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13 तारीख, 13 सवाल और 13 नेता... INDIA गठबंधन की पहली कोऑर्डिनेशन मीटिंग में होगा असली 'खेल'!

विपक्षी I.N.D.I.A. गठबंधन की कोऑर्डिनेशन कमेटी की पहली बैठक शरद पवार के आवास पर होनी है. 13 तारीख को हो रही इस बैठक में 13 नेताओं के शामिल होने की बात कही जा रही है. इस मीटिंग में बेहतर कोऑर्डिनेशन के लिए 13 सवालों के जवाब ढूंढना बड़ी चुनौती होगी.

ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और अधीर रंजन चौधरी (फाइल फोटो) ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और अधीर रंजन चौधरी (फाइल फोटो)
बिकेश तिवारी
  • नई दिल्ली,
  • 13 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 1:15 PM IST

विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस यानी इंडिया गठबंधन ने घटक दलों के बीच समन्वय के लिए कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाई थी. इंडिया गठबंधन के कोऑर्डिनेशन कमेटी की पहली बैठक 13 सितंबर को नई दिल्ली में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार के आवास पर होनी है. इंडिया गठबंधन की रणनीति और भविष्य के कार्यक्रमों पर चर्चा के लिए होने जा रही कोऑर्डिनेशन कमेटी की इस बैठक में अभिषेक बनर्जी शामिल नहीं होंगे.

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अभिषेक को ईडी ने समन कर पूछताछ के लिए बुलाया है. ऐसे में कमेटी की इस पहली बैठक में 13 सदस्यों के शामिल होने की बात कही जा रही थी लेकिन अब सीपीआईएम ने भी बैठक से किनारा कर लिया है. सीपीआईएम सदस्य के बैठक में शामिल नहीं होने को लेकर कहा जा रहा है कि पार्टी ने गठबंधन की किसी कमेटी में शामिल होने को लेकर अभी फैसला नहीं लिया है.

कोऑर्डिनेशन कमेटी में कौन सदस्य?

इंडिया गठबंधन की कोऑर्डिनेशन कमेटी में कांग्रेस से केसी वेणुगोपाल, एनसीपी से शरद पवार, डीएमके से टीआर बालू और शिवसेना (यूबीटी) से संजय राउत सदस्य हैं. आरजेडी के तेजस्वी यादव, जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, टीएमसी के अभिषेक बनर्जी, आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा, समाजवादी पार्टी के जावेद अली खान, जेएमएम के हेमंत सोरेन के साथ ही नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला और पीडीपी की महबूबा मुफ्ती भी कोऑर्डिनेशन कमेटी में शामिल हैं. सीपीआई  की ओर से डी राजा कमेटी में शामिल हैं जबकि सीपीआईएम का नाम 14 वें नंबर पर बाद में जोड़ा गया था. हालांकि, ये साफ नहीं हुआ था कि पार्टी से कमेटी में किस नेता को जगह मिलेगी.

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नए गठबंधन की इस नवगठित कोऑर्डिनेशन कमेटी के सामने बेहतर कोऑर्डिनेशन के लिए 13 सवालों के जवाब खोजना, घटक दलों के बीच समन्वय बनाने के लिए बीच का रास्ता निकालना बड़ी चुनौती होगी.

1- ममता बनाम अधीर की जंग कैसे खत्म होगी?

पश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी पटना की पहली बैठक के बाद भी टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी पर हमलावर रहे हैं. अधीर अब जी-20 डिनर के बहाने ममता को घेर रहे हैं. अधीर ने डिनर को लेकर ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा है कि क्या इससे मोदी सरकार के खिलाफ उनका रुख कमजोर नहीं होगा? जी-20 के डिनर में कांग्रेस की सरकार वाले हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, जेडीयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जेएमएम नेता और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी मौजूद थे. फिर भी अधीर बस ममता को ही निशाने पर क्यों ले रहे? कोऑर्डिनेशन कमेटी को इन दो नेताओं के बीच समन्वय का रास्ता तलाशना होगा.

2- लेफ्ट और टीएमसी की पुरानी अदावत बंगाल में कैसे सधेगी?

