Advertisement

क्या था गतिरोध, किस बात पर बीजेपी से अलग हुए थे जसवंत सिंह

जसवंत सिंह बाड़मेर लोकसभा सीट से लोकसभा का उम्मीदवार बनना चाह रहे थे लेकिन वसुंधरा राजे ने इस उम्मीदवारी पर ब्रेक लगा दिया. ऐसे में जसवंत सिंह बगावत पर उतर आए और निर्दलीय चुनाव लड़े.

जसवंत सिंह की फाइल फोटो जसवंत सिंह की फाइल फोटो
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 2:31 PM IST
  • बाड़मेर लोकसभा सीट को लेकर था गतिरोध
  • जसवंत सिंह ने BJP छोड़ निर्दलीय लड़ा था चुनाव
  • चुनाव में जसवंत सिंह को मिली थी हार

पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दिग्गज नेता रहे जसवंत सिंह का निधन हो गया है. वे 82 साल के थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्व मंत्री के निधन पर शोक व्यक्त किया है. बता दें, राजनीति के अंतिम दिनों में जसवंत सिंह का बीजेपी के साथ गतिरोध हो गया था और उन्होंने पार्टी भी छोड़ दी थी. राजनीतिक गतिरोध का यह पूरा मसला राजस्थान और वहां की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से जुड़ा था.

Advertisement

क्या था मामला
जसवंत सिंह 2014 के चुनाव में बाड़मेर लोकसभा सीट से लोकसभा का उम्मीदवार बनना चाह रहे थे लेकिन वसुंधरा राजे ने इस उम्मीदवारी पर ब्रेक लगा दिया. ऐसे में जसवंत सिंह बगावत पर उतर आए और निर्दलीय चुनाव लड़े. जसवंत सिंह उस वक्त दार्जिलिंग से बीजेपी के सांसद थे. उनकी बगावत को देखते हुए बीजेपी के कई आला नेताओं ने उन्हें मनाने की कोशिश की लेकिन वे अपने फैसले से नहीं डिगे. जसवंत सिंह की शिकायत थी कि उनका टिकट काटने का फैसला एक तरह से अपमानित करने वाला निर्णय है. 

जसवंत सिंह ने अपनी पार्टी के नेताओं के मान-मनौव्वल को नहीं माना और चुनाव मैदान में उतर गए. इस चुनाव में उन्हें हार मिली. चुनाव हारने के बाद जसवंत सिंह दिल्ली आ गए और एक तरह से एकांतवास में चले गए. कुछ दिन बाद खबर आई कि जसवंत सिंह रात को बाथरूम में गिर गए और उन्हें इतनी गंभीर चोट लगी कि वे कोमा में चले गए. तबीयत खराब होने की खबर सुन वसुंधरा राजे जसवंत सिंह से मिलने दिल्ली आईं लेकिन उस वक्त वे कोमा में थे. वसुंधरा राजे दिल्ली से राजस्थान लौट गईं और दोनों के बीच के संबंध उसी दौर में अटके रह गए जब जसवंत सिंह का टिकट काटा गया था.

Advertisement

मानवेंद्र सिंह भी हुए बागी

मामला यहीं तक नहीं रुका. बाद में जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह भी बागी हो गए. मानवेंद्र सिंह ने ऐलान किया कि वे बाड़मेर के पचपदरा में स्वाभिमान रैली करेंगे. नाम स्वाभिमान रैली इसलिए रखा गया क्योंकि जसवंत सिंह के परिवार का कहना था कि वसुंधरा राजे ने उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई है. लिहाजा प्रतिष्ठा हनन का बदला लेने के लिए स्वाभिमान रैली की जाएगी.

इस रैली में मानवेंद्र सिंह बस इतना ही बोल पाए -कमल का फूल एक ही भूल. हालांकि अपने पूरे भाषण में मानवेंद्र सिंह बीजेपी छोड़ने के लिए बीजेपी के खिलाफ कुछ नहीं बोल पाए. उनके समर्थक टकटकी लगाए ताकते रहे और मानवेंद्र ने कमल का फूल एक ही भूल कह कर अपने भाषण को खत्म कर दिया. भाषण के दौरान मानवेंद्र सिंह के चेहरे पर अपने परिवार से बिछड़ने की मायूसी थी लेकिन वसुंधरा राजे और जसोल परिवार के रिश्ते इस मोड़ पर आ गए थे कि पीछे लौटना नामुमकिन सा था. बाद में मानवेंद्र सिंह कांग्रेस में शामिल हो गए.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement