
देश की सबसे पुरानी सियासी पार्टी कांग्रेस में आज से नए युग की शुरुआत हो गई है. आज से कांग्रेस की कमान किसी गैर गांधी के हाथों में दे दी गई है. गहमागहमी के बीच हुए अध्यक्ष चुनाव में शशि थरूर को हराने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे आज से कांग्रेस के बॉस बन गए हैं.
कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर मल्लिकार्जुन खड़गे की आज ताजपोशी हो गई है. मल्लिकार्जुन खड़गे ने यहां कहा कि मेरे लिए यह भावुक क्षण है. एक मजदूर का बेटा, एक सामान्य कार्यकर्ता, भारतीय कांग्रेस का अध्यक्ष बना है. यह सम्मान देने के लिए आप सब का हार्दिक आभार धन्यवाद करता हूं.
उन्होंने कहा कि जिस महान दल का नेतृत्व महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल, मौलाना आजाद, बाबू जगजीवन राम, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी ने किया हो जिम्मेदारी को संभालना मेरे लिए सौभाग्य और गौरव की बात है. कांग्रेस के पुराने अध्यक्षों को याद रखते हुए मेहनत करूंगा पर आपको भी मेरे साथ लगना होगा.
मल्लिकार्जुन खड़गे ने ये भी कहा कि पुराने सभी अध्यक्षों को याद करके आपको भरोसा दिलाना चाहता हूं कि अपने अनुभव और मेहनत से जो भी संभव होगा, वो करूंगा.उन्होंने ये भी कहा कि आप सब को भी मेरे साथ पूरी ताकत और लगन के साथ चलना होगा.
खड़गे की ताजपोशी के लिए कांग्रेस के मुख्यालय में भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें पार्टी की निवर्तमान अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ ही पार्टी के कई दिग्गज नेता मौजूद हैं. सोनिया गांधी के साथ ही राहुल गांधी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ ही पार्टी के कई सीनियर नेताओं की मौजूदगी में खड़गे को कांग्रेस पार्टी की कमान सौंप दी गई है.
पदभार संभालने से पहले खड़गे (80) बुधवार सुबह राज घाट, शांति वन, विजय घाट, शक्ति स्थल, वीर भूमि और समता स्थल गए. राजघाट पहुंचकर उन्होंने महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्प अर्पित किए. इससे पहले उन्होंने मंगलवार शाम 6 बजे पूर्व पीएम डॉक्टर मनमोहन सिंह से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की थी.
मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में कांग्रेस को 24 साल बाद गांधी परिवार से बाहर का अध्यक्ष मिला है. इससे पहले सीताराम केसरी गैर गांधी अध्यक्ष रहे थे. मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के 137 साल लंबे इतिहास में तीसरे दलित अध्यक्ष हैं. मल्लिकार्जुन खड़गे से पहले दलित नेता दामोदरन संजीवैया और जगजीवन राम भी कांंग्रेस की कमान संभाल चुके हैं.
कांग्रेस के इतिहास में अध्यक्ष पद के लिए 6वीं बार चुनाव हुए. कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ शशि थरूर ने दावा ठोका था. इस चुनाव में खड़गे ने शशि थरूर को 6,825 वोट से मात दी थी. खड़गे को 7897 वोट मिले थे. वहीं, शशि थरूर के खाते में 1072 वोट आए थे.
खड़गे के अध्यक्ष बनने से कांग्रेस को ये फायदे
- दलित वोट बैंक साधने में मिलेगी मदद: पिछले कुछ समय से कांग्रेस की राजनीति में दलित वोटबैंक पर खास जोर दिया जा रहा है. पंजाब चुनाव से ठीक पहले चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने वाला दांव कोई भूला नहीं है. चुनाव में तो कांग्रेस को इसका कोई फायदा नहीं मिला लेकिन चरणजीत सिंह चन्नी के साथ एक तमगा जरूर जुड़ गया- 'पंजाब के पहले दलित सीएम'. अब मल्लिकार्जुन खड़गे का कांग्रेस अध्यक्ष बनना भी पार्टी की दलित राजनीति को नई धार दे सकता है.
- परिवारवाद के आरोप से मिलेगी मुक्ति: कांग्रेस को लेकर एक परसेप्शन बन गया है कि वह परिवारवाद की राजनीति करती है. इस परसेप्शन ने पार्टी को कई चुनावों में भारी नुकसान दिया है.मल्लिकार्जुन खड़गे का कांग्रेस अध्यक्ष बनना इस धारणा को तोड़ने का काम कर सकता है. वैसे भी सोशल मीडिया पर खड़गे की जीत का प्रचार भी इसी तरह से किया जा रहा है कि पार्टी को कई सालों बाद गैर गांधी अध्यक्ष मिला है. अब जितना तेजी से ये संदेश लोगों के बीच जाएगा, पार्टी को लेकर चल रहा एक बड़ा परसेप्शन टूट सकता है.
- कर्नाटक चुनाव की तैयारी: कर्नाटक में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. यहां बीजेपी अंदरूनी कलह से जूझ रही है. इसके अलावा राज्य का जातीय समीकरण ऐसा है कि मल्लिकार्जुन खड़गे के अध्यक्ष बनने से कांग्रेस को पार्टी फायदा पहुंच सकता है. कर्नाटक में दलितों की आबादी 19.5 प्रतिशत है, वहीं 16 फीसदी मुस्लिम हैं. अनुसूचित जनजाति का आंकड़ा भी 6.95 प्रतिशत बैठता है. अब ये आंकड़े कांग्रेस की राजनीति के लिए मुफीद बैठते हैं.
खड़गे के सामने चुनौतियां भी अपार
मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के साथ ही कई चुनौतियां भी उनके साथ आ गई हैं. दरअसल वह ऐसे समय में अध्यक्ष चुने गए हैं जबकि देश के कई राज्यों जैसे हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव हैं. कांग्रेस कई गुटों में बंट चुकी है.इतना ही नहीं कांग्रेस कई राज्यों में भी दो फाड़ है. राजस्थान का सियासी संकट इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. कई राज्यों में कांग्रेस अपना जनाधार खो चुकी है, ऐसे में उनके सामने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले दोबारा अपने जनाधार को पाना होगा और कांग्रेस को एकजुट करने का चैलेंज है.
कर्नाटक के दलित नेता हैं खड़गे
मल्लिकार्जुन खड़गे दलित नेता हैं. वे कर्नाटक के रहने वाले हैं. वे कर्नाटक के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. खड़गे 8 बार विधायक, दो बार लोकसभा सांसद एक बार राज्यसभा सांसद रहे हैं. वे सिर्फ 2019 में लोकसभा चुनाव हारे. वे यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं. मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के अध्यक्ष पद तक पहुंचने वाले तीसरे दलित नेता हैं.