
अजित पवार ने तीन साल और 7 महीने में अपने चाचा और एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से दूसरी बार बगावत की है. अजित पवार ने 23 नवंबर 2019 की तरह ही 2 जुलाई 2023 को राजभवन पहुंच अचानक डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली. पिछली बार शरद पवार ने तुरंत मोर्चा संभाल लिया था और भतीजे अजित की बगावत को 48 घंटे के भीतर विफल कर दिया था. इसके बाद अजित पवार को डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था और वे चाचा के खेमे में वापस लौट गए थे. लेकिन इस बार बगावत अपने अगले दौर में पहुंच गए है. शरद पवार और अजित पवार दोनों गुट खेमाबंदी में जुट गए हैं. शरद पवार एक्शन में आ गए हैं, उन्होंने अजित के साथ बगावत करने वाले तमाम नेताओं को एनसीपी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या चाचा-भतीजे में पिछली बार की तरह इस बार भी सुलह की कोई गुंजाइश बची है?
दरअसल, अजित पवार ने 2 जुलाई को एनसीपी से बगावत कर डिप्टी सीएम पद की शपथ ली. इस दौरान उनके साथ छगन भुजबल और हसन मुश्रीफ समेत 8 विधायकों ने भी शिंदे सरकार में मंत्री पद की शपथ ली. अजित की यह बगावत एकनाथ शिंदे की शिवसेना से बगावत की तरह थी. एकनाथ शिंदे ने पिछले साल जून में उद्धव ठाकरे की शिवसेना से 40 विधायकों के साथ बगावत की थी. इसके बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी (शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन) सरकार गिर गई थी. शिंदे ने बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाई और राज्य के मुख्यमंत्री बने, जबकि देवेंद्र फडणवीस ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली.
- 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में एनसीपी के 53 विधायक हैं. अजित पवार के साथ 8 विधायकों ने मंत्रिपद की शपथ ली. अजित कैंप का दावा है कि उनके पास दो तिहाई यानी 36 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है.
- हालांकि, अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि अजित पवार के समर्थन में कितने विधायक हैं और शरद पवार के समर्थन में कितने? ऐसे में अभी सस्पेंस बरकरार है. महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने सोमवार शाम को कहा कि उन्हें अभी तक यह पता नहीं चला है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) शिवसेना-भाजपा सरकार का हिस्सा है या विपक्ष में है.
- नार्वेकर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि स्पीकर ऑफिस में अभी तक एनसीपी में विभाजन के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है. स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा, उन्हें एनसीपी विधायक जयंत पाटिल की ओर से सिर्फ एक याचिका मिली है, जिसमें अजित पवार और 8 मंत्रियों को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है. उन्होंने कहा कि वे इस याचिका की वैधता का अध्ययन करेंगे और उसके बाद ही कोई फैसला करेंगे.
- महाराष्ट्र में एनसीपी में हुई बगावत के बाद सभी पार्टियां एक्शन मोड में आ गई हैं. जहां अजित पवार और शरद पवार ने खेमाबंदी और पावर शो दिखाने के लिए 5 जुलाई को अलग अलग बैठकें बुलाई हैं. तो वहीं कांग्रेस ने भी मंगलवार को विधायक दल की बैठक बुलाई है. इसके साथ ही उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना ने भी मंगलवार को ही अपने सभी विधायकों और सांसदों की मीटिंग रखी है.
- अजित पवार गुट भले ही 36 से ज्यादा विधायकों के समर्थन की बात कर रहा है, लेकिन पार्टी के विधायक तीन गुटों में बंट गए हैं. एक गुट अजित, तो दूसरा गुट शरद पवार के साथ है. जबकि विधायकों का एक धड़ा ऐसा भी है जो अभी अगर-मगर की स्थिति में फंसा हुआ है और ये फैसला नहीं कर पा रहा है कि जाएं तो जाएं कहां? अजित के साथ जाएं या शरद पवार के साथ रहें?
- बताया जा रहा है कि अजित के पास अभी 24 विधायकों का समर्थन है. जबकि शरद पवार के समर्थन में 14 विधायक हैं. जबकि 15 विधायक ऐसे हैं, जो अभी वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं. यानी किसी भी गुट में जाने का फैसला नहीं किया.
- अजित पवार के साथ मंत्री पद की शपथ लेने वाले विधायक - धनंजय मुंडे (परली), छगन भुजबल (येओला), दिलीप वाल्से पाटिल (अंबेगांव), अदिति तटकरे (श्रीवर्धन), हसन मुश्रिफ (कागल), अनिल पाटिल (अमलनेर), धर्मरावबाबा अत्राम (अहेरी), संजय बनसोडे (उद्गीत).
वे विधायक जो अजित पवार के साथ हैं- सुनील टिंगरे (वडगांव शेरी), सुनील शेलके (मावल), अतुल बेंके( जुन्नार), अशोक पवार ( शिरूर), सरोज अहिरे (देवलाली), नरहरि ज़िरवाल ( डिंडोरी), इंद्रनील नाइक (पुसद), किरण लाहमाते (अकोले), नीलेश लंके (पारनेर), संग्राम जगताप (अहमदनगर शहर), शेखर निकम (चिपलून), दत्ता भरणे (इंडापुर), अन्ना बंसोडे (पिंपरी), माणिकराव कोकाटे (सिन्नर), दीपक चव्हाण (फलटण).
