
लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को हराने के लिए 26 विपक्षी पार्टियां एक अंब्रेला के नीचे आईं. इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस यानी I.N.D.I.A. नाम से गठबंधन की नींव भी पड़ गई. तीसरी बैठक महाराष्ट्र के मुंबई में होनी है जिसमें संयोजक चुना जाना है. गठबंधन की ड्राइविंग सीट पर कौन होगा? अभी ये साफ भी नहीं हुआ है कि इस नए-नवेले गठबंधन में भरोसे को लेकर सवाल उठने लगे हैं.
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महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार एनडीए के साथ जा चुके भतीजे अजित पवार के साथ सीक्रेट मीटिंग कर रहे हैं तो वहीं दिल्ली कांग्रेस के नेता सभी सात सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं. नीतीश कुमार गठबंधन से अलग अपनी लकीर खींचने और इमेज बिल्डिंग में जुटे हैं तो वहीं लेफ्ट ने साफ कह दिया है कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस से गठबंधन नहीं होगा.
शरद पवार की सीक्रेट मीटिंग
विपक्षी एकजुटता को लेकर पहली मीटिंग तक शरद पवार अगली कतार में नजर आ रहे थे. दूसरी बैठक तक परिस्थितियां बदलीं और एनसीपी दो धड़ों में बंट गई. अजित पवार के एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हो गए और चुनाव आयोग को शरद पवार की जगह अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने की जानकारी दे दी. अब तीसरी बैठक महाराष्ट्र के मुंबई में होनी है जिसमें गठबंधन के संयोजक का चुनाव होना है. सीट बंटवारे को लेकर भी इस बैठक में चर्चा के आसार हैं लेकिन इससे पहले शरद पवार को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है.
शरद पवार एक तरफ तो पार्टी से अलग लाइन लेने वालों को सबक सिखाने की बात करते हैं, दूसरी तरफ कोई एक्शन लेने की जगह भतीजे अजित के साथ सीक्रेट मीटिंग कर रहे हैं. पिछले एक महीने के भीतर ही शरद पवार और अजित पवार की चार मुलाकातें हो चुकी हैं. उनकी बगावत कर एनडीए में शामिल हो चुके अजित पवार के साथ चार मुलाकातें हो चुकी हैं. हाल ही में उनकी एक बिजनेस मैन के बंगले पर अजित के साथ सीक्रेट मीटिंग और केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह के ऑफर की भी बातें सामने आई थीं.
शरद पवार ने इसका खंडन किया था लेकिन इसे लेकर महाराष्ट्र कांग्रेस और शिवसेना अलर्ट हो गई हैं. टेंशन बढ़ने की एक वजह मुंबई में होने जा रही बैठक की तैयारियों को लेकर शरद पवार या उनकी पार्टी का सक्रिय नजर नहीं आना भी है. शरद पवार एक तरफ बगावत करने वालों को सबक सिखाने की बात कहते हैं, प्रदेशव्यापी यात्रा शुरू कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ कोई एक्शन लेने से भी बच रहे हैं. ऐसे में गठबंधन सहयोगियों की कौन कहे, पवार के अपने भी भ्रमित नजर आ रहे हैं. महाराष्ट्र की राजनीति पर लिखते आए शमित सिन्हा ने कहा कि शरद पवार को समझना आसान नहीं है. वे 2024 चुनाव तक इसी तरह एनडीए और विपक्षी गठबंधन को कनफ्यूज किए रहेंगे.
दिल्ली में कांग्रेस की अलग लाइन
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सीट बंटवारे पर भी पेच फंसता नजर आ रहा है. कांग्रेस प्रवक्ता अलका लांबा ने कहा है कि पार्टी दिल्ली की सभी सात सीटों पर चुनाव लड़ेगी. ये निर्णय कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी की दिल्ली के नेताओं के साथ बैठक में लिया गया. अलका के बयान पर आम आदमी पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया दी. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सीट बंटवारे को लेकर शीर्ष नेताओं की बातचीत होगी तब पता चलेगा कि कौन किस सीट पर लड़ेगा. कांग्रेस नेता और बैठक में मौजूद रहे दीपक बाबरिया ने कहा कि गठबंधन या सीटों को लेकर हमारी कोई बात नहीं हुई है. दोनों दलों के बीच सीट बंटवारे पर किस तरह सहमति बन पाएगी?
नीतीश कुमार खींच रहे अपनी लकीर
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कांग्रेस से अलग अपनी लकीर खींचने, इमेज बिल्डिंग में जुटे हैं. नीतीश कुमार ने दिल्ली पहुंचकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की समाधि सदैव अटल पहुंचकर उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की. नीतीश कुमार के इस कदम को ऐसी इमेज बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा जो सभी दलों को स्वीकार्य हो.
घोसी उपचुनाव में समर्थन पर सस्पेंस
उत्तर प्रदेश के मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव हो रहे हैं. घोसी सीट से बीजेपी ने दारा सिंह चौहान को उम्मीदवार बनाया है जिनके इस्तीफे के कारण ये सीट रिक्त हुई थी. वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) ने सुधाकर सिंह को टिकट दिया है. घोसी में कांग्रेस का स्टैंड क्या होगा? इसे लेकर सस्पेंस है. सपा समर्थन मांगेगी या कांग्रेस बिना मांगे समर्थन का ऐलान कर देगी या कांग्रेस अपना उम्मीदवार उतारेगी? इस पर नजरें टिकी हुई हैं.
गठबंधन में होकर भी अलग राह पर लेफ्ट
लेफ्ट पार्टियों की बात करें तो वो विपक्षी गठबंधन में होकर भी अलग राह पर नजर आ रही हैं. पश्चिम बंगाल की धूपगुड़ी विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में नए गठबंधन में शामिल लेफ्ट और तृणमूल कांग्रेस, दोनों ही आमने-सामने हैं. कांग्रेस ने भी लेफ्ट के समर्थन का ऐलान किया है. अधीर रंजन चौधरी ने टीएमसी से गठबंधन के सवाल पर तालाब और नदी का उल्लेख करते हुए कहा है कि राज्य तालाब है और देश नदी. हमारा ध्यान नदी पर है. राजनीति संभावना का नाम है.
पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर ने जादवपुर यूनिवर्सिटी में रैगिंग से छात्र की मौत के मामले में भी टीएमसी पर हमला बोला. संभावना की राजनीति का ये मॉडल पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव के बाद बोर्ड गठन में भी नजर आ रहा है जहां टीएमसी को रोकने के लिए धुर विरोधी माने जाने वाले लेफ्ट और राइट विंग ने हाथ भी मिलाया है. बीजेपी और सीपीआई ने गठबंधन कर पूर्वी मेदिनीपुर में तीन बोर्ड का गठन कर लिया था.
गठबंधन के गठन से पहले ही भरोसे की कमी?
विपक्षी गठबंधन के नाम का ऐलान हो चुका है. 26 पार्टियां बेंगलुरु की बैठक में पहुंची थीं. गठबंधन के संयोजक से लेकर संरचना और सीट बंटवारे तक, मुंबई में होने वाली बैठक में चर्चा होनी है. लेकिन मुंबई बैठक से पहले ही सवाल खड़े होने लगे हैं कि दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल तक की जो तस्वीर नजर आ रही है, क्या नए गठबंधन के घटक दलों में भरोसे की कमी है?