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कांग्रेस नहीं लगा पाई सीटों का शतक... फिर भी पार्टी के चेहरे पर क्यों है जीत की चमक?

कांग्रेस इस बार चुनाव में सबसे कम 327 सीटों पर चुनाव लड़ी. यह पहली बार था, जब सबसे पुरानी पार्टी 400 से कम सीटों पर आम चुनाव लड़ने उतरी. कांग्रेस ने अन्य सीटों पर विपक्षी दलों का समर्थन किया. उनके उम्मीदवारों को जिताने के लिए जनसभाएं कीं. प्रचार करने पहुंचे और जीत के लिए जान लगा दी. 4 जून को जब नतीजे आए तो पार्टी भले हार गई, लेकिन चेहरों पर खुशी दे गए.

लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद कांग्रेस ने जीत की खुशी मनाई. लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद कांग्रेस ने जीत की खुशी मनाई.
उदित नारायण
  • नई दिल्ली,
  • 05 जून 2024,
  • अपडेटेड 7:54 AM IST

लोकसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं और एनडीए ने तीसरी बार सत्ता में वापसी की है. विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक ने भी दमखम दिखाया है और अंत तक लड़ाई में रहकर अपनी ताकत का एहसास कराया है. देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस एक बार फिर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी है. कांग्रेस ने उन राज्यों में भी दमदार प्रदर्शन किया है, जहां वो पिछले 10 साल से हार रही थी और खाता खोलने के लिए जद्दोजहद कर रही थी. यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस के लिए मौजूदा लोकसभा चुनाव किसी संजीवनी से कम नहीं माना जा सकता है. कांग्रेस इस बार अपने नए-पुराने सहयोगियों के साथ मिलकर मजबूती से उभरी है और जो चमत्कार दिखाया है, वो यह साबित करता है कि कांग्रेस ना सिर्फ नतीजों में उलटफेर करने में सक्षम है, बल्कि विपक्ष खासकर क्षेत्रीय दलों के बीच भी सर्वमान्य है.

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कांग्रेस ने इस बार चुनाव में अलग रणनीति अपनाई और बीजेपी का मुकाबला करने के लिए सबसे पहले विपक्ष दलों को लामबंद किया. ये काम भी कई मायने में अहम था. राज्यों में मजबूत क्षेत्रीय दलों के अपने अलग मुद्दे और आइडियोलॉजी से परे जाकर हाथ मिलाया. उनके साथ सीट शेयरिंग के पेंच सुलझाने में माथापच्ची की. खुद को सीमित किया और क्षेत्रीय दलों को ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका दिया. बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ एक सीट पर एक उम्मीदवार देने की कोशिश की. जिन राज्यों में सीट शेयरिंग से फायदा होना था, वहां बंटवारा किया. जहां अकेले लड़ने से जीत की उम्मीद थी, वहां अलायंस से दूरी बनाई. पंजाब, पश्चिम बंगाल और केरल में विपक्षी गठबंधन की एकदम अलग रणनीति देखी गई.

इन सब प्रयासों में कांग्रेस ने बहुत कुछ खोया भी. दिग्गज नेता नाराज हुए और साथ छोड़कर चले गए. लेकिन पार्टी ने अपने टारगेट में कोई बदलाव नहीं किया. इससे पहले भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा भी निकाली. इससे यह संदेश भी दिया कि पार्टी ग्राउंड कनेक्ट में विश्वास रखती है.

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कांग्रेस ने हार से सीखा सबक 

चुनाव के ठीक पहले पार्टी के बैंक अकाउंट फ्रीज होने से आर्थिक तंगी भी झेली. आम चुनाव से 6 महीने पहले पार्टी ने हिंदी हार्ट लैंड के राज्य राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार भी गंवाई. तब इंडिया ब्लॉक के ही सहयोगी दलों ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की मनमानी की वजह से हार का सामना करना पड़ा है. जानकार बताते हैं कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में हार से सबक सीखा और आम चुनाव के लिए सीट शेयरिंग का जो पेंच महीनों से नहीं सुलझ पा रहा था, उसे चंद दिनों की बैठकों के बाद फाइनल कर दिया.

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कांग्रेस चुनाव हारी, लेकिन चेहरे पर आ गई चमक

यही वजह है कि कांग्रेस इस बार चुनाव में सबसे कम 327 सीटों पर चुनाव लड़ी. यह पहली बार था, जब सबसे पुरानी पार्टी 400 से कम सीटों पर आम चुनाव लड़ने उतरी. कांग्रेस ने अन्य सीटों पर विपक्षी दलों का समर्थन किया. उनके उम्मीदवारों को जिताने के लिए जनसभाएं कीं. प्रचार करने पहुंचे और जीत के लिए जान लगा दी. 4 जून को जब नतीजे आए तो पार्टी भले हार गई, लेकिन चेहरों पर खुशी दे गए. देश ने इन नतीजों को इंडिया ब्लॉक के लिए चमत्कार के रूप में देखा. इसे 10 साल के संघर्ष का प्रतिफल भी बताया.

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कांग्रेस की सीटें भी करीब दोगुनी, वोट शेयर में भी उछाल

कांग्रेस ने 2024 के चुनाव में 327 सीटों पर चुनाव लड़ा और 99 सीटों पर जीत दर्ज की. कांग्रेस ने इस बार 21.19 प्रतिशत वोट हासिल किए. जबकि 2019 में कांग्रेस 421 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 52 सीटों पर जीत हासिल की थी और 19.7 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया था. यानी 2024 के चुनाव में कांग्रेस की ना सिर्फ सीटें करीब दोगुनी हो गईं, बल्कि वोट शेयर में भी जबरदस्त इजाफा हुआ.

कांग्रेस के स्ट्राइक रेट में भी जबरदस्त बढ़ोतरी

इतना ही नहीं, बीजेपी से सीधे मुकाबले में कांग्रेस के स्ट्राइक रेट में भी जबरदस्त इजाफा हुआ है. बीजेपी के खिलाफ आमने-सामने की लड़ाई में अब तक कांग्रेस का स्ट्राइक रेट सिर्फ 8 प्रतिशत ही था, लेकिन इस बार यह बढ़कर 29 फीसदी हो गया है. साल 2014 में बीजेपी-कांग्रेस के बीच 370 सीटों पर सीधी लड़ाई हुई और बीजेपी ने 236 सीटों पर जीत दर्ज की. कांग्रेस सिर्फ 36 सीटें ही जीत सकी. बीजेपी का स्ट्राइक रेट 63.80 प्रतिशत रहा. जबकि कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 9.70 प्रतिशत रहा.

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बीजेपी से सीधी लड़ाई में फायदे में रही कांग्रेस

इसी तरह, 2019 में बीजेपी-कांग्रेस के बीच 374 सीटों पर सीधे लड़ाई हुई. बीजेपी ने 257 सीटों पर जीत दर्ज की और 68.70 प्रतिशत स्ट्राइक रेट रहा. कांग्रेस सिर्फ 31 सीटें ही जीत सकी और 8.30 प्रतिशत स्ट्राइक रेट रहा. लेकिन, 2024 के चुनाव में कांग्रेस के ट्रैक रिकॉर्ड में बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिला है और कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ ना सिर्फ जबरदस्त प्रदर्शन किया, बल्कि पुराने सारे रिकॉर्ड को भी ध्वस्त कर दिया.

2024 में बीजेपी-कांग्रेस के बीच 286 सीटों पर सीधी लड़ाई हुई. बीजेपी ने 180 सीटों पर जीत दर्ज की और 62.90 फीसदी स्ट्राइक रेट रहा. कांग्रेस ने रिकॉर्ड 83 सीटें जीतीं और 29 फीसदी स्ट्राइक रेट रहा.

कांग्रेस ने 329 सीटों पर उतारे थे उम्मीदवार

बताते चलें कि कांग्रेस ने इस बार 329 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की थी, जिसमें से सूरत और इंदौर के उम्मीदवारों को हटा दिया जाए तो यह संख्या 327 हो जाती है. दरअसल, सूरत में कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी का नामांकन रद्द हो गया था. जबकि इंदौर में कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय बम ने नामांकन वापस ले लिया था और बीजेपी में शामिल हो गए थे. लोकसभा में कुल 543 सीटें हैं और बहुमत के लिए 272 सीटों की जरूरत होती है.

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वो 10 राज्य, जहां कांग्रेस की सीटें बढ़ी हैं....

