Advertisement

केरल गवर्नर के खिलाफ विधानसभा में बिल पास, अब मंजूरी के लिए आरिफ मोहम्मद के पास भेजा जाएगा

केरल की पिनराई विजयन सरकार और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के बढ़ते टकरावों के बीच मंगलवार को प्रदेश की विधानसभा में यूनिवर्सिटी लॉ संशोधन बिल पास कर दिया गया. इसके तहत यूनिवर्सिटी के चांसलर पद से गवर्नर की जगह किसी विषय विशेषज्ञ को बैठाया जा सकेगा.

केरल विधानसभा में यूनिवर्सिटी लॉ संशोधन बिल पास (फाइल फोटो) केरल विधानसभा में यूनिवर्सिटी लॉ संशोधन बिल पास (फाइल फोटो)
शिबिमोल
  • तिरुवनंतपुरम,
  • 13 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:55 PM IST

केरल विधानसभा में मंगलवार को यूनिवर्सिटी लॉ संशोधन बिल पास कर दिया गया है. यह बिल इसलिए अहम है क्योंकि इसके तहत गवर्नर को केरल में यूर्निवर्सिटी चांसलर पद से हटाया जा सकेगा. अब यह बिल मंजूरी के लिए गवर्नर के पास भेजा जाएगा.

विपक्ष ने मांग की कि चांसलर नियुक्त करने के लिए एक समिति गठित की जानी चाहिए, जिसमें मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता और हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शामिल हों. सरकार ने आंशिक रूप से मांग को स्वीकार कर लिया. कानून मंत्री पी राजीव ने कहा कि समिति में मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता और अध्यक्ष होंगे. विपक्ष ने भी इसे माना.

Advertisement

...तो राष्ट्रपति को भेज दूंगा अध्यादेश: गवर्नर

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इस मामले में पिछले महीने बयान दिया था कि इस अध्यादेश को लेकर मैं कुछ नहीं तय करूंगा. अगर राज्य सरकार मुझे निशाना बनाना चाह रही है तो मैं उस अध्यादेश को राष्ट्रपति को भेजूंगा.

दरअसल मीडिया ने उसने सवाल किया था कि क्या राज्यपाल अध्यादेश पर हस्ताक्षर करेंगे? इस पर आरिफ मोहम्मद खान ने कहा था कि  इस पर विचार करने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा. मुझे अभी तक व्यक्तिगत रूप से अध्यादेश प्राप्त नहीं हुआ है. अगर मैं निशाने पर हूं तो मैं इसका निर्णायक नहीं बनना चाहता.

प्रख्यात शिक्षाविद को नियुक्ति किया जाएगा

विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक के तहत विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति पद से हटाकर उनकी जगह प्रख्यात शिक्षाविद को इस पद पर नियुक्ति किया जाएगा. विधेयक में कुलपति पद के लिए पांच साल के कार्यकाल का प्रावधान किया गया है.

Advertisement

विधेयक के अनुसार सरकार कृषि और पशु चिकित्सा विज्ञान, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, समाज विज्ञान, मानविकी, साहित्य, कला, संस्कृति, कानून या लोक प्रशासन समेत विभिन्न क्षेत्रों के किसी शिक्षाविद या किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति को विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त कर सकती है.

कानूनी चुनौतियों का करना पड़ेगा सामना 

विपक्षी गठबंधन यूडीएफ के विधायकों ने कुछ आपत्तियां जताते हुए कहा कि अगर यह विधेयक पारित हो जाता है, तो इसे कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. 

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वी.डी. सतीशन ने कहा कि विधेयक जल्दबाजी में तैयार किया गया है. उन्होंने आरोप लगाया, “विधेयक में कुलपति के लिए उम्र सीमा और न्यूनतम शैक्षिक योग्यता का कोई जिक्र नहीं है. इसका मतलब है कि सरकार अपनी मर्जी से किसी को भी इस शीर्ष पद पर बिठा सकती है. इससे विश्वविद्यालय की स्वायत्तता नष्ट होगी और वह महज सरकारी विभाग बनकर रह जाएगा.”

TOPICS:
Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement