
तृणमूल कांग्रेस की फायर ब्रांड नेता महुआ मोइत्रा ने बड़ी बेबाकी से नुपूर शर्मा के विवादित बयान और मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तार को लेकर अपनी बात रखी. जब उनसे कहा गया कि दोनों मामलों को लेकर उनका डबल स्टैंडर्ड क्यों है, तो उन्होंने इसका जवाब कुछ इस तरह दिया. वे इंडिया टुडे कॉनक्लेव ईस्ट 2022 में बोल रही थीं.
जुबैर के पोस्ट से हिंसा या दंगा हुआ?
इंडिया टुडे के एक्जीक्यूटिव एडिटर कौशिक डेका के साथ DEMOCRATIC DISCOURSE: Power Reset: The New Structure of Indian Federalism सत्र में जब महुआ से डबल स्टैंडर्ड को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा-मेरे कोई डबल स्टैंडर्ड नहीं है. बल्कि इन दोनों मामलों में अंतर करने की जरूरत है. मोहम्मद जुबैर किसी पार्टी का प्रवक्ता नहीं है, वो एक फैक्ट चेकर है. उनके चैनल को इस फेक न्यूज के दौर में सही खबर के लिए कई अवार्ड मिले हैं. जुबैर ने क्या किया, उसने ऋषिकेश मुखर्जी की एक फिल्म 'किसी से ना कहना' का एक फोटो लिया. ये फिल्म 1983 में आई और इसे सेंसर बोर्ड ने पास किया था. उसने इस फिल्म के एक फोटो को 2018 ट्वीट किया. तब से अब तक क्या इस पोस्ट के बाद कोई हिंसा हुई या कहीं दंगा भड़का, जवाब मिलेगा-नहीं. हालांकि इसमें हिंसा भड़काने की क्षमता थी, लेकिन पिछले 4 साल में ऐसा कुछ हुआ नहीं. दूसरा हमें ये भी देखना होगा कि उसके खिलाफ शिकायत किसने की. 2021 में बने एक ट्विटर अकाउंट ने जब जिसका फॉलोअर भी एक था, तो क्या हम दोनों मामलों को एक तराजू में तोल सकते हैं. वहीं नुपूर शर्मा के बयान से क्या हुआ? हिंसा भड़की और लोगों की जान चली गई.
काली के विवादित पोस्टर से दिक्कत नहीं
बातचीत के दौरान महुआ मोइत्रा ने देवी काली के विवादित पोस्टर पर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा-आप अपने भगवान को कैसे देखते हैं. अगर आप भूटान और सिक्किम जाओ तो वहां सुबह पूजा में भगवान को व्हिस्की चढ़ाई जाती है, लेकिन यही आप उत्तर प्रदेश में किसी को प्रसाद में दे दो तो उसकी भावना आहत हो सकती है. मेरे लिए देवी काली एक मांस खाने वाली और शराब पीने वाली देवी के रूप में है. देवी काली के कई रूप हैं. अगर आप तारापीठ जाएं तो काली के मंदिर के पास साधु आपको स्मोकिंग करते हुए मिलेंगे. और लोग ऐसी काली की पूजा भी करते हैं. हिंदू होते हुए भी मुझे मेरी काली को मेरे हिसाब से देखने की आजादी है और लोगों को भी होनी चाहिए. आपको अपने भगवान को अपने हिसाब से पूजने की आजादी होनी चाहिए. पूजा का अधिकार पर्सनल स्पेस में रहना चाहिए. जब तक मैं आपके क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं कर रही हूं मुझे नहीं लगता कि इसकी आजादी होनी चाहिए. मुझे काली के इस रूप से कोई परेशानी नहीं है.