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7 साल में भीड़ ने 28 लोगों को उतारा मौत के घाट, ये रहा मॉब लिंचिंग का पूरा बही-खाता

जयपुर की 'महंगाई हटाओ रैली' में अपने आपको हिंदू और बीजेपी को हिंदुत्ववादी बताने के बाद राहुल गांधी ने लिंचिंग पर चुनावी मौसम में बीजेपी को घेरा है. मॉब लिंचिंग का मतलब है- भीड़तंत्र के हाथों पीट-पीटकर हत्या.

मॉब लिंचिंग के मुद्दे पर देशभर में बहस छिड़ गई है. (प्रतीकात्मक तस्वीर) मॉब लिंचिंग के मुद्दे पर देशभर में बहस छिड़ गई है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:13 PM IST
  • जनवरी 2010 से जून 2017 तक 28 हत्या
  • गोहत्या/बीफ को लेकर हिंसा की 63 घटनाएं

राहुल गांधी ने मंगलवार को ट्वीट किया कि 2014 के पहले लिंचिंग शब्द का वजूद नहीं था. कांग्रेस नेता के इस बयान को लेकर देशभर में राजनीतिक बहस छिड़ गई है. राहुल के बयान पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मोर्चा खोल दिया है. इसके जवाब में कांग्रेस को बीजेपी 1984 में हुए सिख दंगों की याद दिला रही है. अब कांग्रेस और बीजेपी में इस बात की सियासी तलवार खिंच गई है कि किसकी सरकार के वक्त लिंचिंग ज्यादा हुई. आखिर मॉब लिंचिंग क्या है और किन वजहों से इसे अंजाम दिया जाता है? जानिए, Mob Lynching पूरी खाता-बही...
  
जयपुर की 'महंगाई हटाओ रैली' में अपने आपको हिंदू और बीजेपी को हिंदुत्ववादी बताने के बाद राहुल गांधी ने लिंचिंग पर चुनावी मौसम में बीजेपी को घेरा है. मॉब लिंचिंग का मतलब है- भीड़तंत्र के हाथों पीट-पीटकर हत्या. पुरानों मामलों पर गौर करने पर समझ आया कि देश में लिंचिंग की 3 बड़ी वजह हैं- गोहत्या से जुड़े मामले, बच्चों को चुराने की अफवाह और सामान्य चोरी की वारदात. 

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हिंसा की 63 घटनाएं

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2010 से जून 2017 तक गोहत्या और बीफ के मामलों को लेकर देश के राज्यों में हिंसा की 63 घटनाएं हुईं. इन मामलों में कुल 28 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया और 124 घायल हुए. मॉब लिंचिंग की 51 फीसदी घटनाओं में मुसलमानों को भीड़ की हिंसा का सामना करना पड़ा. 7 साल के भीतर मारे गए कुल लोगों में से 24 मृतक मुस्लिम धर्म के थे.     

क्या है ताजा मामला

बता दें कि केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ''2014 से पहले ‘लिंचिंग’ शब्द सुनने में भी नहीं आता था. धन्यवाद मोदीजी.'' इस ट्वीट के बाद कांग्रेस अपने नेता के खुलकर समर्थन में उतर आई है और बीजेपी शासन में धर्म, जाति और गोरक्षा के नाम पर पीट-पीटकर हत्या की दुहाई देने लगी है. वहीं, बीजेपी 1984 के सिख दंगों पर कांग्रेस को घेर रही है.

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नेताओं के आरोप-प्रत्यारोप

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने समर्थन जताते हुए कहा, BJP आने के बाद दलितों और अल्पसंख्यकों की लिंचिंग हो रही है. लिंचिंग शब्द बीजेपी की वजह से आया है. इसके पलटवार में केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे बोले, राहुल गांधी क्या कहते हैं और क्या करते हैं, ये आप सबको मालूम होगा. बीजेपी नेता ने सवाल उठाया कि 1984 में सिखों को किसने मारा? वह लिंचिंग नहीं थी तो क्या था? बिहार के भागलपुर में दंगा नहीं हुआ था, तो क्या था?

BJP ने सिख दंगों पर कांग्रेस को घेरा

जाहिर है कि राहुल गांधी का निशाना सीधे 2014 में सत्ता में आई मोदी सरकार पर है. अब बीजेपी ने भारतीय इतिहास के तमाम दंगों की लिस्ट निकाल ली है. बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से लेकर जवाहरलाल नेहरू तक को घेर लिया. 1984 सिख दंगों को अब  पूरी बीजेपी सबसे बड़ी लिंचिंग घोषित कर रही है. मालूम हो कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, देशभर में 3,000 से अधिक सिख मारे गए थे. जबकि स्वतंत्र स्रोतों का अनुमान है कि मौतों की संख्या लगभग 8,000 के आसपास है. 

 

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