
सामना पत्रिका ने अपने संपादकीय में तेलंगाना सीएम के चंद्रशेखर राव (केसीआर) पर जमकर हमला बोला है. लेख में इस बात का दावा किया केसीआर तेलंगाना और महाराष्ट्र दोनों ही जगह चुनाव हार जाएंगे. लेख में चुनाव के लिए धनबल का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि अगर केसीआर तेलंगाना में अपनी गिरावट का बदला महाराष्ट्र में ले रहे हैं तो वह राष्ट्रीय हित में अहित कर रहे हैं.
सामना में लिखा गया कि केसीआर को महाराष्ट्र में घुसने की कोई जरूरत नहीं थी. तेलंगाना के लिए संघर्ष करने के बावजूद उनकी पार्टी नीचे जा रही है, उनकी बेटी लोकसभा चुनाव नहीं जीत सकीं. उन्हें ईडी ने समन भेज दिया, जिसके बाद केसीआर का हर कदम से ऐस लगा रहा है कि वे केवल बीजेपी को फायदा पहुंचाएंगे. संपादकीय में आगे लिखा- ओवैसी का मुख्यालय भी हैदराबाद है. वह वोट बांटने के लिए पहले ही महाराष्ट्र के कई हिस्सों में जा चुके हैं, लेकिन अब यह स्पष्ट है कि मुस्लिम और दलित एआईएमआईएम पर विश्वास नहीं करेंगे.
क्या यही वजह है कि बीजेपी अब केसीआर को मैदान में उतार रही है. यहां तक कि पवार ने पूछा है कि क्या बीआरएस बीजेपी की बी टीम है जो महाराष्ट्र में आधार खो रही है इसलिए इस तरह की हरकतें कर रही है.
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने भारत राष्ट्र समिति नामक पार्टी की स्थापना करके राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश करने का निर्णय लिया. हालांकि, इसकी कोई जरूरत ही नहीं थी. उनकी एक क्षेत्रीय पार्टी थी और वह अच्छा प्रदर्शन कर रही थी. तेलंगाना राज्य की स्थापना में के. चंद्रशेखर राव का संघर्ष बड़ा है. यह भी उतना ही सच है कि अगर राव ने संघर्ष नहीं किया होता तो तेलंगाना राज्य का निर्माण नहीं होता. राव दो बार तेलंगाना के मुख्यमंत्री बने. वहां के किसानों के जीवन स्तर में सुधार हो, ऐसी कई योजनाओं को उन्होंने सफलतापूर्वक लागू किया है, तब भी उनकी पार्टी तेलंगाना में गिरावट पर है. केसीआर की पार्टी 2024 में सत्ता में रहेगी या नहीं, इसकी कोई भी गारंटी नहीं दे सकता है.
केसीआर की बेटी कविता 2019 के लोकसभा चुनाव में हार गईं. इन्हीं कविता को दिल्ली में शराब घोटाला मामले में ‘ईडी’ ने पूछताछ के लिए बुलाया था. कविता ने दिल्ली की ‘आप’ सरकार और तेलंगाना में कुछ शराब ठेकेदारों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाई और इसके लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों ने केसीआर की बेटी के खिलाफ जांच शुरू की, जिसके बाद केसीआर ने कहा था कि केंद्रीय जांच एजेंसी दबाव की राजनीति कर रही है, लेकिन हम उनके सामने नहीं झुकेंगे, हम लड़ते रहेंगे. हालांकि इसके बाद वे जो राजनीतिक कदम उठा रहे हैं, वो ऐसे हैं जो अप्रत्यक्ष रूप से बीजेपी को फायदा पहुंचाएंगे.
तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद है और 2019 से बीजेपी जिस एआईएमआईएम के ओवैसी का इस्तेमाल वोट बंटवारे के लिए कर रही है, उन ओवैसी का ‘मुख्यालय’ भी हैदराबाद में है. वोटों का विभाजन करने के लिए ओवैसी महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में चले गए. उन्होंने अपना काम बखूबी किया, लेकिन औवैसी की चाल समझ में आने के बाद यह साफ है कि मुस्लिम और दलित उनके झांसे में नहीं आएंगे. तो क्या इसीलिए बीजेपी ने अब ओवैसी की जगह केसीआर को उतारा है? क्या केसीआर और उनकी पार्टी बीजेपी की ‘बी’ टीम के तौर पर काम कर रही है? यह प्रश्न उठ रहा है. शरद पवार भी ऐसा कह चुके हैं.