पश्चिम बंगाल में लेफ्ट और टीएमसी की पुरानी अदावत कैसे सधेगी? कोऑर्डिनेशन कमेटी के लिए इसका जवाब तलाशना भी आसान नहीं होगा. लेफ्ट पार्टियां पुरानी अदावत भूलने को तैयार नहीं हैं और बार-बार लेफ्ट नेता ये कहते रहे हैं कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी से गठबंधन नहीं हो सकता. इसकी बानगी धूपगुड़ी उपचुनाव में भी देखने को मिली जहां इंडिया गठबंधन के तीन घटक दलों से दो उम्मीदवार मैदान में थे. टीएमसी के खिलाफ लेफ्ट ने उम्मीदवार उतारा था जिसका कांग्रेस ने भी समर्थन किया.

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3- केरल में कांग्रेस और लेफ्ट क्या फ्रेंडली फाइट में उतरेंगे?

केरल में कांग्रेस और लेफ्ट के बीच कैसे बात बनेगी? केरल में कांग्रेस और लेफ्ट ही मुख्य प्रतिद्वंदी हैं. राजनीति में नंबर एक और दो के बीच गठबंधन मुश्किल माना जाता है और केरल की सियासी तस्वीर ऐसी ही है. हाल के पुथुपल्ली उपचुनाव में कांग्रेस और लेफ्ट, दोनों ही दलों ने उम्मीदवार उतारे थे. तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और बिहार में साथ चल रहे लेफ्ट और कांग्रेस की राहें क्या केरल में एक हो पाएंगी? लोकसभा चुनाव में समुद्रतटीय राज्य दोनों दलों की प्रतिद्वंदिता के अंत का गवाह बनेगा या फ्रेंडली फाइट होगी?  

4- बिहार में कांग्रेस-लेफ्ट की 24 सीटों की डिमांड का क्या होगा?

बिहार में सीटों को लेकर अभी से ही घमासान शुरू हो गया है. कांग्रेस ने नौ और लेफ्ट पार्टियों ने 15 सीटों की डिमांड रख दी हैं. बिहार में लोकसभा की कुल 40 लोकसभा सीटें हैं और इनमें से 24 सीटें कांग्रेस और लेफ्ट को ही दे दी गईं तो आरजेडी और जेडीयू का क्या होगा? जेडीयू के 16 सांसद हैं जबकि आरजेडी बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी है. ऐसे में बिहार में कांग्रेस और लेफ्ट की 24 सीटों की डिमांड का क्या होगा?

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5- AAP और कांग्रेस में कैसे बैठेगा सामंजस्य?

दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच कैसे सामंजस्य बैठेगा? पंजाब कांग्रेस के नेता आम आदमी पार्टी से गठबंधन के खिलाफ हैं. आम आदमी पार्टी के नेता और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी कह चुके हैं कि हम अकेले लड़ना और जीतना जानते हैं. एक तरफ दोनों दल इंडिया गठबंधन के मंच पर साथ हैं तो वहीं दूसरी तरफ दोनों दलों के नेताओं के बीच तलवारें भी खिंची हैं.

6- घोसी उपचुनाव के बाद सपा की बढ़ी डिमांड तो क्या होगा?

उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा सीट के उपचुनाव में जीत के बाद सपा फ्रंट सीट पर आ गई है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव कहते भी रहे हैं कि यूपी में जो पार्टियां बीजेपी को हराना चाहती हैं वो सपा के साथ आएं. घोसी उपचुनाव के नतीजों ने अखिलेश के दावे को और मजबूत कर दिया है. ऐसे में अगर अब सपा की डिमांड बढ़ती है तो कैसे राह निकलेगी?

7- सीट बंटवारे का फॉर्मूला क्या होगा?

इंडिया गठबंधन की तीन बैठकें हो चुकी हैं. हर पार्टी जल्द से जल्द सीट शेयरिंग का मसला हल करना तो चाहती है लेकिन अब तक इस दिशा में कुछ हुआ नहीं है. पश्चिम बंगाल से लेकर बिहार, यूपी और दिल्ली, पंजाब तक सीट शेयरिंग विपक्षी गठबंधन के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है. एक पर एक फॉर्मूले की बात तो हर दल कर रहा है लेकिन ये संभव कैसे होगा?

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8- लोकसभा में साथ, विधानसभा में एकला चलो कैसे चलेगा?

लोकसभा चुनाव में साथ लेकिन विधानसभा चुनाव में अलग-अलग, एक गठबंधन और अलग चुनाव में अलग राह का फॉर्मूला कैसे चलेगा? आम आदमी पार्टी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में अभी से ही सभी 90 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया है. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी पार्टी 20 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर चुकी है. इससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न होगी और विरोधी निश्चित रूप से इसे लोकसभा चुनाव में भी कैश कराने की कोशिश करेंगे. ऐसे में संभावित नुकसान से बचने का रास्ता कैसे निकलेगा?

