
महाराष्ट्र की राजधानी मायानगरी मुंबई में विपक्षी इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस यानी I.N.D.I.A. गठबंधन के नेताओं की तीसरी बैठक हुई. इस बैठक का एजेंडा मुख्य रूप से लोगो जारी करने के साथ ही संगठन का स्ट्रक्चर तय करने के साथ ही नेशनल एजेंडे को लेकर कमेटी का गठन था. लेकिन बैठक से ठीक पहले मोदी सरकार के एक दांव ने विपक्षी गठबंधन का फोकस शिफ्ट कर दिया.
मुंबई बैठक में न तो लोगो जारी हुआ और ना ही संयोजक की पहेली सुलझी. गठबंधन की तीसरी बैठक पर सरकार का संसद का विशेष सत्र बुलाने वाला दांव हावी नजर आया. बैठक के दौरान भी 18 से 22 सितंबर के बीच बुलाए गए संसद के विशेष सत्र को लेकर चर्चा हुई और साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस पर भी इसकी छाप नजर आई.
इंडिया गठबंधन की बैठक के दौरान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने को लेकर कहा कि 'वन नेशन, वन इलेक्शन' ध्यान भटकाने की कोशिश है. बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमला बोला.
कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कोरोना महामारी से लेकर चीन के साथ तनातनी तक का उल्लेख किया और कहा कि सरकार ने संकट के समय विशेष सत्र नहीं बुलाया. अब सत्र बुलाया है तो इसका एजेंडा क्या है? ये किसी को नहीं पता.
सरकार के दांव से कैसे शिफ्ट हुआ फोकस
सवाल खड़े हो रहे हैं कि सरकार के संसद का विशेष सत्र बुलाने से विपक्ष का फोकस भला कैसे शिफ्ट हो गया? वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर नागेंद्र पाठक कहते हैं कि कल मुंबई पहुंचने तक विपक्ष के जो नेता 2024 चुनाव को लेकर केंद्र के खिलाफ हुंकार भरते नजर आ रहे थे, संसद सत्र बुलाए जाने की खबर के बाद 2024 चुनाव से सीधे इसकी टाइमिंग पर आ गए. जयराम रमेश ने इसे इंडिया गठबंधन के बैठक की खबरें रोकने के लिए उठाया गया कदम तक कह दिया. ये बताता है कि सरकार के इस दांव से विपक्षी नेताओं का फोकस शिफ्ट हुआ.
वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर श्रीराम त्रिपाठी कहते हैं कि संसद के विशेष सत्र का एजेंडा चाहे जो हो, सरकार विपक्षी बैठक से ध्यान भटकाने की रणनीति में एक हद तक सफल रही है. विपक्ष की बैठक में भी कहां मुद्दों पर बात होती, कहां वन नेशन वन इलेक्शन का मुद्दा छाया रहा. कहीं न कहीं इसका बैठक पर प्रभाव पड़ा. सभी चुनौतीपूर्ण मसलों जैसे संयोजक से लेकर पर हालात जस के तस ही हैं.
क्या था मुंबई बैठक का एजेंडा
विपक्ष की मुंबई बैठक के एजेंडे में सबसे पहले लोगो की बात थी. दूसरे नंबर पर संगठन के स्ट्रक्चर की बात थी जिसमें कोऑर्डिनेशन कमेटी के गठन से लेकर गठबंधन के सेक्रेटेरिए, चुनाव प्रबंधन, रिसर्च विंग, मीडिया और सोशल मीडिया टीम के गठन पर बात होनी थी. नेशनल एजेंडे को लेकर एक कमेटी का गठन भी मुंबई बैठक के एजेंडे में था. चुनाव प्रचार के कॉमन मुद्दों के साथ ही जॉइंट एक्शन शेड्यूल पर भी बात होनी थी.
मुंबई बैठक में कोऑर्डिनेशन कमेटी के साथ ही मीडिया और सोशल मीडिया टीम, रिसर्च विंग, कैम्पेन टीम का गठन भी हो गया. कोऑर्डिनेशन कमेटी में कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल, एनसीपी के शरद पवार, आम आदमी पार्टी से राघव चड्ढा, डीएमके से एमके स्टालिन, टीएमसी से अभिषेक बनर्जी, आरजेडी से तेजस्वी यादव, जेडीयू से ललन सिंह, जेएमएम से हेमंत सोरेन के नाम हैं.
क्या संभव है 'वन नेशन, वन इलेक्शन बिल'
संसदीय मामलों के जानकार अरविंद कुमार सिंह का कहना है कि सरकार अगर वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर अब अगर कोई कमेटी बनाती है. तो भी 18 सितंबर से 22 सितंबर तक चलने वाले विशेष सत्र के दौरान इससे संबंधित बिल संसद में पेश हो पाएगा, ऐसा संभव नहीं लगता. मुझे नहीं लगता कि सरकार चुनाव प्रक्रिया से जुड़े ऐसे मुद्दे पर बिना किसी से राय-मशविरा किए हड़बड़ी में कदम उठाएगी, जल्दबाजी दिखाएगी.
सरकार के मन में क्या?
अटकलें लगाई जा रही हैं कि सरकार संसद के विशेष सत्र में वन नेशन वन इलेक्शन, यूनिफॉर्म सिविल कोड और महिला आरक्षण में से कोई विधेयक या फिर तीनों ही बिल ला सकती है.ब संसद का विशेष सत्र बुलाने के पीछे सरकार की मंशा क्या है? ये सरकार ही जाने लेकिन विपक्षी नेताओं के भी कान खड़े हो गए हैं कि आखिर विशेष सत्र बुलाकर क्या करने की प्लानिंग है?