बीजपी के पास अपना विचार और जनाधार नहीं है, इसलिए इनका मुख्य काम ऐसा खेल खेलकर जीतना है. ऐसा दिखाई दे रहा है कि केसीआर का भी उसी तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. केसीआर अपनी 600 गाड़ियों के काफिले के साथ कल महाराष्ट्र पहुंचे. उनका काफिला पंढरपुर आया और उन्होंने जोरदार शक्ति प्रदर्शन किया. केसीआर पूरी कैबिनेट के साथ विठ्ठल-रखुमाई के दर्शन करेंगे, मंदिर पर फूल बरसाएंगे, आदि खबरें पहले प्रकाशित हुई थीं. यह सब आश्चर्यजनक है. केसीआर वर्षों से सत्ता में हैं, लेकिन इतने सालों में उनमें विट्ठल भक्ति का जोश कभी नहीं फूटा, लेकिन 2024 के चुनाव के पहले ही फूटा.
महाराष्ट्र में केसीआर की भारत राष्ट्र समिति पार्टी के बड़े-बड़े होर्डिंग्स, पोस्टर लगाए गए. उन्होंने मराठवाड़ा और अन्य स्थानों पर पार्टियों के कार्यालय खोले. सभी दलों के असंतुष्ट लोगों को बड़ा प्रलोभन दिखाकर ‘खरीद-फरोख्त’ वाला संघ खोला. इस सिलसिले में जब वे ‘खोके’ सेना को टक्कर देने लगे तो कई नेता सरक गए. कल पंढरपुर में भरत भालके के बेटे केसीआर की मौजूदगी में उनकी पार्टी में शामिल हुए. मतलब केसीआर ने महाराष्ट्र में नाराज और असंतुष्ट लोगों के लिए एक नया मंच तैयार किया है. यह पार्टी महाराष्ट्र में चुनाव लड़ेगी या फिर यथासंभव वोट विभाजन करके भाजपा की राजनीतिक मदद करेगी, यह चाल स्थानीय लोगों को समय रहते पहचान लेनी चाहिए.
यही नहीं, केसीआर महाराष्ट्र के किसानों से भावनात्मक अपील भी कर रहे हैं. वे किसानों के नाम पर वोट मांग रहे हैं, लेकिन कुल मिलाकर तस्वीर यह है कि उनकी पार्टी भारत राष्ट्र समिति बीजेपी के लिए वोट बंटवारे की ‘कालीन’ बिछाने का काम करेगी. सच्चाई तो यह है कि तेलंगाना में केसीआर की पार्टी के पैरों तले जमीन खिसक रही है. अगर वे इस बात का बदला महाराष्ट्र में ले रहे हैं, तो वे राष्ट्रीय हित को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
केसीआर के प्रदर्शन पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है, लेकिन वे जिस तरह की चाल चलने की कोशिश कर रहे हैं, वह उनकी चाल नहीं है बल्कि कोई और उनका इस्तेमाल कर रहा है, इसलिए तेलंगाना से उनका तेल भी जाएगा और महाराष्ट्र से घी भी हाथ नहीं लगेगा. बीजेपी की राजनीति हमेशा से ऐसी ही रही है. महाराष्ट्र में बीजेपी ने पहले से ही कई लोगों को ‘बी’ टीम बना रखा है. उसमें तेलंगाना की एक और पार्टी जुड़ गई है. केसीआर के पास धन-दौलत की कोई कमी नहीं है, वे धड़ल्ले से बांट रहे हैं. जिन लोगों को कोई पूछता नहीं था, अपनी गरीबी हटाने का उनके लिए यह अच्छा अवसर है. पंढरपुर के विठोबा जागरूक हैं. वह यह सब खुली आंखों से देख रहे हैं, चिंता मत करो!