन गुरुजी के नाम से भी चर्चित हैं. वे 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार में कोयला मंत्री रहे. JMM का झारखंड के अलावा, ओडिशा, बंगाल और छत्तीसगढ के कुछ आदिवासी क्षेत्रों में प्रभाव है.
क्या बीजेपी का मार्गदर्शक मॉडल काम करता है?
दरअसल, 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी. तब 75+ नेताओं को ना तो मंत्री बनाने और ना पार्टी में कोई पद देने का फैसला लिया गया. इसके तहत लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी के अलावा 75 साल से अधिक उम्र के नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई, जिनमें शांता कुमार, बीसी खंडूरी, हुकुम देव यादव, कारिया मुंडा, बिजया चक्रवर्ती का नाम शामिल था. मोदी सरकार में 75 की उम्र पूरी होने पर कलराज मिश्रा, नजमा हेपतुल्ला को मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था. बीजेपी के इस कदम के बाद राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों से उठने लगी थी कि क्या राजनेताओं की रिटायरमेंट की आयु होनी चाहिए? क्या नेताओं की उम्र उनके निर्वाचन क्षेत्र की प्राथमिकताओं को प्रभावित करती है? वहीं, एक ही परिवार की तरफ से संचालित पार्टियों में युवा नेतृत्व ढूंढना ज्यादा कठिन काम हो गया है?
बगावत का 'बिहार मॉडल', जिसने उद्धव ठाकरे और शरद पवार की जमीन छीन ली
अजित पवार ने क्या कहा था?
दरअसल, अजित पवार ने बुधवार को कहा था कि अब समय आ गया है कि चाचा रिटायर हो जाएं और NCP की कमान मुझे सौंप दें. इससे पहले अजित ने खुद को पार्टी के नेता के रूप में दावा किया. उन्होंने कहा, हमारे साथ कई विधायकों का समर्थन है. अजित के बयान पर शरद पवार ने प्रतिक्रिया दी और कहा, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई 82 साल का है या 92 साल का. मैं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का अध्यक्ष हूं.
'अजित के जाने से NCP को नुकसान जरूर हुआ, लेकिन...', अब शरद पवार के पोते ने कही ये बड़ी बात
पार्टी और चिह्न बचाने की कवायद में शरद पवार?
वहीं, दिल्ली में शरद पवार ने एनसीपी की कार्य समिति की बैठक बुलाई. इस पर अजीत गुट ने बयान जारी किया और कहा कि इसकी कोई कानूनी पवित्रता नहीं है. किसी भी निर्णय का कोई वैध कानूनी आधार नहीं है. यह पार्टी में किसी के लिए बाध्यकारी नहीं होगा. पार्टी में किसी को भी राष्ट्रीय कार्यकारी समिति या राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक बुलाने का अधिकार नहीं है, जब तक कि चुनाव आयोग किसी भी गुट को पार्टी के नाम और चिह्ने का उपयोग करने का अधिकार नहीं देता.
चाचा बनाम भतीजा: शरद पवार की घड़ी टिक-टिक तो कर रही है लेकिन चाबी किसके पास?
इसके जवाब में शरद पवार ने कहा, दावे में कोई सच्चाई नहीं है. यह (बैठक) NCP के संविधान के अनुसार आयोजित की गई है. हम चुनाव आयोग से संपर्क करेंगे. बगावत से पार्टी को नुकसान हुआ है. हमें इससे आगे बढ़ना है और मजबूती से आगे बढ़ना है. आज की बैठक पार्टी के सदस्यों को प्रोत्साहित करने के लिए है.
'चुनाव आयोग पहुंच गए हैं चाचा-भतीजे'
बता दें कि अजित पवार ने चुनाव आयोग (ईसीआई) के समक्ष एक याचिका भी दायर की है, जिसमें कहा गया है कि वो असली एनसीपी का प्रतिनिधित्व करते हैं और इसलिए चुनाव चिह्न के साथ पार्टी का नाम उन्हें दिया जाना चाहिए. इससे पहले एक बयान में अजित पवार ने महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जताई थी. इस पर शरद पवार ने कहा, अगर कोई मुख्यमंत्री बनना चाहता है तो मुझे कोई समस्या नहीं है. मैं उन्हें अपनी शुभकामनाएं देता हूं.
शरद पवार ने तख्तापलट पर बीजेपी पर निशाना साधा और कहा, महाराष्ट्र की जनता 2024 में सत्ता में रहने वालों को बदल देगी. उन्होंने (भाजपा) विपक्षी दलों के साथ जो किया है उसकी कीमत उन्हें चुकानी होगी. गुरुवार की बैठक में शरद पवार के गुट ने एक प्रस्ताव रखा और बीजेपी सरकार की अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक कार्रवाई और विपक्ष के खिलाफ सत्ता के दुरुपयोग की निंदा की.