शरद पवार के साथ वाले विधायक- जयन्त पाटिल (वालवा), जीतेन्द्र आव्हाड( मुंब्रा), अनिल देशमुख ( कटोल), रोहित पवार ( कर्जत-जामखेड़), प्राजक्त तनपुरे (राहुरी), संदीप क्षीरसागर ( बीड शहर), दौलत दरोदा (शाहपुर), नवाब मलिक (अणुशक्तिनगर), मकरंद पाटिल (वाई), मानसिंह नाइक (शिराला), सुमनताई पाटिल (तासगांव), बालासाहेब पाटिल (कराड उत्तर), सुनील भुसारा (विक्रमगढ़), चेतन तुपे ( हडपसर).
वे विधायक जो अभी किसी के साथ नहीं- राजेंद्र शिंगणे (सिंदखेड राजा), राजेंद्र कारेमोरे (तुमसर), मनोहर चंद्रिकापुरे (अर्जुनी मोरगांव), चंद्रकांत नवघरे (वसमत), राजेश टोपे (घनसावंगी), नितिन पंवार (कलवान), दिलीप बनकर (निफाड), दिलीप मोहिते (खेद आलंदी), आशुतोष काले (कोपरगांव), प्रकाश सोलंखे (माजलगांव), राजेश पाटिल (चांदगढ़), यशवंत माने (मोहोल), बबन शिंदे (माधा), बाबासाहेब पाटिल (अहमदपुर), बालासाहेब अजाबे (आष्टी).
भतीजे अजित पवार की बगावत के बाद शरद पवार एक्शन में आ गए हैं. वे अभी तक मीडिया के साथ काफी नरम दिखे हैं. लेकिन उन्होंने बगावत के 24 घंटे के भीतर ही अपने कड़े तेवर दिखा दिए. शरद पवार ने एनसीपी से शिवाजीराव गरजे और विजय देशमुख सहित तीन नेताओं को निष्कासित कर दिया गया था. इसके बाद एनसीपी ने प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे को पार्टी से निष्कासित कर दिया. इसके साथ ही अजित पवार सहित नौ बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए प्रस्ताव पारित किया गया. शरद पवार गुट के नेता जयंत पाटिल ने स्पीकर से अजित पवार और 8 मंत्रियों को अयोग्य घोषित करने की मांग की.
उधर, शरद पवार के बाद अजित पवार ने एनसीपी पर दावा ठोकते हुए जयंत पाटिल को एनसीपी के महाराष्ट्र अध्यक्ष पद से हटाने का ऐलान किया. इसके साथ ही अजित पवार ने सुनील तटकरे को एनसीपी के नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया. उन्होंने कहा कि जयंत पाटिल को तुरंत सुनील तटकरे को कार्यभार सौंप देना चाहिए.
अजित पवार ने जब 2019 में बगावत की थी, तब शरद पवार ने आखिरी समय में उनकी इस कोशिश को विफल कर दिया था. 48 घंटे के भीतर अजित के साथ जाने वाले विधायक शरद पवार खेमे में वापस लौट आए थे. तब शरद पवार की पत्नी ने अजित पवार को मनाया था. यह खुलासा खुद शरद पवार ने अपनी किताब में किया था. अजित पवार मान गए थे और शरद पवार के साथ वापस लौट आए थे. इसके बाद शरद पवार के नेतृत्व में बनी महाविकास अघाड़ी सरकार में उन्हें डिप्टी सीएम बनाया गया था.
ऐसे में शरद पवार के समर्थक उनके द्वारा इसी तरह के चमत्कारिक राजनीतिक घटनाक्रम का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि, इस बार बात पिछली बार से ज्यादा आगे बढ़ गई है. अब बात सिर्फ बगावत तक नहीं है, बल्कि एक्शन और पार्टी पर दावे तक पहुंच गई है. शरद पवार और अजित खेमे में अब पार्टी के नाम और सिंबल को लेकर जंग छिड़ गई है. शरद पवार और अजित पवार दोनों एनसीपी पर अपना दावा कर रहे हैं. माना जा रहा है कि चाचा और भतीजे की ये लड़ाई स्पीकर से चुनाव आयोग और
अजित पवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर NCP पर अपना दावा ठोंका. इसके साथ ही उन्होंने शरद पवार से सुलह का फॉर्मूला भी पेश किया. अजित पवार ने कहा है कि इस नए फॉर्मूले के तहत शरद पवार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. इसके साथ ही अजित गुट ने कहा है कि वे नहीं चाहते कि चुनाव दोबारा हो इसलिए पार्टी में आपसी सहमति से फैसले लेने का आग्रह किया गया है. कहा गया है कि आपसी सहमति नहीं होने की स्थिति में चुनाव आयोग को फैसला लेना होगा. अजित पवार ने कहा है कि वे फिलहाल किसी को पार्टी से निष्कासित नहीं कर रहे हैं बल्कि पार्टी का विस्तार कर रहे हैं.
अजित पवार ने साफ कर दिया कि संख्याबल उनके साथ है, ऐसे में शरद पवार एनसीपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए उनके उठाए गए कदम यानी एनडीए में शामिल होने के फैसला का समर्थन करें. हालांकि, शरद पवार ने अजित खेमे के विधायकों पर एक्शन लेकर ये बता दिया कि वे अभी किसी तरह से सुलह के मूड में नहीं हैं. माना ये भी जा रहा है कि अभी ज्यादातर विधायकों ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं, ऐसे में शरद पवार को एक बार फिर इस बगावत को टालने की उम्मीद है. यही वजह है कि वे अभी अजित पवार से सुलह के मूड में नजर नहीं आ रहे हैं.