
आरक्षण को लेकर कर्नाटक में लंबे समय से चली आ रही पंचमसाली लिंगायत समुदाय की मांग पर कर्नाटक सरकार आज कोई फैसला ले सकती है. अगले साल राज्य में अप्रैल-मई के दौरान होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले सरकार का ये कदम काफी अहम माना जा रहा है. दरअसल, पंचमसाली लिंगायत समुदाय प्रमुख वीरशैव-लिंगायत समुदाय का एक उप-संप्रदाय है. इसे BJP के वोटर्स का आधार माना जाता है.
पंचमसाली समुदाय OBC आरक्षण मैट्रिक्स की श्रेणी 2A (15 प्रतिशत) में शामिल होना चाहता है. वर्तमान में वे 3B (5 प्रतिशत) की श्रेणी में शामिल हैं. इस संबंध में कैबिनेट के कोई फैसला लेने का संकेत भाजपा के बीजापुर शहर के विधायक बासनगौड़ा पाटिल यतनाल से मिला है. यतनाल इस समय राज्यभर में हो रहे पंचमसाली लिंगायत आरक्षण आंदोलन में सबसे आगे हैं.
प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए विधायक यतनाल ने कहा कि आरक्षण को लेकर ऐतिहासिक शक्ति प्रदर्शन होगा. मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई एक ऐतिहासिक फैसला लेंगे. गुरुवार को बोम्मई आधिकारिक तौर पर घोषणा करते दिखेंगे. बता दें कि पंचमसाली लिंगायतों ने गुरुवार को बेलगावी में शक्ति प्रदर्शन के रूप में एक विशाल सम्मेलन की योजना बनाई है.
आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे कुदालसंगम पंचमसाली पीठ के संत बसवा जया मृत्युंजय स्वामी के मुताबिक अगर मुख्यमंत्री आरक्षण का न्याय देते हैं तो उनका सम्मान किया जाएगा, लेकिन अगर वे फैसला करने में देरी करते हैं तो विधानसभा के सामने बैठकर आंदोलन किया जाएगा.
बता दें कि 2ए श्रेणी के तहत पहले से ही 15 प्रतिशत आरक्षण साझा करने वाली 102 व्यावसायिक उप-जातियां शामिल हैं. अब देखना यह है कि सरकार राजनीतिक समीकरणों में बदलाव किए बिना कैसे आरक्षण का फैसला लेती है, क्योंकि पंचमसाली लिंगायत समुदाय को मौजूदा श्रेणी के तहत आरक्षण देने पर दूसरी जातियों में नाराजगी होने की संभावना है.
आरक्षण की इस परेशानी को देखते हुए ही कर्नाटक पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की सरकार ने कैबिनेट की बैठक में 50 फीसदी आरक्षण के दायरे को बढ़ाने का फैसला किया था. उन्होंने तब कहा था कि सामाजिक परिदृश्य पूरी तरह से बदल गया है और और पिछड़े वर्ग की आकांक्षाएं बढ़ी हैं. कर्नाटक में अनुसूचित जातियों के लिए 15 फीसदी, एसटी के लिए 3 फीसदी और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए 32 फीसदी आरक्षण प्रदान किया जाता है, जो कुल मिलाकर 50 फीसदी होता है.
राज्य में पंचमसाली लिंगायत समुदाय के अलावा लंबे समय से कुरूबा और वाल्मिकी समुदाय अलग-अलग श्रेणी में आरक्षण की मांग करते आए हैं. पंचमसाली समुदाय 2ए श्रेणी का दर्जा देने की मांग कर रहा है तो वहीं कुरूबा समुदाय अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग कर रहा है. वाल्मीकि समुदाय की भी मांग है कि अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण को तीन से बढ़ाकर 7.5 प्रतिशत किया जाए.