- महाराष्ट्र में 13 सीटें आईं. 12 सीटों का इजाफा हुआ.
- कर्नाटक में 9 सीटें जीते. 8 सीटों का इजाफा हुआ. 
- राजस्थान में 8 सीटें जीते. 8 सीटों का इजाफा हुआ.
- यूपी में इस बार 6 सीटें आईं. 5 सीटों का इजाफा हुआ.
- तेलंगाना में 8 सीटें जीते. 5 सीटों का इजाफा हुआ.
- हरियाणा में 5 सीट जीते. 5 सीट का इजाफा हुआ.
- बिहार में 3 सीटें आईं. 2 सीटों का इजाफा हुआ.
- झारखंड में 2 सीटें जीते. एक सीट का इजाफा हुआ.
- तमिलनाडु में 9 सीटें जीते. 1 सीट का इजाफा हुआ.
- गुजरात में 1 सीट जीते. यहां खाता खुला.

- ओडिशा-असम में प्रदर्शन दोहराया. ओडिशा में एक, असम में 3 सीटें जीते.

कांग्रेस को इस बार कहां नुकसान पहुंचा...

- केरल में 14 सीटें जीते. एक सीट का नुकसान हुआ.
- पंजाब में सात सीटें जीते. एक सीट का नुकसान हुआ.
- छत्तीसगढ़ में एक सीट जीते. एक सीट का नुकसान हुआ.

कांग्रेस और कहां चुनाव जीती...

कांग्रेस मणिपुर में दो, गोवा में एक, मेघालय में एक, नगालैंड में एक, चंडीगढ़ में एक, लक्षद्वीप में एक, पुडुचेरी में एक सीट पर चुनाव जीती.

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कांग्रेस का अब तक कैसा रहा परफॉर्मेंस...

2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 421 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. 2014 में 464 सीटों पर और 2009 में पार्टी ने 440 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. 2004 में पार्टी ने 417 सीटों पर चुनाव लड़ा था. वहीं, नतीजों की बात करें तो पार्टी ने 2019 में 52 सीटें, 2014 में 44, 2009 में 206 और 2004 में 145 सीटें जीती थीं.

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कांग्रेस ने 2019 में जिन करीब 101 सीटों पर चुनाव लड़ा था, वो 2024 में इंडिया ब्लॉक के सहयोगियों को दी थीं. पार्टी ने ये सीटें उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और तमिलनाडु में अपने सहयोगियों को दी थीं. ये चार राज्य लोकसभा में 201 सदस्य भेजते हैं. 1989 और 1999 के बीच कांग्रेस ने 450 से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार खड़े किये थे.

यूपी में सबसे ज्यादा असर

यूपी में पिछले करीब तीन दशक से कांग्रेस अपनी खोई राजनीतिक जमीन तलाश रही थी, ये चुनाव पार्टी कार्यकर्ताओं और संगठन में नई जान फूंक गए हैं. कांग्रेस ने यूपी में सबसे कम 13 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे. राज्य में सहयोगी दल में सपा सबसे बड़ी पार्टी थी. राहुल गांधी और अखिलेश यादव की जुगलबंदी का असर भी इस चुनाव में देखने को मिला और यूपी में सपा ने 37 और कांग्रेस ने 6 सीटों पर जीत दर्ज की. सपा को 33.59 फीसदी और कांग्रेस को 9.46 फीसदी वोट मिले. 2019 में पार्टी ने राज्य की 80 में से 67 सीटों पर चुनाव लड़ा था. उसे सिर्फ एक सीट रायबरेली में पर जीत मिली थी. 6.4 प्रतिशत वोट शेयर था. 2024 में पार्टी ने अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया और सीट बंटवारे का फॉर्मूला निकाला. कांग्रेस अमेठी और रायबरेली समेत यूपी में 17 सीटों पर चुनाव लड़ी. कांग्रेस ने रायबरेली सीट से राहुल गांधी को मैदान में उतारा है. 2019 में रायबरेली से सोनिया गांधी ने चुनाव जीता था.

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पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और दिल्ली...

पश्चिम बंगाल में पार्टी ने 42 में से सिर्फ 14 सीटों पर उम्मीदवार उतारे. 2019 में कांग्रेस ने 40 सीटों पर चुनाव लड़ा था और सिर्फ दो पर जीत दर्ज की थी. महाराष्ट्र में 48 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस 17 सीटों पर उम्मीदवार उतारे. जबकि 21 सीटें शिवसेना (यूबीटी) और 10 सीटें राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एसपी) के लिए छोड़ी. कांग्रेस ने पिछले दो चुनावों में महाराष्ट्र में 25 और 26 सीटों पर चुनाव लड़ा था. कांग्रेस ने दिल्ली, हरियाणा और गुजरात में अपने गठबंधन सहयोगी आम आदमी पार्टी को 6 सीटें दीं.

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