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पहलवानों के समर्थन में आ गईं खाप तो बीजेपी को क्या कीमत चुकानी पड़ सकती है?

WFI के प्रमुख और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवान लगातार मोर्चा खोले हुए हैं. बृजभूषण पर FIR होने के बाद अब तक गिरफ्तारी ना होने से पहलवानों के आंदोलन को खाप पंचायत ने भी समर्थन दे दिया है. यूपी के मुजफ्फरनगर से बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, हरियाणा के हिसार से बीजेपी सांसद बीरेंद्र सिंह, सांसद प्रतिमा मुंडे ने भी बृजभूषण सिंह के खिलाफ बयान दिया है.

WFI अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवान मोर्चा खोले हैं. वे गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं. (फाइल फोटो) WFI अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवान मोर्चा खोले हैं. वे गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं. (फाइल फोटो)
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 02 जून 2023,
  • अपडेटेड 7:58 PM IST

भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर पहलवान एक महीने से अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे हैं. पहलवान उन्हें गिरफ्तार करने की मांग कर रहे हैं. पहलवानों को इंसाफ दिलाने का बीड़ा अब खाप पंचायत ने अपने हाथों में ले लिया है, जिसे लेकर पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर से अलीगढ़ और अब हरियाणा के कुरक्षेत्र में खाप महापंचायत की बैठक हो रही है. बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी को लेकर इसी तरह से गुस्सा बढ़ता रहा तो बीजेपी को कम से कम तीन राज्यों-पश्चिमी यूपी, हरियाणा और राजस्थान में सियासी कीमत चुकानी पड़ सकती है?

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उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से बीजेपी सांसद व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, हरियाणा के हिसार से बीजेपी सांसद बीरेंद्र सिंह, सांसद प्रतिमा मुंडे ने बृजभूषण सिंह के खिलाफ बयान दिया है. बृजेंद्र सिंह महिला पहलवानों के समर्थन में ट्वीट कर कहा कि यह बिल्कुल दिल दहला देने वाला है कि उन्हें उनकी जीवन भर की मेहनत को बर्बाद करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. बृजेंद्र सिंह ने पिछले महीने भी पहलवानों के पक्ष में ट्वीट कर कहा था कि सड़कों पर हमारे पहलवानों को प्रदर्शन करते देखना निराशाजनक है. 

महिला पहलवानों ने यह आरोप लगाए

बृजभूषण सिंह के खिलाफ दो एफआईआर और सात शिकायतें हुई हैं. बृजभूषण के खिलाफ छेड़छाड़ और यौन शोषण के मामलों का जिक्र है. शिकायत के मुताबिक गलत तरीके से छूना, किसी बहाने से छाती के ऊपर हाथ रखने की कोशिश या हाथ रखना, छाती से पीठ तक हाथ को लेकर जाना, पीछा करना शामिल है. इस तरह से शिकायत के बाद भी उनकी गिरफ्तारी न होने से महिला पहलवानों के पक्ष में खाप पंचायतें उतर आईं है. 

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विपक्षी दल भी लगातार बीजेपी को घेर रहे

वहीं, विभिन्न राजनीतिक दल- आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकदल और भारतीय किसान यूनियन इन पहलवानों के समर्थन में खड़े दिखाई दे रहे हैं. बृजभूषण सिंह के बहाने बीजेपी को घेर रहे हैं. ऐसे में अब सिर्फ बृजभूषण के साथ-साथ बीजेपी की राजनीतिक टेंशन बढ़ने लगी है, क्योंकि पश्चिमी यूपी से लेकर हरियाणा और राजस्थान तक के जाट बेल्ट में इस मामले को लेकर अच्छी खासी नाराजगी दिख रही है. किसान आंदोलन के चलते पहले से ही जाट समुदाय के बीच नाराजगी थी. 

