Advertisement

India Today Conclave South: 'महिला आरक्षण जन्मजात अध‍िकार है, पार्टी लाइन से परे होकर करना चाहिए संघर्ष'

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव साउथ 2021 के एक सत्र में शामिल महिला नेताओं में इस बात पर आम सहमति दिखी कि संसद में महिलाओं के 33 फीसदी आरक्षण के लिए सभी दलों की सांसदों को पार्टी लाइन से परे होकर अब संघर्ष करना चाहिए. 

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में शामिल महिला नेता (फोटो: यासिर इकबाल) इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में शामिल महिला नेता (फोटो: यासिर इकबाल)
aajtak.in
  • चेन्नई,
  • 13 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 1:50 PM IST
  • इंडिया टुडे कॉन्क्लेव साउथ में शामिल हुईं महिला नेता
  • पुरुषों के वर्चस्व वाली राजनीति में चुनौतियों पर बात
  • महिला आरक्षण बिल जल्द पारित करने का समर्थन

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव साउथ के एक महत्वपूर्ण सत्र में शामिल कई महिला नेताओं में इस बात पर आम सहमति दिखी कि संसद में महिलाओं के 33 फीसदी आरक्षण के लिए सभी दलों की सांसदों को पार्टी लाइन से परे होकर अब संघर्ष करना चाहिए. 

'वुमन इन पावर:  ब्रेकिंग बैरिअर्स, मेकिंग अ मार्क' सत्र को संबोध‍ित करते हुए महिला नेताओं ने कहा कि संसद या अन्य विधायी निकायों में आरक्षण उनका जन्मजात अध‍िकार है और इसके लिए अब सड़क पर आकर संघर्ष करना होगा. गौरतलब है कि संसद में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने का बिल राज्यसभा में पारित हो गया था, लेकिन लोकसभा में यह फंस गया है. 

Advertisement

मर्द क्यों तय करें? 

बीजेपी नेता और एक्टर खुशबू सुंदर ने कहा कि यह दुभार्ग्यपूर्ण है कि यह मर्द तय कर रहे हैं कि हमें आरक्षण मिले या नहीं. यह हमारा जन्मजात अध‍िकार है. इसे मर्द क्यों डिसाइड करें? 

उन्होंने कहा, 'संसद की सभी महिलाओं को इसके लिए सड़क पर आकर संघर्ष करना चाहिए और कहना चाहिए कि यह हमारा जन्मजात अध‍िकार है. हम सबको निकलकर सड़क पर इसके लिए संघर्ष करना चाहिए.' 

मोदी सरकार की भूमिका की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 60 साल में जो नहीं हो पाया उसे 7 साल में कर पाना इतना आसान नहीं है. अभी सरकार की दूसरी प्राथमिकताएं थी. लेकिन अब मैं कहूंगी कि सभी महिलाओं को आगे आना चाहिए चाहिए सोनिया जी हों, प्रियंका हों या स्मृति ईरानी. यानी सभी दलों की महिला नेताओं को इसकी आवाज उठानी चाहिए. 

Advertisement

डीएमके की सांसद तमिजाची थंगपडियन ने कहा, समझ में नहीं आता कि महिला आरक्षण पर इतनी हिचक है क्यों है? उन्होंने कहा, ' यह हमारा बुनियादी,  जन्मजात अध‍िकार है. यह पुरुषों द्वारा दिया जाने वाला कोई उपहार नहीं है. आरक्षण तो 50 फीसदी होनी चाहिए. रवांडा जैसे कम विकसित देशों में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व हमारे देश से ज्यादा है. इस बिल को राज्यसभा में पारित किया गया, लेकिन लोकसभा में रोक दिया गया. यह पुरुषवादी सोच को दिखाता है. कुछ लोग इसे पचा नहीं पा रहे हैं. पार्टी लाइन से परे जाकर हमें इसे हासिल करना होगा.' 

महिलाओं से जुड़े कानून पर भी मर्दों का निर्णय 

उन्होंने कहा कि महिलाओं से जुड़े कानून भी मर्दों के द्वारा तय किए जाते हैं.  जब हम डिसिजन मेकिंग क्षमता में होंगे तो हम सही निर्णय ले पाएंगे. उन्होंने कहा, 'मैं तो उस दिन का इंतजार कर रही हूं, जब सभी महिलाएं अपनी पार्टी लाइन छोड़कर 50 फीसदी जन्मजात आरक्षण की मांग के लिए खड़ी होंगी.' 

AIADMK की प्रवक्ता अप्सरा रेड्डी ने कहा,'महिला के लिए राजनीति में आना आसान नहीं होता , उसे समाज के द्वारा तय नियमों का पालन करना होता है. हमें ऑर्डर महिलाओं से नहीं मिलता यही समस्या है. इंदिरा गांधी और जयललिता जैसी महिलाएं इसीलिए हमें प्रेरणा देती है, जिन्होंने ऐसे समाज भी जगह बनाई. महिलाएं मल्टी टास्कर ही नहीं मल्टी अचीवर्स भी होती हैं.' 

Advertisement

विधायक और अख‍िल भारतीय महिला कांग्रेस की महासचिव सौम्या रेड्डी ने कहा, 'हमारे देश में महिला प्रधानमंत्री भले ही पहले हो गई हैं, लेकिन आज भी महिला राजनीतिज्ञों के लिए हर दिन संघर्ष का दिन होता है. चीजें बदल रही हैं. हमें अभी काफी आगे जाना है. हमारी जनसंख्या 50 फीसदी है, लेकिन संसद में हमारी संख्या 12 फीसदी ही क्यों है? हम साल 2021 में हैं, लेकिन आज भी प्रतिनिधित्व बहुत कम है. बीजेपी सरकार के पास स्पष्ट बहुमत है तो वह इसे पारित क्यों नहीं करवा रही? सात साल होने के बाद भी हम 33 फीसदी का आरक्षण हासिल नहीं कर पा रहे.' 

महिला नेताओं की होती है ज्यादा ट्रोलिंग

कांग्रेस एमएलए सौम्या रेड्डी ने कहा, 'सोशल मीडिया पर महिलाओं को ज्यादा टारगेट किया जाता है. महिलाओं को दबाने, चुप कराने की मानसिकता ऑनलाइन भी दिखती है.' 

खुशबू सुंदर ने कहा, 'मैं सेलेब्रिटी थी इसलिए राजनीति में आना आसान था, लेकिन यहां तो डिलिवर करना होता है, अगर आप डिलिवर नहीं करेंगे तो, आपको बाहर कर दिया जाएगा. ट्रोलर सोशल मीडिया पर ट्रोल करते हैं. इसलिए मेरे लिए दोहरी चुनौती है.फेस वैल्यू से चुनौती बढ़ जाती है.' 

तमिजाची  ने कहा कि पब्लिक लाइफ में जो महिला होती है लोग उसे अपने हिसाब से चलाना चाहते हैं, लोग चाहते हैं कि वह उनके हिसाब से कपड़े पहने, बयान दे. उन्होंने कहा कि यह भी स्टीरियो टाइप सवाल महिला नेताओं से पूछा जाता है कि घर और बाहर कैसे मैनेज करती हैं? पुरुष नेताओं से ऐसे सवाल नहीं किए जाते हैं. 

Advertisement

अप्सरा रेड्डी ने कहा, 'ट्रोलर जब पुरुष नेताओं पर अटैक करते हैं तो भ्रष्टाचार या अन्य चीजों के लिए करते हैं, लेकिन जब महिलाओं पर अटैक किया जाता है तो यह कैरेक्टर पर हमला किया जाता है. 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement