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'दिल्ली में मेरे पास कोई और घर नहीं', सरकारी आवास खाली करने के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचीं महुआ मोइत्रा

हाईकोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में उन्होंने कहा कि डायरेक्टरेट ऑफ एस्टेट्स का आदेश लोकसभा से उनके निष्कासन के बाद जारी किया गया है. मोइत्रा की याचिका में कहा गया है, ''आगामी आदेश समय से पहले दिया गया है क्योंकि याचिकाकर्ता के निष्कासन की वैधता भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है."

महुआ मोइत्रा ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है (फाइल फोटो) महुआ मोइत्रा ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है (फाइल फोटो)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 19 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 7:06 AM IST

लोकसभा से हाल ही में निष्कासित की गईं तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा ने सरकारी आवास का आवंटन रद्द करने और उन्हें 7 जनवरी, 2024 तक घर खाली करने के आदेश को चुनौती देते हुए सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. याचिका मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने की संभावना है. 

इसमें आग्रह किया गया है कि डायरेक्टरेट ऑफ एस्टेट्स के 11 दिसंबर के आदेश को रद्द कर दिया जाए या वैकल्पिक रूप से 2024 लोकसभा के नतीजे आने तक आवास पर कब्जा बनाए रखने की अनुमति दी जाए. मोइत्रा को अनैतिक आचरण का दोषी ठहराया गया था और 8 दिसंबर, 2023 को व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से कथित तौर पर उपहार स्वीकार करने और उनके साथ संसद वेबसाइट की अपनी यूजर आईडी और पासवर्ड साझा करने के लिए लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था.

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लोकसभा द्वारा उन्हें बाहर करने की सिफारिश करने वाली आचार समिति की रिपोर्ट को अपनाने के बाद उन्होंने पहले ही अपने निष्कासन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी है. मामले को 3 जनवरी 2024 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है. हाईकोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में उन्होंने कहा कि डायरेक्टरेट ऑफ एस्टेट्स का आदेश लोकसभा से उनके निष्कासन के बाद जारी किया गया है.

मोइत्रा की याचिका में कहा गया है, ''आगामी आदेश समय से पहले दिया गया है क्योंकि याचिकाकर्ता के निष्कासन की वैधता भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है."

मोइत्रा ने कहा कि वह 2019 के आम चुनावों में पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार लोकसभा के लिए चुनी गईं और उनकी पार्टी ने उन्हें 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए भी वहां से अपना उम्मीदवार चुना है. इसमें कहा गया है कि चूंकि लोकसभा से निष्कासन उन्हें चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य नहीं ठहराता, इसलिए वह फिर से चुनाव लड़ेंगी और उन्हें अपना समय और ऊर्जा अपने मतदाताओं पर केंद्रित करने की आवश्यकता होगी.

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उन्होंने कहा कि वह दिल्ली में अकेली रह रही हैं और उनके पास यहां कोई अन्य निवास स्थान या वैकल्पिक आवास नहीं है और यदि उन्हें सरकारी आवास से बेदखल किया जाता है, तो उन्हें चुनाव प्रचार के कर्तव्यों को पूरा करना होगा और साथ ही नया निवास भी ढूंढना होगा. इससे उन पर भारी बोझ पड़ेगा. इस प्रकार, विकल्प में याचिकाकर्ता प्रार्थना करती है कि उसे 2024 के आम चुनावों के नतीजे आने तक अपने वर्तमान घर में रहने की अनुमति दी जाए. यदि याचिकाकर्ता को अनुमति दी जाती है, तो वह ठहरने की विस्तारित अवधि के लिए लागू होने वाले किसी भी शुल्क का भुगतान करने के लिए तत्पर होगी.”

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