
राज्यसभा में वित्त विधेयक-2021 पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के सांसद दीपेन्द्र सिंह हुड्डा ने सरकार से किसानों की आय दोगुनी करने, रोजगार और पेट्रोल-डीजल पर तीखे सवाल पूछे. जानें क्या बोले हुड्डा
‘2022 आने में नौ महीने ही बचे’
दीपेन्द्र हुड्डा ने सदन में सवाल किया कि आपने 2022 तक किसान की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है. अब नौ महीने ही बचे हैं 2022 आने में तो सरकार बताए कि किसानो की आय दोगुनी कैसे होगी? इसका क्या आधार है, क्या ब्रेकअप है.
‘क्या 16,000 रुपये महीने होगी आय’
दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि एक आधार तो यह हो सकता है कि अगर 2015-16 में किसान की आय का आकलन 8,000 रुपये प्रति माह है तो 2022 तक ये 16,000 रुपये प्रति माह हो जाए.
‘किसान की उपज का दाम दोगुना हो जाए’
उन्होंने कहा दूसरा आधार ये हो सकता है कि किसान की उपज का जो भाव है वो दोगुना हो जाए. उसे मिलने वाला MSP दोगुना हो जाए, जैसे 2015-16 में धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,410 रुपये था वो 2022 तक बढ़कर 2800 रुपये हो जाए. ये तो हो नहीं रहा. अभी धान का MSP 1800 रुपये के आसपास है. आपने MSP तो बढ़ाई 30% लेकिन इनपुट कॉस्ट लगातार बढ़ाते जा रहे हैं. डीजल की कीमत 94% बढ़ गई है.
‘किसान को मजूदर बना दिया जाए’
हुड्डा ने कहा कि उन्होंने इसका आधार जानने के लिए कृषि मंत्रालय से पता किया तो उन्हें जवाब मिला कि इसके लिए सरकार का एक सुझाव है कि किसानों को खेती से बाहर निकालकर दूसरे काम में लगाना. यानी एक घर में दो भाई खेती करते हैं तो उनमें से एक को मजदूर बना दो और दूसरा जो बचा उसकी आय दोगुनी हो गई.
‘किसान की याददाश्त कमजोर नहीं’
उन्होंने सरकार पर तीखा प्रहार किया कि क्या इस तरह आप किसानों की आय दोगुना करना चाहते हैं? आप सोचते हैं कि किसान ये बातें भूल जाएगा, लेकिन किसान की याददाश्त बहुत तेज होती है. इसलिए वह 4 महीने से बैठा है 300 लोगों की जान गंवाने के बाद भी बैठा है.
‘मुकेश कुमार और मुकेश अंबानी के लिए बराबर कर’
दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि देश में प्रत्यक्ष कर व्यवस्था समानता लाती है. इसमें आप आयकर और कॉरपोरेट कर में फर्क कर सकता है. जबकि अप्रत्यक्ष कर गरीब को अधिक देना पड़ता है. पेट्रोल पर मुकेश कुमार और मुकेश अंबानी को समान कर देना पड़ता है. जब से आपकी सरकार आई है तब से कॉरपोरेट कर को कम करते जा रहे हैं.
‘कॉरपोरेट कर दुनिया के बराबर, पेट्रोल-डीजल पर क्यों नहीं’
हुड्डा ने सरकार पर निशाना साधा, ‘आप कहते हैं कि कॉरपोरेट कर दुनिया के बराबर होना चाहिए ताकि हमारी कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता बढ़े. लेकिन जब कॉरपोरेट कर दुनिया के बराबर होना चाहिए तो पेट्रोल-डीजल पर कर दुनिया के बराबर क्यों नहीं होना चाहिए. आम आदमी की कॉम्पिटेंसी क्यों नहीं दुनिया के बराबर नहीं होनी चाहिए.’
‘आने थे 14 करोड़ रोजगार, चले गए 12 करोड़’
दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि आपने हर साल दो करोड़ रोजगार देने का वादा किया था. उस हिसाब से 14 करोड़ रोजगार आने थे लेकिन कोरोना लॉकडाउन में 12 करोड़ नौकरियां चली गईं. NSSO के आंकड़े दिखाते हैं कि 45 साल में सबसे अधिक बेरोजगारी है. नोटबंदी और लॉकडाउन से ही 12 करोड़ नौकरिया चली गईं.
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