मोदी सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लेकर जरूर 2022 के यूपी और पंजाब के विधानसभा चुनाव से पहले डैमेज कन्ट्रोल करने की कोशिश की थी, जिसमें यूपी में उसे राजनीतिक सफलता भी मिली. हालांकि, महिला पहलवानों के द्वारा बृजभूषण सिंह पर लगाए गए यौन शोषण को आरोपों के बाद भी अभी तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है और बीजेपी उनके पक्ष में खड़ी नजर आ रही है. ऐसे में बीजेपी को लेकर जाट बेल्ट में गुस्सा बढ़ता जा रहा है और ऐसे ही मामला खिंचा तो तीन राज्यों में बीजेपी को नुकसान हो सकता है. 

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यूपी के जाट बेल्ट में बीजेपी का सिरदर्द

उत्तर प्रदेश में भले ही जाटों की आबादी 3 से 4 फीसदी के बीच है, लेकिन पश्चिमी यूपी में 17 फीसदी के करीब है. कई जिले में जाट 30 फीसदी के भी करीब हैं. पश्चिमी यूपी की एक दर्जन से ज्यादा लोकसभा और 60 विधानसभा सीटों को जाट प्रभावित करते हैं. पश्चिमी यूपी के कैराना, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, बिजनौर, गाजियाबाद, नोएडा, मुरादाबाद, संभल, अमरोहा, बुलंदशहर, हाथरस और अलीगढ़ में जाट अहम है.  

राजस्थान में जाट सियासत पर असर

राजस्थान में करीब 12 फीसदी जाट समुदाय है, जिसका असर करीब 50 विधानसभा सीटों पर जीतने की ताकत रखते हैं तो 20 सीटों पर किसी दूसरे समाज के नेता को जीतने-हराने में अहम रोल अदा करते हैं. जाट समाज के सियासी दबदबे का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि राजस्थान में हर चुनाव में कम से कम 10 से 15 फीसदी विधायक जाट समाज के ही होते हैं.

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राजस्थान का शेखावटी इलाका जाट बहुल माना जाता है, यहां पर जाट वोट 25 से 30 फीसदी तक है. टोंक, हनुमानगढ़, गंगानगर, धौलपुर बीकानेर, चुरू, झुंझनूं, नागौर, जयपुर, चित्तोड़गढ़, अजमेर, बाड़मेर, सीकर, जोधपुर और भरतपुर में जाट समुदाय बड़ी संख्या में है. राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने है और जाट समुदाय के बीच ऐसी ही नाराज होते जा रहे हैं, उससे बीजेपी के लिए सियासी चुनौती बढ़ सकती है, क्योंकि जाट वोटर बीजेपी का कोर वोटबैंक माना जा रहा है. 

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हरियाणा में जाटों में बढ़ रही नाराजगी

हरियाणा में करीब 28 फीसद जाट समाज है, जो किसी भी राजनीतिक दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखता है. हरियाणा के रोहतक, सोनीपत, झज्जर, चरखी दादरी, पानीपत, जींद, कैथल, सिरसा, फतेहाबाद, हिसार और भिवानी रको जाट बहुल माना जाता है. हरियाणा के 10  जिलों की 30 से 35 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां जाट मतदाता पूरी तरह से निर्णायक हैं. छह लोकसभा सीटों पर जाट वोटर्स हैं. 

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बीजेपी को सियासी नुकसान

पूर्व गर्वनर सत्यपाल मलिक ने आजतक के साथ बात करते हुए कहा कि महिला पहलवानों को अगर अपनी मांगे मनवानी हैं तो राजस्थान के जाट बहुल इलाके में जाकर रैली करनी होगी और समाज के बीच अपना दर्द बयां करना होगा, उसके बाद ही बीजेपी की आंख खुलेगी. बीजेपी जब तक चुनाव नहीं हारती तब तक उसका दिमाग ठीक नहीं होता है. 

वहीं, हरियाणा में जाट पहले से बीजेपी के नाराज है तो पश्चिमी यूपी में जाटों का गुस्सा बढ़ रहा है. किसान आंदोलन  और जाट सियासत हशिए पर रहने के चलते जाट पहले से ही आक्रोशित है. ऐसे महिला पहलवानों के मामले में बृजभूषण सिंह को गिरफ्तारी नहीं होने से नाराजगी और भी बढ़ती जा रही है. बीजेपी इस तरह का रुख अपनाए रखा तो आगामी चुनाव में इसका खामियाजा उसे उठाना पड़ सकता है?

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