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लोकसभा से जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक पास, जानिए प्रवाधान में क्या है?

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने अधीर होकर सरकार से धारा-370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर के विकास का हिसाब मांगा तो गृह मंत्री अमित शाह इतिहास की किताब खोलकर खड़े हो गए.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 11:37 PM IST
  • राज्यसभा में पहले ही पास हो चुका था विधेयक
  • लोकसभा में चर्चा के दौरान विधेयक पर खूब हंगामा हुआ

लोकसभा ने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2021 शनिवार को पारित कर दिया. संसद में चर्चा के दौरान इस विधेयक पर खूब हंगामा हुआ, लेकिन लोकसभा से भी विधेयक पास हो गया. ये विधेयक राज्यसभा में पहले ही पास हो चुका था. 

विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक, मौजूदा जम्मू-कश्मीर कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय वन सेवा के अधिकारी अब अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्रशासित प्रदेशों के कैडर का हिस्सा होंगे. 

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वहीं, सरकार का कहना है कि ऐसा इसलिए किया गया है ताकि इस कैडर के अधिकारियों को जम्मू-कश्मीर में तैनात किया जा सके, जिससे वहां कुछ हद तक अधिकारियों की कमी दूर हो सकेगी. 

जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद वहां 191 IAS, 154 IPS और 106 IFS पदों का सृजन किया गया था, जिन्हें भरने में दिक्कतें आ रही थीं. इसे दूर करने के लिए ये विधेयक लाया गया है. हालांकि इस पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने तमाम सवाल उठाए, जिनका केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विस्तार से जवाब दिया.

विपक्ष ने खड़े किए सवाल

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने अधीर होकर सरकार से धारा-370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर के विकास का हिसाब मांगा तो गृह मंत्री अमित शाह इतिहास की किताब खोलकर खड़े हो गए.

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जम्मू-कश्मीर में मोदी सरकार के काम को गिनाते हुए अमित शाह ने कहा कि जितना काम पूर्व की सरकारों ने 4 पीढ़ियों में किया है, उतना काम हमने 17 महीनों में कर दिया. आपने 70 साल क्या किया उसका हिसाब लेकर आए हो क्या? जिनको पीढ़ियों तक शासन करने का मौका दिया वो अपने गिरेबान में झांककर देखें कि हम हिसाब मांगने के लायक हैं या नहीं.

शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में परंपराए बदल रही हैं. पहले यहां सिर्फ तीन परिवारों के लोग राज करते थे, अब यहां के सामान्य लोग शासन करेंगे. अमित शाह ने साफ कर दिया कि अभी जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का उपयुक्त समय नहीं आया है. इस तरह अमित शाह ने विपक्ष से हिसाब-किताब बराबर किया. 

ओवैसी को दिया जवाब 

लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन बिधेयक पर चर्चा के दौरान AIMIM सांसद ओवैसी ने कहा कि गृह मंत्री ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल होगा, लेकिन इधर केंद्र वहां के कैडर को खत्म कर रही है. आखिर सरकार की मंशा क्या है? इस पर शाह ने कहा कि ओवैसी साहब आपके मन मे सुब कुछ हिन्दू-मुस्लिम है. 

गृह मंत्री ने कहा कि ओवैसी कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर में मुसलमान अफसरों की संख्या कम है. लेकिन मैं पूछना चाहता हूं कि क्या आप अफसरों को भी हिन्दू-मुस्लिम के आधार पर बांटेंगे. क्या हिन्दू अफसर मुस्लिम नागरिक से बात नहीं कर सकता है. मुस्लिम अफसर हिन्दू नागरिक से सवाल नहीं पूछ सकता है क्या? आप अफसरों को भी धर्म के आधार पर बांटेंगे.  

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चर्चा के दौरान क्या खास रहा?

पंचायतों को ताकत देने के लिए 1500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए.
- पनबिजली परियोजनाओं में 3490 मेगावाट का काम हुआ.
- 3 लाख 57 हजार परिवारों को बिजली दी गई.
- 8 लाख छात्रों को छात्रवृति दी जा रही है.
- 44 हजार कश्मीरी पंडितों को 13 हजार रुपये हर महीने सरकार देती है.
- जम्मू-कश्मीर में 50 हजार परिवारों को स्वास्थ्य बीमा के तहत कवर किया गया.
- उज्ज्वला योजना के तहत 12 लाख 60 हजार 685 घरों में गैस का सिलेंडर देने का काम हुआ है.
- आईआईटी जम्मू ने अपने परिसर में शिक्षण शुरू कर दिया है.
- जम्मू-कश्मीर में दो एम्स का निर्माण कार्य शुरू हो गया है.
- प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत स्वास्थ्य मंत्रालय से 881 करोड़ रुपये की धनराशि भेजी गई है.
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने करीब 29 हजार कनाल का लैंड बैंक तैयार किया है. इससे उद्योगों को जमीन दी जाएगी.

विपक्ष और अमित शाह के बीच हंगामेदार सवाल-जवाब के बाद लोकसभा से भी जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक पास हो गया और विपक्ष के सारे विरोध एक बार फिर फेल हो गए. 

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