
बीजेपी की दूसरी सूची जारी होते ही मध्य प्रदेश की सियासत एकाएक गरमा गई है. पार्टी ने कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर-1 सीट से विधानसभा उम्मीदवार बनाया है. विजयवर्गीय चुनाव लड़ने को इच्छुक नहीं थे. लेकिन बीजेपी ने फैसला कर दिया कि चुनाव लड़ना है. पिता को टिकट देकर बीजेपी ने तकरीबन ये भी साफ कर दिया है कि कैलाश विजयवर्गीय के विधायक बेटे आकाश विजयवर्गीय के लिए उम्मीदें खत्म हो गई हैं. लेकिन आकाश विजयवर्गीय लगता है कि अड़ गए हैं. राजधानी भोपाल के बीजेपी दफ्तर में गुरुवार शाम आकाश के समर्थकों ने शक्ति प्रदर्शन कर दिया.
दरअसल, कैलाश विजयवर्गीय को जब से टिकट थमाया गया है, तब से उनका दर्द-ए-दिल काबू में ही नहीं आ रहा. संगीत प्रमी विजयवर्गीय इन दिनों खुलकर गा नहीं पा रहे. दिल में कांटे चुभ रहे हैं. लेकिन दर्द भी बचते-बचाते बयां करना पड़ रहा है. पार्टी का हुक्म है तो बजाना ही पडेगा. ना-ना करते-करते ही सही चुनाव लड़ना ही पड़ेगा.
'चुनाव लड़ने की एक प्रतिशत भी इच्छा नहीं थी'
बता दें कि भाजपा नेता ने कहा कि उन्हें अपने उम्मीदवार बनने पर अब भी विश्वास नहीं हो रहा है. इंदौर में मंगलवार रात भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए विजयवर्गीय बोले, ''मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा है कि मैं उम्मीदवार हूं. मैं आपसे सच कह रहा हूं. मुझे लग ही नहीं रहा है कि मुझे टिकट मिल गया और मैं उम्मीदवार बन गया हूं. मेरी चुनाव लड़ने की एक प्रतिशत भी इच्छा नहीं थी.''
'लोगों के सामने हाथ जोड़ने कहां जाएंगे'
भाजपा महासचिव ने अपने चिर-परिचित अंदाज में पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा, चूंकि वह बड़े नेता हो गए हैं, इसलिए लग रहा था कि उन्हें चुनाव प्रचार के लिए अलग-अलग स्थानों पर भाषण देने जाना होगा और अब वह लोगों के सामने हाथ जोड़ने कहां जाएंगे. हर रोज 8 स्थानों पर चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगे. जिनमें से 5 जगहों पर वह हेलिकॉप्टर के जरिए पहुंचेंगे, जबकि 3 अन्य स्थानों तक पहुंचने के लिए कार का सहारा लेंगे.
मतलब विजयवर्गीय ने सोचा कुछ और था, हुआ कुछ और. तैयारी कर रखी थी स्टार प्रचारक के रोल की. लेकिन अब पार्टी ने कह दिया-खुद मैदान में उतरिए. टीम को आप जैसे अनुभवी खिलाड़ी की जरूरत है.
बेटे का टिकट भी हाथ से निकलता दिख रहा
यह तो विजयवर्गीय की व्यथा की कहानी हुई. ये तो पिता का दर्द-ए-दिल हुआ. लेकिन कैलाश का दुख इतना भर नहीं है. खुद तो चुनाव लड़ना पड़ रहा है तो बेटे का टिकट भी हाथ से निकलता दिख रहा है.
पिता कैलाश विजयवर्गीय को बीजेपी ने इंदौर-1 विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने को कहा है. पुत्र आकाश विजयवर्गीय इंदौर-3 विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक हैं. आलाकमान का साफ-सुथरा संदेश है कि इस बार पिता ही चुनाव लड़ेंगे. पुत्र अब पिता को जितवाने में मदद करेंगे. पार्टी ने दीवार पर ये बात लिख दी है. लेकिन विजयवर्गीय परिवार इस सच्चाई को हजम नहीं कर पा रहा. आकाश विजयवर्गीय के टिकट के लिए जोर लगाया जा रहा है.
कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश का टिकट कटने की आशंका, BJP दफ्तर में जुटे समर्थक
इसी आशंका से अब विजयवर्गीय समर्थक पार्टी नेतृत्व पर दबाव बनाने लगे हैं. गुरुवार शाम को आकाश विजयवर्गीय को टिकट दिलाने का दबाव बनाने समर्थक बड़ी संख्या में भोपाल स्थित बीजेपी प्रदेश कार्यालय पहुंचे.
इंदौर से 5 बसों और अन्य गाड़ियों से यह समर्थक भोपाल पहुंचे और प्रदेश कार्यालय में समर्थकों की चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव से बंद कमरे में मुलाकात हुई. अब इस मामले में माना जा रहा है कि अगर आकाश विजयवर्गीय का टिकट कटा तो उनके समर्थक इंदौर में बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बन जाएंगे.
आकाश विजयवर्गीय ने पार्टी को ताकत दिखाने की कोशिश की है. ताकत दिखाने में उन्हें मजा आता है. ऐसी ही ताकत आकाश ने एक बार इंदौर नगर निगम के कर्मचारी की पिटाई थी. माना जा रहा है कि उसी बल्ला कांड के चलते आकाश विजयवर्गीय का टिकट संकट में आ गया. लेकिन इस बार तो आकाश विजयवर्गीय बीजेपी जैसी पार्टी को ताकत दिखाते दिख रहे हैं. पता नहीं इसका नतीजा क्या होगा? (आजतक ब्यूरो भोपाल)