
हाल में संपन्न हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में अगर कोई एक राजनीतिक दल सबसे ज्यादा फायदे में रहा है तो वह भारतीय जनता पार्टी है. बीजेपी ने न केवल हिंदी हार्ट लैंड के तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में शानदार जीत दर्ज की है, बल्कि तेलंगाना में अपने वोट प्रतिशत को दोगुना कर लिया है और सीटों की संख्या 1 से बढ़ाकर 8 तक पहुंचा दी है. वहीं पूर्वोत्तरी राज्य मिजोरम में भी भगवा पार्टी ने अपना वोट शेयर और सीटें बढ़ाई हैं.
ये नतीजे 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के आत्मविश्वास को और ऊंचाइयों पर ले गए हैं. वर्षों के कठिन प्रयास के बाद दक्षिण भारत में भाजपा के लिए कर्नाटक एक मात्र ऐसा राज्य था जहां उसने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करायी. इसके अलावा तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल में पार्टी अपना छाप छोड़ने में विफल रही थी. लेकिन अब स्थिति बदली हुई नजर आती है. कह सकते हैं कि भगवा पार्टी धीरे-धीरे देश के दक्षिणी हिस्से में अपना विस्तार करने में सफलता हासिल कर रही है.
तेलंगाना में भाजपा के पास विस्तार का मौका
तमिलनाडु में के. अन्नामलाई जैसे युवा नेता ने भाजपा को एक नयी पहचान दी है. वहीं, कर्नाटक के बाद तेलंगाना दूसरा ऐसा राज्य नजर आ रहा है जहां भाजपा आने वाले कुछ वर्षों में एक बड़ी राजनीतिक ताकत बनकर उभर सकती है. अगर हाल के विधानसभा चुनाव और 2018 के चुनाव की तुलना करें तो इसकी पुष्टि भी होती है. भाजपा ने 2018 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव में करीब 7 फीसदी वोट शेयर हासिल किया था और सिर्फ 1 सीट जीतने में सफल रही थी.
वहीं, इस बार भाजपा का वोट शेयर लगभग 14 फीसदी के आसपास पहुंच गया और भगवा पार्टी ने 8 सीटें जीतने में सफलता पायी. तेलंगाना के भाजपा नेता केवीआर ने मुख्यमंत्री केसीआर और पीसीसी प्रमुख रेवंत रेड्डी को हराया. हमेशा सुर्खियों में रहने वाले टाइगर राजा सिंह हैदराबाद शहर के गौशमहल से लगातार तीसरी बार चुनाव जीत गए. पार्टी द्वारा जीती गईं अन्य सीटों में सिरपुर (पलवई हरीश बाबू), आदिलाबाद (पायल शंकर), निर्मल (एलेटी महेश्वर रेड्डी), आर्मूर (पैदी राकेश रेड्डी), निजामाबाद (डी सूर्यनारायण), और मुधोले (राम राव पवार) शामिल हैं.
तेलंगाना में 2024 में बढ़ सकती हैं बीजेपी की सीटें
भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य की कुल 17 में से 4 सीटें जीती थीं. तब पार्टी को वोट परसेंट 19.45% रहा था. आदिलाबाद (एसटी) से सोयम बापू राव, करीमनगर से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बंदी संजय कुमार, निजामाबाद से अरविंद धर्मपुरी और सिकंदराबाद से केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी चुनाव जीते थे. पिछले विधानसभा चुनाव में जब भाजपा ने महज 1 सीट पर दर्ज की थी और उसका वोट शेयर 7 फीसदी था, तो उसे लोकसभा में करीब 20 फीसदी वोट और 4 सीटें मिली थीं.
इसे ध्यान में रखते हुए अगर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों को देखें तो तेलंगाना में भाजपा का प्रदर्शन और बेहतर होने की उम्मीद की जा सकती है. चूंकि विधानसभा के चुनाव मुख्यमंत्री चुनने के लिए होते हैं, ऐसे में राज्य की जनता किसी स्थानीय को ज्यादा पसंद करती है. लेकिन लोकसभा का चुनाव प्रधानमंत्री चुनने के लिए होता है. तेलंगाना से इस पद के लिए कोई ऐसा उम्मीदवार नहीं है. ऐसे में जनता के मन में संदेह की गुंजाइश भी बाकी नहीं रह जाती. पीएम मोदी की लोकप्रियता भी यहां अच्छी-खासी है.
पीएम मोदी ने तेलुगु में संबोधन कर दे दिया संदेश
ऐसे में भाजपा 2023 के विधानसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन को सकारात्मक रूप से ले रही है. उसके पास आगामी लोकसभा चुनावों में तेलंगाना में अपनी सीटों की टैली बढ़ाने का सुनहरा मौका है. पीएम मोदी भी इस बात को भली भांति समझते हैं. तभी तो उन्होंने हाल के विधानसभा चुनावों में पार्टी के शानदार प्रदर्शन के बाद दिल्ली भाजपा मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि मैं तेलंगाना की जनता और तेलंगाना भाजपा कार्यकर्ताओं का विशेष आभार व्यक्त करता हूं.
पीएम मोदी ने उल्लेखित किया कि हर चुनाव में तेलंगाना में भाजपा का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है, उन्होंने कहा, 'मैं तेलंगाना के कार्यकर्ता को विश्वास दिलाता हूं कि भाजपा आपकी सेवा में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेगी.' इसके अलावा पीएम मोदी ने अपने संबोधन के बीच में तेलुगु भाषा का भी इस्तेमाल किया. ये सब 2024 की ही कवायद थी. बीजेपी किसी राज्य में एक बार थोड़ी बहुत पैठ बनाने में कामयाब रही तो वह तेजी से विस्तार करती है. पश्चिम बंगाल इसका उदाहरण है, जहां पार्टी सिर्फ 10 वर्षों में टीएमसी के बाद दूसरी बड़ी पार्टी बन चुकी है. तेलंगाना में भी उसके पास विस्तार का पर्याप्त मौका है.