
Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र का सियासी ड्रामा अपने हाई लेवल पर पहुंच गया है. एक ओर शिवसेना में बगावत बढ़ती जा रही है. एक के बाद एक उसके विधायक टूटते जा रहे हैं. तो अब दूसरी ओर सरकार बनाने का नया फॉर्मूला भी निकलकर सामने आ रहा है.
सूत्रों का कहना है कि बीजेपी एकनाथ शिंदे और बागी विधायकों को साथ लेकर सरकार बना सकती है. अंदरखाने ऐसी भी बातचीत चल रहीं हैं कि शिंदे और बीजेपी कैंप में सरकार बनाने की शर्तों पर विचार-विमर्श हो रहा है.
अगर बीजेपी और बागी विधायकों की मिलकर सरकार बनती है, तो इसमें एकनाथ शिंदे को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है. वहीं, शिंदे गुट के 8 विधायकों को कैबिनेट मंत्री और 5 को राज्य मंत्री बनाया जा सकता है. जबकि, बीजेपी के गुट से 29 मंत्री बन सकते हैं. इतना ही नहीं, एकनाथ शिंदे ये भी चाहते हैं कि जो निर्दलीय विधायक उनके साथ आए हैं, उन्हें बीजेपी अपने कोटे से मंत्री बनाए.
लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि ये सरकार बनेगी कैसी? नई सरकार बनने के लिए पुरानी सरकार का गिरना जरूरी है. लेकिन पुरानी सरकार तभी गिरेगी, जब फ्लोर टेस्ट होगा. अब यहां भी एक सवाल ये है कि फ्लोर टेस्ट के लिए राज्यपाल के पास कौन जाएगा?
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कौन करेगा राज्यपाल से मांग?
- उद्धव गुटः इसकी उम्मीद बहुत कम है. शिवसेना नेताओं का कहना है कि वो फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हैं, लेकिन उद्धव गुट आगे से फ्लोर टेस्ट की मांग नहीं करेगा. इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान शिवसेना ने फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने की भी मांग की थी. हालांकि, कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था और कहा था कि अगर फ्लोर टेस्ट में कोई संवैधानिक संकट नजर आता है तो आप अदालत आ सकते हैं. सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ भटनागर ने भी बताया कि अगर फ्लोर टेस्ट बुलाया जाता है तो निश्चित तौर पर ये मामला कोर्ट में जाएगा.
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- शिंदे गुटः एकनाथ शिंदे और बागी विधायक राज्यपाल को एक चिट्ठी लिखें और महा विकास अघाड़ी सरकार से अपना समर्थन वापस लेने की बात कहें. हालांकि, सूत्रों का कहना है कि अभी तक शिंदे गुट ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया है. शिंदे गुट के 16 विधायकों पर अभी सदस्यता जाने का खतरा मंडरा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने इन विधायकों को डिप्टी स्पीकर के अयोग्यता नोटिस पर जवाब देने से राहत दे दी है. इस पर 11 जुलाई को सुनवाई होगी. हालांकि, अगर शिंदे गुट किसी दूसरे पार्टी में विलय कर लेता है तो उसके विधायकों की सदस्यता जाने से बच सकती है.
- बीजेपीः जानकारी के मुताबिक, बीजेपी खुद सीधे तौर पर राज्यपाल से फ्लोर टेस्ट कराने की मांग नहीं करेगी. बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र की छोटी पार्टियां राज्यपाल से फ्लोर टेस्ट की मांग कर सकतीं हैं. बीजेपी को फ्लोर टेस्ट के बाद महाविकास अघाड़ी की सरकार गिरने का पूरा भरोसा है. बीजेपी ने अपने सभी विधायकों को मुंबई और उसके आसपास ही रहने को कहा है, ताकि फ्लोर टेस्ट की स्थिति में सारे विधायक पहुंच सकें.
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फिर कैसे होगा फ्लोर टेस्ट?
अगर कोई भी आगे से फ्लोर टेस्ट की मांग नहीं करता तो फिर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी स्वतः संज्ञान लेते हुए उद्धव सरकार को अपना बहुमत साबित करने को कह सकते हैं. 2016 में अरुणाचल प्रदेश के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि अगर राज्यपाल को लगता है कि सरकार ने विश्वास खो दिया है, तो वो फ्लोर टेस्ट बुलाने के लिए स्वतंत्र हैं. लेकिन मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद की सिफारिश के बिना सदन भंग नहीं कर सकते.
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उद्धव सरकार का जाना तय?
- महाराष्ट्र में अब 31 महीने पुरानी उद्धव सरकार का जाना लगभग तय माना जा रहा है. अब फ्लोर टेस्ट के समय भले ही शिंदे गुट के विधायक सदन में रहें या नहीं रहें.
- शिंदे गुट ने 49 विधायकों के समर्थन का दावा किया है. इनमें 40 विधायक शिवसेना के, दो प्रहार जनशक्ति पार्टी और 7 निर्दलीय हैं.
- महाराष्ट्र विधानसभा में 288 सीटें हैं. शिवसेना विधायक रमेश लटके के निधन से एक सीट खाली है. लिहाजा 287 सीटें हैं. सरकार बनाने और बचाने के लिए 144 सदस्यों के समर्थन की जरूरत है.
- फ्लोर टेस्ट में अगर शिंदे गुट के सभी 49 विधायक महाविकास अघाड़ी सरकार के खिलाफ वोट देते हैं तो उससे उद्धव सरकार गिर जाएगी.
- दूसरी एक बात ये भी है कि फ्लोर टेस्ट के समय अगर शिंदे गुट के विधायक गैर-मौजूद भी रहते हैं तो भी महाविकास अघाड़ी सरकार गिर जाएगी. उनकी गैर मौजूदगी से बहुमत का आंकड़ा कम हो जाएगा और इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा. क्योंकि बीजेपी के पास अपने 106 विधायक हैं और 6 निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी है.