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फ्रांस को भारत के समर्थन पर मदनी बोले- ये 20 करोड़ मुसलमानों की भावनाओं की अनदेखी

जमीअत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने यह भी कहा कि दुनिया में जितने भी धार्मिक और महान लोग हैं उन सबका सम्मान किया जाना चाहिए चाहे उनका संबंध किसी भी धर्म से हो. हमें हमारे नबी ने यह शिक्षा दी है कि किसी भी धर्म और किसी भी धार्मिक व्यक्ति को बुरा मत कहो.

मौलाना अरशद मदनी मौलाना अरशद मदनी
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 30 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 7:19 PM IST
  • खामोश रहना ज्यादा बेहतर होता: मदनी
  • पैगंबर का अपमान बर्दाश्त नहीं: जमीअत उलेमा-ए-हिन्द

जमीअत उलेमा-ए-हिन्द ने कहा है कि भारत सरकार का फ्रांस के रुख का समर्थन करना बिलकुल गलत है क्योंकि इससे सरकार ने बीस करोड़ मुसलमानों की भावनाओं की अनदेखी की है.

कोई भी मुसलमान अपने प्रिय पैगंबर हजरत मुहम्मद की शान में मामूली अपमान भी सहन नहीं कर सकता. जमीअत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि पिछले दिनों फ्रांस में जो कुछ हुआ और अब भी हो रहा है उसे कुछ लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता साबित कर रहे हैं. वो इसका समर्थन भी कर रहे हैं. लेकिन क्या एक सभ्य समाज में ऐसे व्यवहार को सही ठहराया जा सकता है?

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उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया में जितने भी धार्मिक और महान लोग हैं उन सब का सम्मान किया जाना चाहिए चाहे उनका संबंध किसी भी धर्म से हो. हमें हमारे नबी ने यह शिक्षा दी है कि किसी भी धर्म और किसी भी धार्मिक व्यक्ति को बुरा मत कहो. पूरी दुनिया के मुसलमान इस आदेश का पालन कर रहे हैं. किसी भी धर्म को मानने वाला यह दावा नहीं कर सकता कि किसी मुसलमान ने उसके धर्म के किसी धार्मिक व्यक्ति का अपमान किया हो या उसका मज़ाक उड़ाया हो.

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उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति द्वारा अपमानजनक चित्रों के प्रकाशन और इसके समर्थन की घोर निंदा करते हुए कहा कि यह असहनीय है. यहां तक कि ऐसे लोगों का समर्थन करना जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में करोड़ों लोगों की ही नहीं बल्कि अरबों लोगों की असहनीय पीड़ा का कारण बने, जो अति दुख का कारण ही नहीं बल्कि एक प्रकार का आतंक है.

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क्योंकि ऐसे अहंकारी लोगों के दिल दुखाने से चरमपंथी प्रतिक्रिया को बढ़ावा मिलता है. इससे दुनिया की शांति को खतरा पैदा हो जाता है. विशेषकर किसी शासक की ओर से ऐसी अपवित्र कृतियों का समर्थन गंभीर जुर्म और अक्षम्य कार्य है. अगर इस्लामी दुनिया इस तरह की हरकत पर आक्रोश में आकर कड़ा रुख अपनाती है तो इसको अक्षम माना जाना चाहिये.

मौलाना मदनी ने कहा कि इस्लाम एक शांतिप्रिय धर्म है जो अन्य किसी भी धर्म के सम्मानित व्यक्तियों के मजाक को कदापि पसंद नहीं करता. इस्लाम तमाम धार्मिक शक्तियों की भावनाओं का सम्मान करता है. मौलाना मदनी ने कहा कि कोई भी मुसलमान अपने प्रिय पैगंबर की शान में मामूली अपमान भी सहन नहीं कर सकता फिर भी तमाम मुसलमानों के लिए जरूरी है कि वो भावनाओं से ऊपर उठकर अच्छे विचार और सहनशीलता से इसका मुकाबला करें. 

उन्होंने कहा कि हमें बहुत दुख है कि हमारे देश की सरकार ने फ्रांस के रुख का समर्थन किया है जिसका अर्थ है कि वह सारी दुनिया के मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को ठोकर मारकर दिलों को ठेस पहुंचाने वाले कानून का समर्थन कर रही है. हमारा विचार है कि फ्रांस के रुख के समर्थन के मुकाबले खामोश रहना अधिक उचित होता.

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