
झारखंड विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत के साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की अगुवाई वाले सत्ताधारी इंडिया ब्लॉक ने फिर से सत्ता में वापसी कर ली है. इंडिया ब्लॉक ने पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार आठ सीटें ज्यादा जीती हैं तो वहीं विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को तीन सीटों का नुकसान हुआ है. एनडीए के घटक ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के प्रमुख सुदेश महतो खुद अपनी सीट भी नहीं बचा पाए. इन चुनावों में जयराम महतो की पार्टी झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) एक सीट जीत सकी लेकिन कई सीटों पर एनडीए और इंडिया ब्लॉक का खेल खराब कर गई.
कुर्मी वोट की लड़ाई में सुदेश पर भारी पड़े जयराम
आदिवासी बाहुल्य झारखंड की आबादी में करीब 15 फीसदी से अधिक कुर्मी जाति की भागीदारी है. आदिवासी के बाद इस सबसे प्रभावशाली जाति के वोटबैंक पर आजसू और सुदेश महतो का मजबूत प्रभाव था. आजसू के इस वोटबैंक से बीजेपी और एनडीए को बड़ी उम्मीद भी थी. यही वजह है कि एनडीए में सुदेश 81 सीटों वाले झारखंड में बार्गेन कर 10 सीटें लेने में सफल भी रहे थे. सुदेश के सामने कुर्मी पॉलिटिक्स की पिच पर जयराम महतो की चुनौती थी. कुर्मी समुदाय से आने वाले इन दो नेताओं के बीच वर्चस्व की लड़ाई में इस बार जयराम महतो भारी पड़े.
सुदेश की आजसू को एक सीट पर जीत मिली. आजसू का वोट शेयर 3.54 फीसदी रहा. एक ही सीट पर जयराम की पार्टी भी जीती लेकिन वोट शेयर के लिहाज से जेएलकेएम, आजसू से कहीं आगे रही. जेएलकेएम को 6.12 फीसदी वोट मिले. जयराम महतो की पार्टी दो सीटों पर दूसरे स्थान पर रही. कई सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों को जीत-हार के अंतर से अधिक वोट मिले. चर्चा तो इसे लेकर भी हो रही है कि झारखंड के चुनावी रिंग में अगर जयराम महतो नहीं होते तो चुनाव नतीजे कुछ और भी हो सकते थे.
जयराम ने बिगाड़ा एनडीए का खेल?
सवाल ये भी है कि क्या जयराम के होने से एनडीए का खेल बिगड़ा? दरअसल, जयराम जिस कुर्मी वोटबैंक की राजनीति करते हैं उसे सुदेश महतो की पार्टी का कोर वोटर माना जाता था. सुदेश की पार्टी एनडीए में शामिल है और ऐसा माना जा रहा था कि बीजेपी को उनके साथ गठबंधन का फायदा मिल सकता है. जयराम के चुनावी रिंग में आ जाने से एनडीए में कुर्मी वोटबैंक में सेंध लगी और इसका असर नतीजों पर भी पड़ा.
उत्तरी और दक्षिणी छोटा नागपुर रीजन में जहां एनडीए को अच्छी बढ़त का भरोसा था, वहां जेएलकेएम ने अपनी जोरदार चुनावी मौजूदगी दर्ज कराई. बेरमो सीट पर जेएलकेएम के जयराम दूसरे स्थान पर रहे और इस सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार पूर्व सांसद रवींद्र सिंह को लड़ाई से ही बाहर कर दिया. गोमियो और चंदनकियारी सीट पर भी जेएलकेएम दूसरे नंबर पर रही. सिल्ली सीट पर सुदेश महतो का विजयरथ रोकने में भी जेएलकेएम की मौजूदगी का अहम रोल रहा.
किस सीट पर जयराम ने बिगाड़ा किसका गणित
सिल्लीः सिल्ली विधानसभा सीट से एनडीए की ओर से आजसू प्रमुख सुदेश महतो चुनाव मैदान में थे. सुदेश को इस सीट पर 49 हजार 302 वोट मिले और वह दूसरे स्थान पर रहे. जेएमएम उम्मीदवार ने सुदेश को 23 हजार 867 वोट के अंतर से हराया. इस सीट पर जेएलकेएम उम्मीदवार को 41 हजार 725 वोट मिले जो जीत-हार के अंतर से कहीं अधिक हैं.
यह भी पढ़ें: झारखंड: JMM ने किया कमाल लेकिन CM सोरेन भी नहीं बचा पाए इन 4 मंत्रियों की सीट
टुंडीः टुंडी विधानसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार को 25 हजार 603 वोट से हार का सामना करना पड़ा. इस सीट पर जेएलकेएम उम्मीदवार 44 हजार 464 वोट मिले. इस सीट पर जेएमएम उम्मीदवार को 95 हजार 527, बीजेपी उम्मीदवार को 69 हजार 924 वोट मिले.
ईचागढ़ः ईचागढ़ विधानसभा सीट पर भी जेएलकेएम उम्मीदवार को मिले वोट जीत-हार के अंतर से ज्यादा रहे. इस सीट पर जेएमएम को 77 हजार 562 और आजसू को 51 हजार 29 वोट मिले. जेएमएम उम्मीदवार ने आजसू प्रत्याशी को 26 हजार 523 वोट से हरा दिया. इस सीट पर जेएलकेएम को 41 हजार 138 वोट मिले.
यह भी पढ़ें: जयराम का उदय, सुदेश का सूरज अस्त... झारखंड में यूथ पॉलिटिक्स की नई बयार!
तमाड़ः तमाड़ विधानसभा सीट पर जेएमएम को 24 हजार 246 वोट से जीत मिली. इस सीट पर जेएलकेएम उम्मीदवार को 26 हजार 562 वोट मिले.
चंदनकियारीः चंदनकियारी विधानसभा सीट से विधानसभा में विपक्ष के नेता अमर बाउरी बीजेपी के टिकट पर मैदान में थे. इस सीट से जेएमएम को जीत मिली. यहां जेएलकेएम को बाउरी से भी 203 वोट ज्यादा मिले.
मांडूः मांडू विधानसभा सीट से आजसू उम्मीदवार करीबी मुकाबले में 231 वोट से जीत सका. इस सीट पर जेएलकेएम उम्मीदवार को 71 हजार 276 वोट मिले.
यह भी पढ़ें: 'सरकारें आएंगी-जाएंगी लेकिन...', झारखंड में BJP की हार के बाद बोले चंपाई सोरेन
कांकेः पिछले 34 साल से बीजेपी का गढ़ रही कांके सीट पर कांग्रेस को जीत मिली. कड़े मुकाबले में कांग्रेस प्रत्याशी ने बीजेपी उम्मीदवार को 968 वोट से हरा दिया. यहां भी जेएलकेएम उम्मीदवार को 25 हजार 965 वोट मिले जो जीत-हार के अंतर से कहीं अधिक है.
रामगढ़ः रामगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आजसू प्रत्याशी को 6790 वोट से हराया. इस सीट पर जेएलकेएम को 70 हजार 979 वोट मिले.
इन सीटों पर जीत के अंतर से करीब रहा जेएलकेएम का वोट
इन सीटों के अलावा भी कई सीटें ऐसी रहीं जहां जेएलकेएम जीत-हार के अंतर के करीब वोट पाने में सफल रही. जेएलकेएम को बाघमारा सीट पर 15 हजार 696 वोट मिले जहां जीत-हार का अंतर 18 हजार 314 वोट का रहा. खिजरी में जीत-हार का अंतर 28 हजार 560 वोट का रहा और जेएलकेएम को यहां 26 हजार 827 वोट मिले. बड़कागांव में बीजेपी ने कांग्रेस को 31 हजार 393 वोट से शिकस्त दी और यहां भी जेएलकेएम को 26 हजार 867 वोट मिले.