9- नेता साथ आए लेकिन कार्यकर्ताओं में कैसे होगा समन्यव?

गठबंधन में अलग-अलग वैचारिक पृष्ठभूमि वाली पार्टियां एक मंच पर आ तो गईं. नेता मंच साझा कर रहे हैं, साथ लड़ने की बातें कर रहे हैं, चुनाव जीतने के दावे कर रहे हैं. लेकिन उन कार्यकर्ताओं में सामंजस्य कैसे बनेगा जो धरातल पर एक-दूसरे का विरोध करते रहे हैं? पश्चिम बंगाल इसका सबसे अच्छा उदाहरण है जहां कार्यकर्ताओं की कौन कहे, अधीर और ममता के बीच भी समन्वय स्थापित नहीं हो पा रहा. 

10- क्या गठबंधन में बसपा की एंट्री होगी?

घोसी के नतीजों के बाद विपक्षी गठबंधन में बसपा की एंट्री को लेकर फिर से सुगबुगाहट शुरू हो गई है. घोसी में बसपा ने कैंडिडेट नहीं उतारा था. सपा की बड़ी जीत के लिए इसे भी श्रेय दिया जा रहा है. ऐसे में ये चर्चा भी शुरू हो गई है कि विपक्षी गठबंधन में बसपा का होना कितना जरूरी है. ऐसे में ये भी बड़ा सवाल है कि गठबंधन में बसपा की एंट्री की कोशिशें क्या फिर शुरू होंगी? अगर बसपा के साथ बातचीत आगे बढ़ती है तो यूपी में सीटों का पेच कैसे सुलझेगा? 

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11- हरियाणा में आईएनएलडी आई तो कुर्बानी कौन देगा?

विपक्षी गठबंधन की नजर हरियाणा में इंडियन नेशनल लोक दल यानी आईएनएलडी पर भी है. पूर्व डिप्टी पीएम देवीलाल की जयंती पर 25 सितंबर को आईएनएलडी ने कैथल में सम्मान दिवस महारैली के आयोजन का ऐलान किया है. आईएनएलडी नेता अभय सिंह चौटाला ने कहा है कि इस कार्यक्रम में विपक्षी इंडिया गठबंधन के शीर्ष नेता भी शामिल होंगे. दूसरी तरफ भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि कांग्रेस हरियाणा की सभी 10 सीटें अकेले जीतने में सक्षम है. हरियाणा से अगर आईएनएलडी की गठबंधन में एंट्री होती है तो चौटाला और हुड्डा परिवार के बीच कैसे सामंजस्य स्थापित होगा, कुर्बानी कौन देगा?

12- सनातन जैसे मुद्दों पर बयानबाजी कैसे रुकेगी?

इंडिया गठबंधन में शामिल डीएमके के नेता और तमिलनाडु सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन को लेकर एक बयान दिया और इसे लेकर हंगामा मच गया. बीजेपी ने कांग्रेस के साथ ही इंडिया गठबंधन के अन्य घटक दलों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. बिहार में आरजेडी के कुछ नेता जरूर उदयनिधि की तरह बयान दे रहे हैं लेकिन बाकी दल असहज ही हैं. पीएम मोदी ने भी अपने नेताओं की बैठक में ऐसे मुद्दों पर मजबूती से जवाब देने के लिए कहा है. जानकारों का कहना है कि धार्मिक आस्था से जुड़े मुद्दों पर बयानबाजी से गठबंधन को नुकसान ही होगा. ऐसे में इस तरह के मुद्दों पर बयानबाजी कैसे रोकी जाए, ये भी बड़ी चुनौती होगा. 

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13- पवार फैमिली फाइट का नए गठबंधन पर क्या असर होगा?

शरद पवार की फैमिली फाइट से भी गठबंधन में कनफ्यूजन की स्थिति बनी हुई है. शरद पवार एक तरफ विपक्षी गठबंधन में हैं तो वहीं दूसरी तरफ उनके भतीजे अजित पवार बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में. शरद पवार ये भी कह रहे हैं कि एनसीपी में कोई टूट नहीं हुई है. अजित एनसीपी के ही नेता हैं. इस तरह की बातों से भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है. पवार फैमिली की फाइट का नए गठबंधन पर क्या असर होगा? ये भी नए गठबंधन के लिए चुनौती होगा.

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