Advertisement

India Today Conclave 2021 South: जब थरूर ने ‘थाली’ के उदाहरण से भागवत को समझाया था ‘विविधता में एकता’ का अर्थ

कांग्रेस के तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने शनिवार को India Today Conclave 2021 South में ‘तुष्टिकरण और ध्रुवीकरण की राजनीति’ के एक सत्र में बोल रहे थे. उन्होंने एक वाकया सुनाया कि कैसे उन्होंने खाने की थाली से तुलना करते हुए RSS के सर संघचालक मोहन भागवत को कुछ साल पहले विविधता में एकता की अपनी व्याख्या बताई थी.

कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Photo : India Today) कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Photo : India Today)
aajtak.in
  • चेन्नई,
  • 13 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 11:01 PM IST
  • ‘संघ एकता में विविधता यानी भगवा खिचड़ी की बात करता’’
  • ‘सेकुलर शब्द हटाने पर भी सेकुलर रहेगा संविधान’

कांग्रेस के तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर आज India Today Conclave 2021 South में ‘तुष्टिकरण और ध्रुवीकरण की राजनीति’ के एक सत्र में बोल रहे थे. उन्होंने एक वाकया सुनाया कि कैसे उन्होंने खाने की थाली से तुलना करते हुए RSS के सर संघचालक मोहन भागवत को कुछ साल पहले विविधता में एकता की अपनी व्याख्या बताई थी.

‘हमारा देश खाने की थाली की तरह’

Advertisement

शशि थरूर ने कहा कि कुछ साल पहले सर संघचालक मोहन भागवत के साथ किसी मंच पर ‘विविधता में एकता’ को लेकर बात हो रही थी. मैंने उन्हें अपनी ‘विविधता में एकता की व्याख्या समझाई थी. 

शशि थरूर ने कहा कि हमारा देश धातु पिघलाने वाले बर्तन की तरह नहीं है जिसमें सब एक साथ मिल जाए. बल्कि ये खाने की थाली है, जिसमें हर कटोरी में रखी डिश का अपना स्वाद है. लेकिन फिर भी साथ में खाए जाने पर स्वाद देती है. अलग-अलग कटोरी में होने की वजह से उनका स्वाद एक दूसरे से मिलता भी नहीं लेकिन फिर भी साथ खाने में स्वादिष्ट लगती हैं.

‘संघ के पास भगवा खिचड़ी है’

शशि थरूर ने कहा कि जब उन्होंने मोहन भागवत को यह बात कही तो उन्होंने कहा कि ‘विविधता में एकता’ (Unity In Diversity) की बात नहीं है, बल्कि हमारी ‘एकता में विविधता’ (Diversity In Unity) है. इसलिए वह खिचड़ी की बात करते हैं एक भगवा खिचड़ी की जिसमें विविधता के तौर पर कभी कहीं कोई आलू या कुछ और आ जाता है. यह विविधता में एकता के बीच हमारी सोच का मुख्य अंतर है.

Advertisement

‘संविधान सेकुलर ही रहेगा’

शशि थरूर ने कहा कि अगर आप संविधान से ‘सेकुलर’ शब्द निकाल भी देंगे तो भी ये एक सेकुलर संविधान रहेगा. संविधान आपको अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, उपासना की स्वतंत्रता, धर्म की स्वतंत्रता और धर्म को फैलाने की स्वतंत्रता देता है. ये सब मिलकर संविधान को सेकुलर बनाते हैं और एक शब्द को निकाल देने से कुछ बदलेगा नहीं. हम एक बहुलतावादी समाज ही रहेंगे.

ये भी पढ़ें:

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement